न बिट्टी न – सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

न बेटी न…! ऐसा मत सोचना। तुम इस दुनिया की सबसे खूबसूरत ईश्वर की रचना हो। तुम में वह सभी अच्छाई समाहित हैं जिसकी लोग कल्पना करते हैं। और रही बात रंग रूप की…. यह भी कहां स्थाई है, आज है कल चला जाएगा।  मणिमाला – मैं सुंदर नहीं हूंँ, लोग मेरा उपवास उड़ाते हैं। … Read more

रिटायरमेंट – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

यह क्या समृद्धि…! तुम पढ़ाई करने बैठ ई । घर के कामकाज कौन निपटाएगा..?? जाओ भाभी के साथ घर के काम करो।  रही बात पढ़ाई लिखाई की उसकी अब तुम कल्पना भी मत करो..!  तुमको जितना पढ़ना था, पढ़ लिया। अब घर- गृहस्ती संभालो। स्वास्तिक ने बहुत सख्त लहजे से कहा।  समृद्धि बोली- हम अभी … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे – सुनीता मुखर्जी “श्रुति”

चल हटटटठ..! जा यहांँ से… !! कितनी बार बोल चुका हूँ, लेकिन, कान पर जूंँ नहीं रेंग रही है, कैसी औरत है यह…? चौकीदार चिल्लाते हुए बोला। दीपशिखा ऑफिस के सामने खड़ी चौकीदार से बार-बार अंदर जाने की गुहार लगा रही थी। चौकीदार उसे अंदर नहीं जाने दे रहा था। इस बार चौकीदार ने सख्त … Read more

जहां चाह वहां राह – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

आज दीप्ति असमंजस में थी। वह जिस जगह खड़ी है वही उसके जीवन में बहुत पहले घटित हो चुका था। आरोही और आरव दोनों दीप्ति के जुड़वा बच्चे थे। दोनों बच्चे साथ- साथ बड़े हुए। दोनों बच्चे संस्कारी एवं पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। देखते-देखते कब बारहवीं पास कर लिये, पता ही नहीं चला।  दोनों … Read more

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