बद्दुआ दुआ बन जाती है – विभा गुप्ता
” बस दीदी..आप बहुत बोल चुकीं..मैं जब से इस घर में आई हूँ, आप मुझमें कोई न कोई कमी निकालती ही रहीं हैं।फिर मेरी बेटी को..।ये भी नहीं सोचती कि वो आपके ही देवर की बेटी है।और आज तो आपने श्रद्धा को..।” कहते हुए आनंदी का गला भर आया। ” तो फिर यहाँ से चली … Read more