जहां चाह वहां राह – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

आज दीप्ति असमंजस में थी। वह जिस जगह खड़ी है वही उसके जीवन में बहुत पहले घटित हो चुका था। आरोही और आरव दोनों दीप्ति के जुड़वा बच्चे थे। दोनों बच्चे साथ- साथ बड़े हुए। दोनों बच्चे संस्कारी एवं पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। देखते-देखते कब बारहवीं पास कर लिये, पता ही नहीं चला।  दोनों … Read more

कुढ़न – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

यह क्या अनु..!! तुम तो अभी आई हो, और आते ही रसोई घर का काम करना शुरू कर दिया…? पहले चाय पानी पियो..! इसके बाद थोड़ा आराम करो। काम तो हमेशा बना ही रहता है, हजारों किलोमीटर का सफर तय करने के बाद थकावट तो लग रही होगी । ससुर जी बोले।  एसी 3 टायर … Read more

मुंँहबोली बहन – सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

आओ मेरी प्यारी बहना….! जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो, बिल्कुल मेरी जिंदगी बदल सी गई है। मेरी अपनी भी बहन हैं, वह भी मुझे इतना मान नहीं देती है जितना तुम मेरा ख्याल रखती हो..! शुभम की पत्नी सोनम भी हां में हां मिलाते हुए बोली -बिल्कुल सही कहा आपने‌..! मेरी अपनी … Read more

प्रवंचना – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

सुरभि….! कैसी हो बेटा। अब पहले से बेहतर हूंँ मम्मा..!ओ मेरी राजदुलारी…! कहते हुए एकता ने सुरभि को गले से लगा लिया। एकता कल शाम का वह हादसा बिल्कुल भूल नहीं पा रही थी, उसके जेहन में वह घटनाक्रम चलचित्र बनकर उभर रहे थे।  उसे सबसे ज्यादा अपनी बेटी सुरभि की फिकर थी। कहीं इस … Read more

प्रत्यागमन – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

बिपाशा क्या कर रही हो..? यह करने से पहले मुझसे पूछा होता, लवली भाभी बोली।  भाभी यह छोटे-मोटे काम के लिए आपसे क्या पूछना.. अपना घर है, इसलिए मैं खुद ही कर रही हूंँ। नहीं बिपाशा दीदी ..! कौन सामान कहांँ रखना है यह तुम अपनी पसंद से नहीं मुझसे पूछ कर ही रखोगी..? “भाभी … Read more

सुचिता – सुनीता मुखर्जी श्रुति : Moral Stories in Hindi

अपने देवर संजय की शादी के लिए बहुत जोर शोर से तैयारियां कर रही थी । लड़की इसी शहर की थी, इसलिए शॉपिंग करने के लिए नीतू को भी साथ ले लिया । सासु मां नाक, मुंह सिकुड़ने लगी । बोली, शादी के पहले यह सब ठीक नहीं लग रहा है।  तुम उसका अभी से … Read more

 फैसला :  सुनीता मुखर्जी श्रुति : Moral Stories in Hindi

लतिका बिटिया कबे आई हो शहर से..? खेतों की पगडंडी पर चलते-चलते बगल वाली चाची ने पूछा। कल ही आयी हूँ चाची..। “अभी तो रहियो कि चली जइयो…!  “चाची परीक्षा हुई गइ है अब हीं रहिए- लतिका बोली।”  लतिका अपने गांव की एकमात्र ऐसी लड़की थी जिसने अपने गांव से बाहर निकल कर पढ़ाई की … Read more

लालच – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

अक्षरा..!! इतनी जल्दी-जल्दी घर मत आया करो..! ऐसा नहीं है तुम्हारे आने से मुझे अच्छा नहीं लगता, लेकिन इतना दूर से आने- जाने में बहुत पैसा खर्च होता है। वह पैसा कहीं और काम आएगा। मांँ सुनंदा बोली। अक्षरा ने कहा मांँ साल में दो बार ही तो आती हूँ, मुझे भी तो मन करता … Read more

एक कुटुंब ऐसा भी – सुनीता मुखर्जी “श्रुति”Moral Stories in Hindi

“चाची..तुम तो रहने ही दो..! मैं कर देता हूंँ प्रथम बोला।” चाची की मदद करने के लिए साक्षी भी दौड़ती हुई आई। मुझे बताओ चाची मैं तुम्हारी मदद करती हूंँ। आज चाची ने रसोई के ऊपर चढ़कर साफ- सफाई का अभियान शुरू कर रखा था। दोनों बच्चे चाची से बहुत स्नेह करते थे।  “तुम लोग … Read more

बंदनीया – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

सुहाना एक व्यापारी की बेटी थी। पिताजी का अपना व्यापार था। तीन भाइयों के बीच अकेली बहन थी। पढ़ने लिखने में औसतन, फिर भी उसे कुछ कर दिखाने की चाहत थी।  एक दिन मां से बोली- मुझे अध्यापिका बनना है। मां ने सहमति में अपना सिर हिला दिया और कहा- बेटा,अपने कैरियर का बहुत सोच … Read more

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