दूसरी शादी – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“ये क्या कर रही है सरला….तू पागल तो नहीं हो गई….और तू सुधीर उसे समझाने के बजाय उसी का साथ दे रहा है…अरे कन्यादान करना बेटी के माता पिता का काम होता है, भला किसी सास ससुर को अपनी बहू का कन्यादान करते हुए देखा है कहीं तुमने…जो चले तुम दोनों मधु का कन्यादान करने….अरे … Read more

 सम्मान किसी पद या विभाग का मोहताज नहीं होता – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

सुबह की ठंडी हवा चल रही थी; कैलाश नाथ जी छत पर बैठकर सुबह की चाय का आनंद ले रहे थे और अखबार पढ़ते जा रहे थे कि तभी अखबार के एक पृष्ठ की हैड लाइन पर उनकी नजर पड़ी ‘प्रधानाचार्य कक्ष में बोर्ड परीक्षाएं देते विद्यार्थी पकड़े, कार्यवाही’ जब उन्होंने पूरी खबर पढ़ना शुरू … Read more

 मन की गांठ : प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

जैसे ही डोरवैल बजी सविता ने दरवाजा खोला, दरवाजे पर उसकी ननद नीरू खड़ी थी जिसे देखकर सविता चौंक गई क्योंकि आज वह 3 साल बाद आईं थी और वह भी बिना किसी पूर्व सूचना के, 3 साल पहले उनसे दोनों भाइयों सविता के पति पंकज और देवर धीरज का मनमुटाव हो गया था जिसके … Read more

काश आपने अपने बेटे को सीधी पट्टी पढ़ाई होती – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

” बेटा, तुम पढ़ी लिखी, समझदार हो…….तुम जो भी फैसला लेना चाहो ले सकती हो, हम तुमसे कुछ नहीं कहेंगे….” ममता ने अपनी बेटी प्रीती से कहा। “अरे ये क्या कह रही हो आप, अपनी बेटी को समझाने के बजाय उसे ही उल्टी पट्टी पढ़ा रही हो….”प्रीती की सास शोभना जी नाराज होते हुए ममता … Read more

आखिर मैं ही समझौता क्यों करूं – प्रतिभा भारद्वाज‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“बहू, कहां रह गईं थीं तुम अब तक……गौरी ने भी तुम्हें कितने फोन किए….लेकिन हर बार तुम्हारा ये उत्तर सुन सुन कर कि अभी आ रही हूं, अभी आ रही हूं…बेचारी थक गई और अब अपनी सहेली के साथ पार्लर गई है तैयार होने के लिए….पता नहीं वहां कितनी देर लगेगी….बारात निकलने में सिर्फ 1 … Read more

ननद भाभी तो सहेलियां होती हैं – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“भाभी!…आप गईं नहीं अभी तक…. मैंने आपसे कहा तो था फोन पर कि आप निकल जाना मुझे आने में देर हो जाएगी….” अंजली ने अपनी भाभी कामिनी से कहा। “अरे तो चली जाएगी….पूरा दिन पड़ा है….तू तो अब आई है सुबह से….अब ऐसे भला अच्छा लगता है कि बहन बेटी घर आएं तो घर की … Read more

गुनाहों का कभी प्रायश्चित नहीं होता – प्रतिभा भारद्वाज ’प्रभा’  : Moral Stories in Hindi

“मां जी क्यों न हम एक बच्चा गोद ले लें….” “बहू, तुम्हें होश भी है कि तुम क्या कह रही हो….बच्चा गोद ले लें…..तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि मैं किसी और का बच्चा गोद लेने के लिए मान भी जाऊंगी… ये बात अलग है कि तुम ही हमें बच्चे का सुख नहीं देना … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व को भूल गई थी – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“बेटा, तुम कब तक आओगे अब तो घर से ही ऑफिस का काम करना होता है तो यहीं आ जाओ….मेरी तबियत भी इन दिनों ऐसी ही चल रही है तो मुझे भी मधु का सहारा हो जाएगा….कामवालियों का सहारा था तो अब वो भी नहीं आ पा रहीं….” “नहीं मां, हम नहीं आ पाएंगे क्योंकि … Read more

‘ढलती सांझ और घर के बुजुर्ग एक समान होते हैं’ – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“मां, आज पेरेंट्स टीचर मीटिंग है” “हां, मुझे याद है, चलूंगी, वैसे भी तेरी शिकायतें सुनने से ज्यादा कुछ नहीं होता वहां…तुझे कितना भी समझा लो कि शैतानी मत किया कर, पढ़ाई में मन लगा लेकिन तुझे समझ ही नहीं आता…तैयार हो जाना 9 बजे तक…” वरुण और उसकी मां माधवी जैसे ही विद्यालय में … Read more

बहन किसी की भी हो बहन आखिर बहन होती है। – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’  : Moral Stories in Hindi

सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम होने को आई, सभी भाइयों की कलाई बहनों की राखी से सजी हुई थी लेकिन सुबोध का अभी तक कुछ पता नहीं था, उसकी बहन कृति थाली सजाए सुबह से उसका इंतजार कर रही थी और कई बार फोन भी कर चुकी थी लेकिन अब तो फोन भी … Read more

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