मैं तो पराए घर से आई हुं ! – स्वाती जैंन

मम्मी जी , आप ही करिए अपनी बेटी के बेटे का काम , मुझसे कोई उम्मीद मत रखिए , आखिर इसकी नानी आप हैं , फिर क्यूं कब से चिल्ला रही हैं कि शिविन के लिए टिफिन बना दो , शिविन आपका नातिन हैं तो आप ही टिफिन बना लिजिए उसका झल्ला कर बोली राखी … Read more

अर्धांगिनी हुं मैं तुम्हारी !! – स्वाती जैंन

अर्धांगिनी , नहीं नौकरानी हो तुम , मेरा सब काम करती हो , मेरे लिए खाना बनाती हो , मेरे बच्चों को देखती हो इसलिए इस घर में हो और वैसे भी तुम्हारे मायके में तुम्हारे माता पिता भी नहीं हैं तो वहां भी कौन रखेगा तुम्हें ?? इसलिए तुम पर तरस खाकर तुम्हें यहां … Read more

मेरे गहने बिकवाकर भी चैन नहीं पड़ा तुम्हें !! – स्वाती जैंन

विक्रम के फोन की स्क्रीन पर राही का नाम देखकर निशा का माथा ठनका , फोन की घंटी लगातार बजे जा रही थी , बाथरूम से विक्रम बोला – निशा फोन देखना जरा , कौन हैं ?? निशा बहाना बनाकर बोली – जी कट हो गया , बाद में आप देख लीजिएगा !! राही का … Read more

आप बहू को चढ़ाए गहने कैसे उतरवा सकती हैं ?? – स्वाती जैंन

केतकी , तुम तो इन गहनों को मांजी से भी ज्यादा संभाल कर रख रही हो , थोड़े दिनों में मांजी यह गहने तुमसे वापस लेने वाली हैं जेठानी सुमन अपनी देवरानी केतकी से बोली !! केतकी हैरानी से बोली – यह क्या कह रही हो भाभी ?? मुझे शादी में चढ़ाए हुए गहने भला … Read more

बुढ़ापे की लाठी एक बहू ही होती है !! – स्वाती जैंन

नहीं नहीं कामिनी , तुम जितनी सीधी- सादी समझती हो उतनी सीधी नहीं हैं मेरी बहू , अरे बड़ी चंट हैं वह , अब जो घर में रहता हैं वहीं जानता हैं , हम तो सारे भेद जानते हैं उसके मगर अब अगल बगल वालो से क्या बातें करना वह भी अपने ही घर की … Read more

शायद माँ हमें माफ कर दें – स्वाति जैन

“पापा, यह क्या? मेरी पत्नी मेरी — मेरी पत्नी लगा रखा है आपने! आपकी पत्नी कोई अनूठी फरिश्ता या परी नहीं है। जब से आए हैं, एक ही राग लगाए बैठे हैं — राखी बांध दी कि इस घर में हिस्सा नहीं देंगे, इन पैसों पर तुम्हारा कोई हक नहीं है, मैं तो मेरे घर … Read more

दीदी , आपने अपना रिटायरमेंट अपने हाथों से बिगाड़ दिया !! – स्वाती जैंन

अरे बहू , क्या खीं – खीं करके दाँत दिखाके हंसे जा रही हो , इतना भी नहीं जानती कि अभी शादी करके महिना भर ही हुआ हैं तुमको ?? अपने ससुराल वालों के साथ बात करते समय लज्जा – शर्म होनी चाहिए यह भी नहीं सिखाया क्या तुम्हारी मां ने तुमको ?? सरोज जी … Read more

भाभी की बेटी तो फ्री की नौकरानी हैं !! – स्वाती जैंन

इस अनाथ को तू यहां अपने घर क्यों ले आई हैं , मेरे घर को अनाथाश्रम समझ के रखा हैं क्या ?? तेरे भाई की बेटी की इस घर में कोई जगह नहीं समझी , तेरे गरीब मायके वाले तुझे ही मुबारक , मैं कह देती हुं कि इसे जहां से लाई हैं , वहीं … Read more

आपके हाथ का बना खाना डस्टबिन के लायक हैं !! – स्वाती जैंन

पुरा मुड़ खराब हो गया सुबह सुबह , मम्मी यह कैसा आलू पराठा बनाया हैं तुमने ?? ना नमक का स्वाद ना मसालों का स्वाद , इससे अच्छा होता कि मैं आलू पराठा बाहर ही खा लेता , मैंने कल शाम को कितना प्यार से तुमसे कहा था कि कल नाश्ते में करारेदार आलू पराठा … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे !! – स्वाती जैन :  Moral Stories in Hindi

कुछ तो गड़बड़ हैं शालू की मां ,वर्ना इतने दिन शालू हमसे बात किए बिना रह ही नहीं सकती , चार दिन हो गए शालू हमारा फोन नहीं उठा रही और ना वापस फोन कर रही हैं , दामाद जी को फोन किया तो कह रहे थे शालू की थोड़ी तबीयत खराब हैं इसलिए वह … Read more

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