बद्दुआ – प्रतिमा श्रीवास्तव

अम्मा भूखी हूं दो दिन से कुछ खाने को दे दो। मेरे बच्चों ने भी कुछ नहीं खाया है। दरवाजे पर खड़ी एक भिखारिन जो भूख से तड़प रही थी और उसकी आवाज भी धीमी सी पड़ने लगी थी।बार – बार पूकार रही थी तभी घर की मालकिन सरोजा जी बाहर आईं और उस पर … Read more

आग में घी डालना – प्रतिमा श्रीवास्तव

आग में घी डालना( लघुकथा) सासू मां को मैं फूटी आंख नहीं सुहाती थी। किसी तरह उनके दिल में जगह बनाना शुरू ही किया था कि छोटी ननद आकर मेरे खिलाफ भड़का दी थी। उस दिन मुझे बहुत दुख हुआ था कि बहू कितनी भी कोशिश कर ले ससुराल को अपना बनाने की लेकिन उसे … Read more

सपनों का आशियाना – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रवि और मेघा ने जब नए घर की चाभी सुरेश जी और सुधा जी को देते हुए कहा कि,” पापा – मम्मी जिस घर का सपना आप हमेशा से देखा करते थे अब पूरा हो गया।ये लीजिए अपने सपनों के आशियाने की चाभी। ” सुरेश जी की आंखें नम हो गई और सुधा जी के … Read more

वादा निभाना – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बड़े भइया घर में घुसते ही चिल्ला रहे थे कहां है मधु? । चारों तरफ ऐसा सन्नाटा पसरा था की सब की जुबान पर मानो ताला लग गया हो। मां जी के बाद अगर पूरा परिवार किसी से डरता था तो वो थे बड़े भइया सुधाकर से। अरे! ” सुधाकर क्यों घर आसमान पर उठा … Read more

बोझ नहीं डालना – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रात के सन्नाटे को चीरती हुई एक ऐसी खबर आई थी की मां बाप को पूरी तरह तोड़ गई थी। कोचिंग सेंटर से एक विद्यार्थी मनीष जो मेरे बेटे संदीप का मित्र था, उसने बताया की “संदीप ने खुदकुशी करने की कोशिश की है। अंकल वो अस्पताल में भर्ती है आप जल्दी से आ जाइए।” … Read more

मां का घर – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बड़ी नासमझ थी मैं समझती थी की मां का मायका है ये तो नानी का घर है।घर तो वो है जहां हम सभी एक साथ रहते हैं लेकिन जब मां को उनके मायके में देखा तो अहसास हुआ की सही मायने में यही घर मां का है। यहां मां की अपनी पहचान है। नानी को … Read more

आप अपने बेटों के साथ क्यों नहीं रहते – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“आप अपने बेटों के साथ क्यों नहीं रहते ” रमन के इस सवाल ने कैलाश जी को झकझोर दिया था। “मैं एक पिता हूं ना की कोई चीज जिसे घर का एक कोना तो दे दिया जाता है लेकिन दिलों में स्थान नहीं। जहां हर पल मेरे सम्मान को ठेस लगती है। कभी हमारे पहनावे … Read more

बीवी का गुलाम – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“बहू क्या कान भरे हैं तुमने मेरे बेटे के जो आज उसने मुझसे सवाल जबाव करने की हिम्मत की है ” कुसुम जी बौखलाई हुई मीता के पास आईं।जिस बेटे ने मेरे सामने निगाह उठा कर भी बात नहीं किया आज वो तुम्हारी वकालत करने को खड़ा हो गया है। कुसुम जी के इगो पर … Read more

हमारी ही जिम्मेदारी हैं सास – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दीदी हमलोग बाहर जा रहें हैं, नहीं तो रख लेते अम्मा को। ये बात नई नहीं थी प्रीति के लिए उसकी देवरानी भाविका का हमेशा एक बहाना तैयार रहता था। प्रीति की सास उसके साथ ही रहतीं थीं लेकिन कभी भी जरूरत पड़ने पर सोचती की सासू मां को कुछ दिनों के लिए देवरानी के … Read more

बदलती ऋतु – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गर्मियां जा रहीं थीं और सर्द हवाओं ने लोगों को राहत दिया था। हल्की-हल्की फुहार मन के किसी कोने में दबे जज़्बातों को कुरेदने को बेकरार थी। आरुषि चाय की प्याली लेकर बरमादे में जमीन पर ही बैठ गई थी।आज उसके अतीत ने उसे झकझोर दिया था। मृदुल की यादों ने उसे एक पल भी … Read more

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