ससुराल में मायका… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…सुर्ख लाल होंठ… खूबसूरती से तराशे गए उन होठों पर झूलता नथ… नाक तक खींचे गए घूंघट की ओट से बस यही तो दिख रहा था… इतना सा दृश्य काफी भी था, किसी के भी मन में वह पूरा चेहरा देख लेने की चाहत जगाने को…  शाम की आरती हो रही थी… पूरा मंदिर भक्तों … Read more

 जिम्मेदारी… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…पूरे तेरह लोगों का टिकट कटाया था अनिल ने… संजोग से दो टिकट दूसरे डब्बे में मिल गए…  मां, पापा, भैया, भाभी, दीदी, जीजा जी, खुद वह उसकी पत्नी सुधा, और साथ में सबके बच्चे… सभी को एक डिब्बे में बिठा… वह भैया के साथ दूसरे डब्बे में चला गया…  बड़ा लंबा सफर था… पूरे … Read more

 गिरजा बुआ… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“जा…गिरजा बुआ को बुला ला… तुझसे नहीं होगा…!” कोई भी शादी ब्याह हो… तीज त्यौहार हो या फिर जन्म मरण… बिना गिरिजा बुआ के तो पूरा माहौल ही सुना हो जाता था… मंडप सजाने से लेकर… रंगोली बनाने… गीत गाने से लेकर अपनी चटपटी बातों से महफिल जमाने में गिरजा बुआ से बेहतर कोई नहीं … Read more

मौन स्वीकृति… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”रितु उसे गोद ले ले बेटा… देख तो कब से रोए जा रहा है… तुम्हारी भाभी अंजना किचन में है ना…!” रितु ने आशु को उठाकर गोद में ले लिया… कल फिर आशु के पैर के पास चीटियों की लाइन चली जा रही थी…  कनक लता जी ने देखा तो चिल्ला पड़ीं…” रितु बाबू को … Read more

बच्चा बूढ़ा एक समान… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”अम्मा आज सुबह से शाम होने को आई… आप कुछ खाती क्यों नहीं… कुछ तो खा लीजिए… ऐसे तो बीमार पड़ी रहती हैं… अब क्या इरादा है… अम्मा… सुनती हो…कुछ तकलीफ़ हो तो वो भी बताएंगी तब ना जानूं…!” अम्मा ने आंचल आंखों पर डाल लिया… कुछ ना बोली… शाम को राहुल घर आया तो … Read more

 मुझे अलग रहना… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“हम फ्रिज का पानी नहीं पीते… हमारे यहां तो अभी भी मटका ही चलता है… जैसे फ्रिज में बोतल भर कर डालती हो… वैसे ही मटके में पानी भर दो… दो मटके हैं… दोनों भर कर रख देना…!”  पूरा दिन तो बस मटके भरने में ही निकल जा रहा था… ऊपर से खाना, बर्तन, घर … Read more

स्वार्थी संसार… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

खटाल के भीतर और बाहर कई लोग जमा थे… किशोरी लाल बारी बारी से गाय भैंसों का दूध निकाल रहा था… और सब में बांटता जा रहा था… उसके पास ही खड़ा उसका बेटा बबलू… हर आने जाने वाले को ललचायी आंखों से देखता रहता…  किशोरी लाल जब तक डब्बा भरता वह लड़का नजर गड़ाए … Read more

झूठ का बोझ… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“…और कितनी देर लगाओगी… जल्दी करो ना… मां पापा के आने का समय हो गया है…!” ” बस हो गया… दो मिनट और…!” क्रिस्टीना फिर से एक बार आईने में अपने को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली…” सब तो सही है…!” साड़ी के प्लेट पर हाथ फेर कर… एक बार अपने गालों को … Read more

चार शब्द… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

.…प्रिया मात्र पांच साल की थी… जब निखिल को जन्म देते हुए उसकी मां चल बसी… घर में चाची, बुआ, दादी सब थीं… पर मां की कमी तो फिर भी थी ही…  नन्हे निखिल को संभालने के लिए सभी प्रिया के पापा सौरभ जी से जिद करने लगे… सौरभ जी ने साफ मना कर दिया … Read more

इसके बाद क्या.… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

पूरे दो साल हो गए थे… अविनाश को अपाहिज हुए… एक हादसे में उसने अपनी दोनों टांगें गंवा दी…व्हीलचेयर पर जिंदगी खींचने को मजबूर अविनाश… अभी सिर्फ 32 साल का ही हुआ था…  तीन साल पहले… बड़ी ही धूमधाम से उसकी शादी अवंतिका से हुई थी… दोनों ने साल भर यहां-वहां घूम कर, खूब मस्ती … Read more

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