रिटायरमेंट – लक्ष्मी त्यागी

शाम का समय था ,चमनलाल जी ,के लिए फोन आया ,उन्होंने फोन उठाया ,दूसरी तरफ से उनके मित्र केशव लाल जी का फोन था, उलाहना देते हुए बोले -अरे यार! क्या कर रहे हो ?अभी तक यहाँ नहीं पहुंचे।  आ रहा हूँ ,कहते हुए उन्होंने तुरंत फोन रखा और बच्चों से बोले -जो कार्य मैंने … Read more

आपे से बाहर होना – लक्ष्मी त्यागी

सलोनी मध्यवर्गीय परिवार से थी , उसने अपने माता-पिता को बचपन से ही संघर्ष करते देखा था। वह भी उनका हाथ बटा देना चाहती थी। किसी तरह उसने स्नातक की परीक्षा दी और नौकरी करने लगी। ऐसा नहीं कि सलोनी शांत स्वभाव की थी बल्कि उसने अपने जीवन में,अपने आपको,छोटे बहन -भाई को छोटी-छोटी जरूरत … Read more

कर्मो का चक्र तो चलता ही रहता है। – लक्ष्मी त्यागी

शहर के भीड़ -भाड़ वाले इलाके में, एक नुक्क़ड पर ”राधेश्याम ” चाय वाले की दुकान थी। देखने में, वह साधारण सी दुकान थी। दुकान के शीर्ष पर एक पुराने बोर्ड पर ,लिखा हुआ था-” राधे श्याम चायवाला ” कहने को वह चाय वाला ही था लेकिन सुबह से शाम तक, उसको एक पल के … Read more

आंखों में धूल झोंकना – लक्ष्मी त्यागी :  Moral Stories in Hindi

 मालिनी’ और ‘शहनाज’ दोनों अच्छी दोस्त थी, दोनों साथ-साथ पढ़ती थीं, एक ही क्लास में थीं , उनकी दोस्ती कॉलिज में एक मिसाल थी। सभी उनकी दोस्ती की प्रशंसा करते थे, कॉलेज में ”दो सखियों” के नाम से, प्रसिद्ध थीं। दोनों में जीवन भर, दोस्ती निभाने का वादा किया था। दोनों की शिक्षा पूर्ण होने … Read more

ये गवार औरत ,मेरी माँ है। – लक्ष्मी त्यागी :  Moral Stories in Hindi

गौरव बड़े परिश्रम से पढ़ता था, ताकि वह अपनी माँ की उम्मीदों पर खरा उतर सके,उनके अरमानों को पूर्ण कर सके ,उसकी माँ बड़े परिश्रम से और लोगों से ऋण लेकर, उसे पढ़ा -लिखा रही थीं। गौरव के पिता एक अच्छी कम्पनी में  कार्यरत थे , उनके घर में खूब खुशियां और शांति थी। उन्हीं … Read more

ये गंवार औरत ,मेरी माँ है- लक्ष्मी त्यागी

गौरव बड़े परिश्रम से पढ़ता था, ताकि वह अपनी माँ की उम्मीदों पर खरा उतर सके,उनके अरमानों को पूर्ण कर सके ,उसकी माँ बड़े परिश्रम से और लोगों से ऋण लेकर, उसे पढ़ा -लिखा रही थीं। गौरव के पिता एक अच्छी कम्पनी में  कार्यरत थे ,उनके घर में खूब खुशियां और शांति थी। उन्हीं दिनों … Read more

आँखें नीची होना – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

ताराचंद जी ‘,टेलीविजन पर समाचार देख रहे थे ,तभी एक ऐसी खबर आई, जिसे देखकर ,उनकी ”आँखें नीची हो गयीं। ” और उन्होंने तुरंत ही टेलीविजन बंद कर दिया। तब अपने बेटे ‘प्रभात’ को बुलाया और उससे पूछा -क्या तुमने आज का ”समाचार- पत्र ”पढ़ा है ? नहीं तो….. आज ऐसी कौन सी ख़बर ख़ास … Read more

अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते? – लक्ष्मी त्यागी

रामपाल यादव जी, प्रतिदिन पार्क में टहलने के लिए जाते हैं वहीं पर उनके कुछ हमउम्र मित्र भी मिल गए जो कुछ सेवानिवृत हो चुके हैं या कुछ होने वाले हैं, सभी लोगों का एक समूह बन गया है और सब एक दूसरे से परिचित हो गए हैं ,हंसी -मजाक करने के साथ -साथ कॉलोनी … Read more

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