शिक्षक का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi
” आप क्या कह रहे हैं रामलाल..ये शादी तो आपने ही तय की थी और आप ही…।शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल तो नहीं कि जब चाहा तोड़ दिया..।” ओमप्रकाश जी हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में बोले।तब अकड़ते हुए रामलाल बोले,” भाई..#इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती है।प्रशांत तो एक टीचर है..उसकी भला क्या … Read more