इस अनाथ को तू यहां अपने घर क्यों ले आई हैं , मेरे घर को अनाथाश्रम समझ के रखा हैं क्या ?? तेरे भाई की बेटी की इस घर में कोई जगह नहीं समझी ,
तेरे गरीब मायके वाले तुझे ही मुबारक , मैं कह देती हुं कि इसे जहां से लाई हैं , वहीं वापस छोड़ आ !! तरुणा की सास पदमावती जी कड़क लहजे में बोली !!
तरुणा ने उनकी कड़कती आवाज सुन अपनी भतीजी रोशनी का हाथ तुरंत अपने हाथ से छुड़ाया और पदमावती जी को अपने साथ अंदर के कमरे में ले गई , वहां जाकर तरुणा बोली – मांजी , मैं तो अपने साथ मुफ्त की नौकरानी लाई हुं ,
मेरे भाई की मृत्यु के बाद अब मेरी विधवा भाभी उसके दो बच्चों का भरण पोषण अकेले कैसे संभालेगी ??
उन्होंने तो रोशनी को यहां शहर में आगे की पढ़ाई के लिए भेजा हैं मगर मैं थोड़ी इसका खर्चा उठाने वाली हुं बल्कि मैंने तो सोचा है कि आज से नौकरानी माला की छुट्टी कर देते हैं ताकि हमारे पैसे बच पाए और हमें रोशनी का बोझा बोझा ना लगे !!
पदमावती जी यह सुनकर खुश हो गई और बोली – वाह बहू , तेरा दिमाग तो मुझसे भी ज्यादा तेज चलता हैं , तूने तो अपने मायके वालो को तक ना छोड़ा , खैर अब मुझे कोई गम नहीं , रोशनी को गेस्ट रूम में ठहरा देना !!
कमरे के बाहर खड़ी रोशनी ने अपनी बुआ और उसकी सास की सारी बातें सुन ली थी और वह धड़ाम से सोफे पर बैठ गई , उसे तो यह झटका लग रहा था कि यह वहीं बुआ हैं जिसने मेरी मां से इतने बड़े बड़े वादे किए थे !!
रोशनी के सामने अंधियारा छा गया और उसे अपने पापा की बहुत याद आने लगी !!
रोशनी के पापा राजू को गुजरे अभी एक महिना ही बीता था , रोशनी की मां तारा पर तो जैसे दुःखों का पहाड़ टूट चुका था !!
रोशनी जो नीट की परिक्षा में अव्वल आई थी , उसके पापा का बड़ा अरमान था कि रोशनी डॉक्टर बने क्योंकि रोशनी बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी !!
पापा के गुजरने के बाद रोशनी को अपना भविष्य भी अंधकार में नजर आने लगा था , रोशनी का छोटा भाई भी अभी ज्यादा बड़ा नहीं था , उसकी मां पर अब दोनों बच्चो की जिम्मेदारी आ गई थी !!
राजू की तेरहवी के दिन ही तारा की चाची सास बोल पड़ी थी कि रोशनी की जल्दी शादी करवा दे तारा ताकि तुझपे सिर्फ लड़के का ही बोझा रहे , एक का बोझ तो कम हो ,
तू कहे तो मेरे जेठ के लड़के से बात चलाऊं , उसकी पत्नी का भी अभी हाल में ही निधन हुआ हैं , तेरी बेटी के भी हाथ जल्दी पीले हो जाएंगे !!
यह सुनकर तारा झल्लाकर बोली – चाची जी आपको हमारे बारे में इतना सोचने की जरूरत नहीं हैं , मेरी बेटी की अभी उम्र ही क्या हैं
जो आप उसकी शादी की बातें कर रही हैं , माना हम लोग गरीब हैं इसका मतलब यह नहीं कि मैं अपने सर का बोझ कम करने के लिए अपनी बेटी की शादी किसी से भी करा दूंगी , मैं अपनी बेटी को पढ़ाऊंगी , खुब पढ़ाऊंगी और इसके पापा का सपना जरूर पुरा करूंगी !!
चाची सास ने वहां ही मुंह टेढ़ा कर लिया था , राजू की तेरहवी पर सभी लोग कानाफूसी कर रहे थे कि अब अकेले कैसे पालेगी तारा दोनों बच्चों को ?? तारा के मायके वालों ने भी थोड़े दिन बस उनकी खानापूर्ति कर दी थी , फिर किसी का चेहरा भी नहीं दिखाई पड़ रहा था !!
