दूर के ढ़ोल सुहावने – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  ” चल भाग यहाँ से…।” डाँटते हुए रुक्मिणी जी अपनी चार वर्षीय पोती वंशिका के हाथ से खिलौना छीनकर अपने पोते मनु को देते हुए बोलीं,” ले खेल मेरे लाल…अपनी दादी के बाल-गोपाल..।वंशिका रोने लगी।तभी उसकी अंजू बुआ आ गई और उसके हाथ में चाॅकलेट देकर उसे पुचकारती हुई बोली,” कल मैं अपनी लाडो के … Read more

शिक्षक का सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” आप क्या कह रहे हैं रामलाल..ये शादी तो आपने ही तय की थी और आप ही…।शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल तो नहीं कि जब चाहा तोड़ दिया..।” ओमप्रकाश जी हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में बोले।तब अकड़ते हुए रामलाल बोले,” भाई..#इज्जत इंसान की नहीं, पैसे की होती है।प्रशांत तो एक टीचर है..उसकी भला क्या … Read more

मनचाहा साथी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       बेला के पति शेखर ने उसे बताया कि मेरा तबादला जबलपुर हो गया है तो वो खुशी-से फूली नहीं समाई,” अरे वाह! वहाँ तो मेरी सहेली प्रभा रहती है..अब तो मैं रोज उसके साथ गप्पे मारा करूँगी…।”    ” हाँ-हाँ..मारती रहना गप्पे लेकिन पहले जाने की तैयारी तो करो..।” कहकर शेखर ऑफ़िस चले गये और वो … Read more

 गलती – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 दूसरों की गलती निकालना और उस गलती की भरपाई या सुधार के लिये उसे बाध्य करना इंसान की फितरत होती है।मालती का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही था।ठेले पर चुन-चुनकर फल- सब्ज़ियाँ खरीदना और बेचने वालों से मोल-भाव कराने में उसे बहुत आनंद आता था।खुद चाहे फ़्रीज़ में दस दिन तक पालक सड़ाकर फेंक दे … Read more

 ज़माने की खबर हमें भी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” साक्षी बेटी..जल्दी-से तैयार हो जा…, कल तूने जिस लड़के की प्रोफ़ाइल देखकर मुझे नंबर दिया था ना..उससे मैंने बात की..वो लोग तैयार हैं…मैंने उन्हें तीन बजे इंपीरियल होटल में आने को कह दिया है..होटल में भी फ़ोन करके टेबल भी बुक कर दिया है..अब तू देर मत कर…।” कहते हुए मनोरमा बहुत उत्साहित थी। … Read more

 मेरी लक्ष्मी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” हाय राम! फिर से बेटी…मेरी तो#तकदीर फूट गई…।” कहते हुए गिरिजा जी ने अपने दोनों हाथों से माथा पकड़ लिया और धम्म..से सोफ़े पर बैठते हुए बड़बड़ाई, न जाने मैंने कौन-सा पाप किया था जो… विवाह के पाँच बरस बाद भी जब गिरिजा जी की गोद सूनी ही रही तब उनके पति बोले,” शायद … Read more

चैन की नींद – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” लो बेला..पानी पी लो..आज तो लगता है..बहुत थक गई हो..।” बेला को पानी का गिलास थमाते हुए रामनाथ ने पूछा तो वो पानी पीते हुए नीचे बैठ गई और बोली,” हाँ भईया..आज हम महिलाओं को सीमेंट की बोरियाँ भी ढ़ोनी पड़ी थी..पर कोई बात नहीं..रूही और आपको देखकर सारी थकान उतर गई..मैं अभी खाना … Read more

 गिरह : विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” सुलोचना जी..सैर करने जा रहा हूँ..अपनी फ़रमाईशों की लिस्ट दे दीजिये…लौटते वक्त सब लेता आऊँगा…।” थोड़े ऊँचे स्वर में गिरधारी लाल जी अपनी पत्नी से बोले तो सुलोचना जी रसोई से निकलीं और उन्हें कपड़े के थैले के साथ एक पर्ची थमाती हुई बोलीं,” लिस्ट के साथ थैला दे रही हूँ..प्लास्टिक की थैलियों में … Read more

बस करो माँ.. – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” रचना बेटी..तू पहले ही दिन अपने पति को मुट्ठी में कर लेना…किचन में तू बिल्कल नहीं जाना…हमने तो…।” कावेरी जी अपनी भतीजी को ज्ञान की#पट्टी पढ़ाने लगीं। रचना कावेरी के बड़े भाई की बेटी थी।उसकी शादी एक सम्पन्न घराने में तय हो गई थी।विवाह की तिथि के एक सप्ताह पहले ही उसकी बुआ उसके … Read more

अपने मन की सुनो – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

ड्राॅइंग रूम के सोफ़े पर बैठकर श्रुति टेलीविज़न पर कार्टून शो देख रही थी।फिर वो रिमोट से चैनल बदलकर न्यूज़ देखने लगी।एक रिपोर्टर बोल रही थी,” आतंकवादियों ने धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों पर गोलियाँ बरसा दीं..।उसने तुरन्त टीवी बंद कर दिया और पास बैठे अपने पिता से बोली,” पापा..कल स्कूल में मेरी एक सहेली कह … Read more

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