फ़र्ज़ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 100

       ” प्रकाश..कुछ दिनों में मैं तुम्हारे रुपये लौटा दूँगा..बहन की शादी आ पड़ी है।बचाये हुए रुपये बेटे की बीमारी में खर्च हो गये वरना मैं तुमसे कभी नहीं…।”   ” लौटाने की बात नहीं है भाई..सच में इस वक्त इतनी बड़ी रकम मेरे पास नहीं है..बिजनेस में भी घाटा हो रहा है तो…।” मित्र दिनेश की … Read more

ममता का त्याग – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

Moral Story in hindi

   ” मीनू…शादी के बाद तुम मुझे आप कहोगी ना..।”    ” हर्गिज़ नहीं..शादी के बाद तुम अपना भाव बढ़ा लोगे..तो मैं तुमसे शादी नहीं करूँगी..।”  ” अच्छा…मुझसे नहीं करोगी..तो फिर किससे…।” कहते हुए मयंक उससे दिल्लगी करने लगा तो मीनू ने ‘जाओ..मैं तुमसे बात नहीं करती..।’ रूठते हुए फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया।          मीनू के पिता रामदयाल … Read more

बेटी बिना घर सूना – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 83

  ” अम्मा..मिनी की शादी तय हो गई है।अब उसकी शादी में आप अपने सारे #अरमान निकाल लीजियेगा।” नरेश ने फ़ोन पर अपनी माँ को थोड़ी ऊँची आवाज़ बोला।सुनकर राजेश्वरी देवी चहक उठी,” कब है शादी है बाबू…।”  ” अम्मा..बस अगले महीने के पहिले हफ़्ते में है।भाईसाहब और भाभी को कह दिया है।आप तैयार रहियेगा..सप्ताह भर … Read more

आँचल की छाँव – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 37

  चौंसठ वर्षीय कमला जी के शरीर में आज गजब की फ़ुर्ती थी।सुबह से ही वो कभी चंदा को कहतीं कि दीपक के कमरे में फूल वाली प्रिंटेड चादर बिछा देना तो कभी माली को कहती कि गुलदस्ता बढ़िया बनाना।आज उनका दीपक आ रहा है, फ़ोन पर उसने चार बजे तक आने को कहा था..उनकी तो … Read more

रिश्ते प्यार से बनते हैं – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

New Project 50

   ” देवरानी जी..ऐसी साड़ियाँ तो मेरे मायके की नौकरानियाँ भी न पहने..कितना भद्दा रंग है..और मिठाई तो देखो..हा-हा.. देखकर ही उल्टी आ रही है..है ना जीजी..।”      ” हाँ..मधु..मैं भी तो यही कह रही हूँ..।” कहकर दोनों हँसने लगीं।           सेठ श्यामलाल शहर के जाने-माने ‘आयरन’ व्यापारी थे।पत्नी कमला सुघड़ गृहिणी थी।उनके महेश, सुरेश और निलेश नाम … Read more

प्यार कभी पुराना नहीं होता – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 2

    पिछले कुछ दिनों से सीमा बहुत व्यस्त थी।पहले ननद की बेटी की शादी..फिर सूरत से बेटी-नातिन आ गई।एक महीना कैसे बीत गया, उसे पता ही नहीं चला।पति जब तक थें, तब तक तो वो सोशल मीडिया का स भी नहीं जानती थी।उसकी सहेलियाँ फेसबुक पर आने को कहती तो हँसकर कहती,” मेरा फेसबुक तो मेरे … Read more

नेचुरल हैं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 78

जब से मेरे काले-घने, नागिन-से लहराते बाल सफ़ेद होने लगे, मेरी सहेलियाँ और हितैषियों ने अपने सलाह- मशवरों का पुलिंदा ही खोल दिया था। कोई कहता मेंहदी लगा तो कोई हेयर डाई का नाम बताता।कोई लोहे का तवा देने को तैयार हो जाता तो कोई आँवला-त्रिफला की विशेषता गिनाने लगता। एक ने तो यहाँ तक … Read more

अपनी ज़िम्मेदारी समझो – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 99

 ” ए जी.. सुनते हैं..साक्षी आज फिर कोचिंग से अंधेरा होने पर लौटी है।मुझे तो लगता है कि ज़रूर उसका कोई..।” कांता की बात पूरी होने से पहले ही उसके पति महेश बोल पड़े,” अब चुप भी करो…।कल तक मिसेज़ कुलकर्णी की ननद के बारे में # विष उगल रही थी और आज मिसेज़ चंद्रा … Read more

छोटू – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

New Project 95

एक समय था जब हम सभी को नानी का घर स्वर्ग के समान लगता था।नाना-नानी की गोद में बैठकर कहानियाँ सुनने और मामा-मामी से छोटी-छोटी चीज़ों के लिये ज़िद करने में एक अलग ही आनंद आता था।        चार भाई-बहनों में मेरी माँ सबसे बड़ी थीं, इसलिये  ननिहाल में मैं सबका लाडला था।तीन साल तक तो … Read more

अति विश्वास भी ठीक नहीं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 87

 ” मालती..ज़रा अपनी बेटी पर ध्यान दो..सुना है, कल रात वो सात बजे घर लौटी थी… इतनी देर तक भला कौन-सा स्कूल खुला रहता है।कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी साख पर #बट्टा लग जाये और तुम देखती रह जाओ…। ” मालती अपनी बेटी काव्या को गेट तक छोड़ने के लिये जैसे ही निकली तो … Read more

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