नियंत्रण – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      सुनंदा के पति एक व्यवसायी थी।उनका काम अच्छा चल रहा था।अचानक उन्हें अपने व्यापार में बहुत मुनाफ़ा होने लगा।घर में लक्ष्मी की वर्षा होने लगी, फिर तो वो # आसमान पर उड़ने लगी।अनाप-शनाप चीज़ों पर पैसा खर्च करने लगी। उसका बेटा अंशु उससे पचास रुपये माँगता तो वो उसे सौ रुपये थमा देती।धीरे-धीरे अंशु की … Read more

हाथ का मैल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” दीदी..इसमें कंजूसी की क्या बात है..मोजे तो ठीक ही हैं, बस ज़रा इलास्टिक ही तो…।फिर बेटी स्कूल पढ़ने जाती है,मोजे दिखाने तो नहीं..।” मालती अपनी जेठानी सुलेखा को समझाने लगी लेकिन हमेशा की तरह सुलेखा ने उसकी बात को अनसुना कर दिया।         सुलेखा का मायका धनाड्य था और पति महेश एक व्यवसायी।पैसे की कमी … Read more

बड़प्पन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” भाभी..बच्चे हैं…आपस में झगड़ते हैं और पल भर में सुलह भी कर लेते हैं।आप बिना बात के ही इतना…।” मिनी अपनी भाभी को समझाने का प्रयास कर रही थी कि बीच में ही उसकी भाभी नंदा लगभग चीखते हुए बोली,” बच्चे हैं तो क्या..आखिर मेरा अंश उससे बड़ा है…इस रिश्ते का तो उसे ख्याल … Read more

अंगारे फूल बन जाएँगे.. – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” कितनी भी कोशिश कर ले दीपा…तेरे बेटे का कुछ नहीं होने वाला..अंधा है..इसे तो जन्म के समय ही मार…।” ” बस कीजिए दीदी..जैसा भी है..मेरा बेटा है..मेरे शरीर का हिस्सा है..।” अपने छह साल के बेटे के लिए जेठानी मालती की जली-कटी बातें सुनकर दीपा तड़प उठी थी।वह मनु को लेकर कमरे में चली … Read more

दूर के ढ़ोल सुहावने – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  ” चल भाग यहाँ से…।” डाँटते हुए रुक्मिणी जी अपनी चार वर्षीय पोती वंशिका के हाथ से खिलौना छीनकर अपने पोते मनु को देते हुए बोलीं,” ले खेल मेरे लाल…अपनी दादी के बाल-गोपाल..।वंशिका रोने लगी।तभी उसकी अंजू बुआ आ गई और उसके हाथ में चाॅकलेट देकर उसे पुचकारती हुई बोली,” कल मैं अपनी लाडो के … Read more

शिक्षक का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” आप क्या कह रहे हैं रामलाल..ये शादी तो आपने ही तय की थी और आप ही…।शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल तो नहीं कि जब चाहा तोड़ दिया..।” ओमप्रकाश जी हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में बोले।तब अकड़ते हुए रामलाल बोले,” भाई..#इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती है।प्रशांत तो एक टीचर है..उसकी भला क्या … Read more

मनचाहा साथी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       बेला के पति शेखर ने उसे बताया कि मेरा तबादला जबलपुर हो गया है तो वो खुशी-से फूली नहीं समाई,” अरे वाह! वहाँ तो मेरी सहेली प्रभा रहती है..अब तो मैं रोज उसके साथ गप्पे मारा करूँगी…।”    ” हाँ-हाँ..मारती रहना गप्पे लेकिन पहले जाने की तैयारी तो करो..।” कहकर शेखर ऑफ़िस चले गये और वो … Read more

 गलती – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 दूसरों की गलती निकालना और उस गलती की भरपाई या सुधार के लिये उसे बाध्य करना इंसान की फितरत होती है।मालती का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही था।ठेले पर चुन-चुनकर फल- सब्ज़ियाँ खरीदना और बेचने वालों से मोल-भाव कराने में उसे बहुत आनंद आता था।खुद चाहे फ़्रीज़ में दस दिन तक पालक सड़ाकर फेंक दे … Read more

 ज़माने की खबर हमें भी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” साक्षी बेटी..जल्दी-से तैयार हो जा…, कल तूने जिस लड़के की प्रोफ़ाइल देखकर मुझे नंबर दिया था ना..उससे मैंने बात की..वो लोग तैयार हैं…मैंने उन्हें तीन बजे इंपीरियल होटल में आने को कह दिया है..होटल में भी फ़ोन करके टेबल भी बुक कर दिया है..अब तू देर मत कर…।” कहते हुए मनोरमा बहुत उत्साहित थी। … Read more

 मेरी लक्ष्मी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” हाय राम! फिर से बेटी…मेरी तो#तकदीर फूट गई…।” कहते हुए गिरिजा जी ने अपने दोनों हाथों से माथा पकड़ लिया और धम्म..से सोफ़े पर बैठते हुए बड़बड़ाई, न जाने मैंने कौन-सा पाप किया था जो… विवाह के पाँच बरस बाद भी जब गिरिजा जी की गोद सूनी ही रही तब उनके पति बोले,” शायद … Read more

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