*पलायन* – पुष्पासंजय नेमा  : Moral Stories in Hindi

लेटे लेटे बरबस  ही आलोक  की ऑखे नम हो गईं  और ऑसू लुढ़क  कर गालो तक बह गए छः माह  तो हँसी  खुशी और  उल्लास  से कट गए  लेकिन वाकी का वक्त  बोझिल  लग रहा था वीडियो काल पर मां  से बात  करते करते मन उदास  हो गया और  अतीत के महासमुंदर मे गोते लगाने … Read more

साँवली – पुष्पासंजय नेमा : Moral Stories in Hindi

  रोज की तरह  आज  फिर सब ऑगन  मे बैठ कर  सुबह  की गुनगुनी  धूप  का आनन्द  ले रहे थे इतने मे बाबूजी की कड़कदार आवाज  से साँवली  के हाथ  से गरम चाय  की पतीली छूट  गई  उसने झटपट  दूसरी चाय  बनाई और लेकर  गई  बाबूजी लीजिए  चाय  माफ कीजिए  आज  थोड़ी देर  हो गई  बाबूजी … Read more

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