हेयर ड्रायर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  हम लड़कियाँ जब स्कूल से काॅलेज़ में आते हैं..फ़्राॅक से एकाएक सलवार-सूट परिधान में खुद को बहुत बड़ा और फ़ैशन की सभी वस्तुओं का उपयोग करने के काबिल समझने लगते हैं।मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था।मेरी अलमारी के रैक पर किताब- कपड़ों के साथ-साथ सेंट और नेलपाॅलिश की शीशियाँ भी नजर आने लगीं … Read more

मातृत्व-एहसास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 कुछ दिनों पहले तक जिस ‘कमला निवास ‘ में खुशियों के गीत गूँजते थे, वहाँ आज मातम छाया हुआ था।आने-जाने वाले लोगों का ताँता लगा हुआ।         घर के बड़े हाॅल के फ़र्श पर एक आठ वर्ष का बालक चिरनिद्रा में सोया हुआ था और उसकी माँ मालिनी उससे लिपटकर रोये जा रही थी,” अंशु, मेरे … Read more

रिश्तों में विश्वास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     ” मेरा विश्वास कीजिये मम्मी जी, मेरी गोद में दीपक का ही बेटा है।हम दोनों ने दो साल पहले ही मंदिर में जाकर शादी कर ली थी।उसने कहा था कि समय आने पर मैं खुद ही तुम्हें अपने घर ले जाऊँगा लेकिन वो नहीं आया और अब तो मेरा फ़ोन भी..।” कहते हुए श्रुति की … Read more

अपनी डोर किसी के हाथ नहीं देना – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        ” मुझे माफ़ कर दीजिये डाॅक्टर सिद्धार्थ, मैं आपके इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकती।आपने जो कुछ मेरे लिये किया..मुझे यहाँ तक पहुँचाया..इसके लिये मैं सदैव आपकी आभारी रहूँगी लेकिन आपके साथ विवाह नहीं कर सकती..अब मैं..।” कहते हुए साक्षी ने नम आँखों से अपने दोनों हाथ जोड़ लिए।     ” नहीं-नहीं साक्षी, आप माफ़ी … Read more

नियंत्रण – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      सुनंदा के पति एक व्यवसायी थी।उनका काम अच्छा चल रहा था।अचानक उन्हें अपने व्यापार में बहुत मुनाफ़ा होने लगा।घर में लक्ष्मी की वर्षा होने लगी, फिर तो वो # आसमान पर उड़ने लगी।अनाप-शनाप चीज़ों पर पैसा खर्च करने लगी। उसका बेटा अंशु उससे पचास रुपये माँगता तो वो उसे सौ रुपये थमा देती।धीरे-धीरे अंशु की … Read more

हाथ का मैल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” दीदी..इसमें कंजूसी की क्या बात है..मोजे तो ठीक ही हैं, बस ज़रा इलास्टिक ही तो…।फिर बेटी स्कूल पढ़ने जाती है,मोजे दिखाने तो नहीं..।” मालती अपनी जेठानी सुलेखा को समझाने लगी लेकिन हमेशा की तरह सुलेखा ने उसकी बात को अनसुना कर दिया।         सुलेखा का मायका धनाड्य था और पति महेश एक व्यवसायी।पैसे की कमी … Read more

बड़प्पन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” भाभी..बच्चे हैं…आपस में झगड़ते हैं और पल भर में सुलह भी कर लेते हैं।आप बिना बात के ही इतना…।” मिनी अपनी भाभी को समझाने का प्रयास कर रही थी कि बीच में ही उसकी भाभी नंदा लगभग चीखते हुए बोली,” बच्चे हैं तो क्या..आखिर मेरा अंश उससे बड़ा है…इस रिश्ते का तो उसे ख्याल … Read more

अंगारे फूल बन जाएँगे.. – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” कितनी भी कोशिश कर ले दीपा…तेरे बेटे का कुछ नहीं होने वाला..अंधा है..इसे तो जन्म के समय ही मार…।” ” बस कीजिए दीदी..जैसा भी है..मेरा बेटा है..मेरे शरीर का हिस्सा है..।” अपने छह साल के बेटे के लिए जेठानी मालती की जली-कटी बातें सुनकर दीपा तड़प उठी थी।वह मनु को लेकर कमरे में चली … Read more

दूर के ढ़ोल सुहावने – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  ” चल भाग यहाँ से…।” डाँटते हुए रुक्मिणी जी अपनी चार वर्षीय पोती वंशिका के हाथ से खिलौना छीनकर अपने पोते मनु को देते हुए बोलीं,” ले खेल मेरे लाल…अपनी दादी के बाल-गोपाल..।वंशिका रोने लगी।तभी उसकी अंजू बुआ आ गई और उसके हाथ में चाॅकलेट देकर उसे पुचकारती हुई बोली,” कल मैं अपनी लाडो के … Read more

शिक्षक का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” आप क्या कह रहे हैं रामलाल..ये शादी तो आपने ही तय की थी और आप ही…।शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल तो नहीं कि जब चाहा तोड़ दिया..।” ओमप्रकाश जी हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में बोले।तब अकड़ते हुए रामलाल बोले,” भाई..#इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती है।प्रशांत तो एक टीचर है..उसकी भला क्या … Read more

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