ऐसे समय में तनुजा तारा की ननद ने आगे बढ़कर कहा था भाभी , आप चिंता मत करो , भैया का रोशनी को डॉक्टर बनाने का सपना जरूर पुरा होगा और उसे मैं पुरा करूंगी !! मेरा ससुराल पैसो से संपन्न है ,
मैं रोशनी को अपने साथ शहर ले जाऊंगी और इसका अच्छे कॉलेज में एडमिशन करवाऊंगी , आप देखना पाँच साल यूं चुटकियों में गुजर जाएंगे और हमारी रोशनी एक दिन डॉक्टर बन जाएगी !! तारा के लिए तो मानो तनुजा जैसे भगवान का रूप लेकर आई हो ,
जब सभी ने साथ छोड़ दिया था , तब तनुजा ने तारा और उसके परिवार का हाथ थामा था !! तारा ने भी अपने बेटे आर्यन की स्कुल में बात कर ली थी जहां उसे टीचर की नौकरी आसानी से मिलने वाली थी !! आर्यन का बोझ तो तारा ने उठा लिया और रोशनी को अपनी ननद तनुजा के साथ शहर भेज दिया !!
रोशनी का यह सब सोचकर मन भारी हो गया , आंखों से आंसू निकलने ही वाले थे मगर उसने आंसुओं का सैलाब दबाया, वह अपनी बुआ को बताना नहीं चाहती थी कि उसने सब सुन लिया हैं और अपनी मां को बताकर मां का बोझ भी बढ़ाना नहीं चाहती थी , उसने ठान लिया कि अब जो उसकी किस्मत में लिखा होगा उसके साथ वहीं होगा !!
उसकी बुआ तनुजा के कदमों की आहट से रोशनी ने तुरंत अपने आपको सहज बनाया !! तनुजा बोली – आओ बेटा , तुम्हें तुम्हारा कमरा बता दूं ,
फिर रोशनी को गेस्ट रूम में ले जाकर बोली बेटा आओ , तुम भी मेरे साथ कमरे की सफाई में मदद करो !! माला तो शाम को आती हैं इसलिए हम दोनों को मिलकर ही कमरे की सफाई करनी पड़ेगी !!
रोशनी अंदर से सब समझ चुकी थी पर उसने कुछ बताया नहीं और बुआ के साथ काम में लग गई !! काम करते हुए रोशनी बोली बुआ मेरा कॉलेज में एडमिशन करवा दो !!
तनुजा बोली एडमिशन तो मैंने ऑनलाईन ही करवा दिया हैं , तुम्हें कल से ही कॉलेज जाना हैं !!
थोड़ी देर में कामवाली बाई माला आई तो दोनों सास बहू ने उससे कह दिया कि कल से उसे काम पर आने की कोई जरूरत नहीं !!
रोशनी का कलेजा मुंह को आ गया था क्योंकि वह अंदर से जान चुकी थी कि अब यह दोनों सास बहू झाडू – पौछा , बर्तन सब रोशनी से करवाने वाले हैं !!
रोशनी अंदर बाथरूम में गई और नल चालू करके बहुत रोई और रोते रोते अपने पापा को याद करते हुए बोली – पापा आप हमें छोड़कर क्यूं चले गए ?? आप होते तो आपकी बेटी को कभी किसी के घर की नौकरानी नहीं बनना पड़ता !!
दूसरे दिन सुबह सास के उठने से पहले उठकर तनुजा ने फटाफट झाडू फट्टा किया और रोशनी को टिफिन देकर बोली – हमें आज तुम्हारे कॉलेज चलना हैं , मैं आज तुम्हें वहां की सारी जानकारी दे दूंगी , इससे पहले कि मेरी सास उठ जाए हमें निकलना चाहिए वर्ना देर हो जाएगी !!
रोशनी को मन ही मन हैरानी हुई कि उसकी बुआ झाडू पौछा उससे करवाने वाली थी , फिर उसने खुद क्यों कर लिया , रोशनी को उसकी बुआ का यह दिखावटी रूप कुछ समझ नहीं आ रहा था !!
रोशनी रोज कॉलेज जाने लगी , तनुजा ने अपनी सास को बताया कि उसने रोशनी का छोटे से कॉलेज में एडमिशन करना दिया हैं
और अपनी सास के सामने रोशनी से कुछ छोटे मोटे काम करवाने लगी जैसे उसकी सास को पानी और चाय देना तो कभी उनकी दवाई देना और फिर अकेले में रोशनी से कहती तू आराम से अंदर जाकर पढ़ाई कर , यहां मैं सब संभाल लूंगी !!
