हमारी ही जिम्मेदारी हैं सास – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दीदी हमलोग बाहर जा रहें हैं, नहीं तो रख लेते अम्मा को। ये बात नई नहीं थी प्रीति के लिए उसकी देवरानी भाविका का हमेशा एक बहाना तैयार रहता था। प्रीति की सास उसके साथ ही रहतीं थीं लेकिन कभी भी जरूरत पड़ने पर सोचती की सासू मां को कुछ दिनों के लिए देवरानी के … Read more

बदलती ऋतु – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गर्मियां जा रहीं थीं और सर्द हवाओं ने लोगों को राहत दिया था। हल्की-हल्की फुहार मन के किसी कोने में दबे जज़्बातों को कुरेदने को बेकरार थी। आरुषि चाय की प्याली लेकर बरमादे में जमीन पर ही बैठ गई थी।आज उसके अतीत ने उसे झकझोर दिया था। मृदुल की यादों ने उसे एक पल भी … Read more

अपनों की पहचान – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

वक्त पड़ने पर ही पता चलता है कि कौन अपना है कौन पराया। कुछ भी कहो जो आपकी मुश्किल घड़ी में  काम आए वही रिश्ता ही अपना होता है। मनोज की पोस्टिंग मुम्बई में हुई थी।पूरा परिवार बहुत खुश था। बड़ा शहर चमक दमक, बात ही अलग थी। मनोज छोटे शहर से था तो उसकी … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

भाभी जी अपनी क्राकरी दे दीजिए मेरी सहेलियां आ रहीं हैं । गीता का ये आए दिन का धंधा था। उसकी मांगे और दिखावे की जिंदगी से पड़ोसी रमा परेशान हो चुकी थी।कई बार तो उसने उसे समझाने की कोशिश भी किया कि,” गीता हमारे पास जो है उसी में संतुष्ट रहना चाहिए ना की … Read more

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