एक रोज तनुजा की तबीयत बहुत खराब हो गई , वह रोशनी से बोली – बेटा , आज झाडू पौछा जरा तू लगा देना !!
रोशनी यह सुनकर आपे से बाहर हो गई और बोल पड़ी – बुआ , अच्छे से जानती हुं आप यहां मुझे इन्हीं सब कामों के लिए तो लाई हो ना ,
मैंने उस दिन आप दोनों की सारी बातें सुन ली थी , मुझे तो आपको बुआ कहते शर्म आती हैं , पापा कितना प्यार करते थे आपसे और एक आप हो कि उनके जाते ही उनकी बेटी को डॉक्टर बनाने के नाम पर नौकरानी बनाने ले आई , मां ने कितना भरोसा किया था आप पर ??
तनुजा ने जल्दी से कमरे का दरवाजा बंद किया ताकि उसकी बात कोई सुन ना ले और बोली अरे पगली , अब तक बुआ का प्यार समझ नहीं आया क्या तुझे ??
मेरी सास इतनी तेज हैं कि अगर मैं उन्हें बताती कि मैं तुझे यहां पढ़ाई करवाने लाई हुं तो तुझे और मुझे ताने कस कसकर मार डालती ,
तेरी मां की इतनी हैसियत नहीं हैं कि वह तेरी स्कूल फीस भर पाए इसलिए मेरे महिने के बचत किए हुए पैसो से मैं तेरी कॉलेज फीस भरती हुं लेकिन मेरी सास को मैंने बताया हैं कि तेरी कॉलेज फीस तेरी मां ही भर रही हैं !!
सुबह जल्दी उठकर झाडू पौछा कर देती हुं ताकि सासू मां को लगे कि तु घर का काम करके कॉलेज जाती हैं !!
बस बेटा एक बार तु डॉक्टर बन जाए फिर तेरी मम्मी और बुआ के संघर्षो को पुर्णविराम मिल जाएगा !! माला को काम से निकालने के बाद मुझे सारा काम करने के बाद बहुत थकान लगती हैं मगर मेरी लाडो तेरे लिए कुछ भी करूंगी !!
बुआ का यह त्याग देखकर रोशनी की आंखे फिर बरस पड़ी कि उसने कितना गलत समझा अपनी बुआ को , वह अपनी बुआ के गले से लगकर बोली – सॉरी बुआ , मैं गुस्से में कितना अनाप शनाप बक गई !!
तनुजा बोली – रोशनी तुम्हें मेरी सास के सामने काम करने का दिखावा करना होगा !! रोशनी बुआ के गले लग गई और अब से वह जी जान से पढ़ाई करने लगी और पदमावती जी के सामने घर के कुछ छोटे मोटे काम भी कर लेती !!
रोशनी की मेहनत रंग लाई और वह पाँच सालों बाद डॉक्टर बन गई !!
पद्मावती जी अपनी बहू से बोली – यह नौकरानी वाला काम करते-करते डॉक्टर कैसे बन गई ??
तनुजा हैरान होकर बोली – मुझे क्या पता मम्मी जी कब इसने पढ़ाई कर ली आप तो देखती थी कि मैं इससे घर के ही काम करवाती हुं !!
तारा भी अपनी ननद के त्याग की खुब आभारी रही , रोशनी ने डॉक्टर बनने के बाद सबसे पहले अपनी बुआ के घर में कामवाली बाई लगाई , बुआ को धीरे धीरे करके उनके वह पैसे भी वापस करने लगी जो उन्होंने रोशनी की पढ़ाई के पीछे खर्चे थे और फिर इसी शहर में एक फ्लैट खरीद लिया और अपनी मां और भाई को यही रहने बुला दिया !!
भुआ का साथ पाकर आज रोशनी अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानती है !!
दोस्तों ,लोगो की जिंदगी में अगर ऐसे सच्चे और निस्वार्थ रिश्ते हो तो भले कितना भी मुश्किल समय आ जाए इंसान उससे उभर जाता हैं इसलिए हो सके तो आप भी एक ऐसे इंसान बनिए जो किसी के मुश्किल समय में उसकी ताकत बन पाए !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन