पता है…. – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

ऑफिस की सीढियां चढ़ ही रहा था कि पीछे दौड़ती आती पदचापों से थम सा गया मुड़ कर देखा तो अश्विनी था। थोड़ा ठहर तो अविनाश  तेरे पैदल चलने में भी वही रफ्तार है जो  तेरे ऑफिस काम करने के तरीके में है अरे इतनी जल्दी है तो लिफ्ट से आया जाया कर  तुझे पता … Read more

भीख नहीं दुआ – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गली और सड़क का वह दोराहा ।संकरी गली से बेहद कठिनाई से जब मैं अपनी कार निकाल कर सड़क के उस दोराहे पर पहुंचता वह स्त्री झट से अपना आंचल पसार कर खड़ी हो जाती।बेहद चिढ़ से मै कार का शीशा उपेक्षा से चढ़ाकर तेजी से आगे बढ़ जाता था। अक्सर वह मुझे वहीं खड़ी … Read more

सच्ची डोरियां – लतिका श्रीवास्तव

बस काठ की पुतली की तरह नाचते रहना कभी पिता तो कभी पति के इशारों पर।मुझे ऐसी जिंदगी नहीं चाहिए मां मै तो यहीं चाहती हूं मेरे इशारों पर कोई नाचे  मेरी डोर मेरे हाथों में ही रहे । प्राची की मिनमिन सुन कर मां मुस्कुरा उठी। बेटा ये नाचना और नचाना दोनों जीवन के … Read more

घूंघट के पट खोल – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

जब से नए पड़ोसी आए थे लोगों की जिंदगी में झांकने की मेरी दिलचस्पी को जैसे नए पंख लग गए थे।वैसे तो कुल पांच जने थे उनके घर में लेकिन चार कहना ज्यादा उचित होगा क्योंकि घर की लक्ष्मी  मतलब उनके घर की बहू लक्ष्मी अदिति  हमेशा अदृश्य अवस्था में ही रहती थी।नहीं नहीं नई … Read more

दृश्य बदल गया – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मेम साब चोरी मैने नहीं की है।विश्वास कीजिए मुझ पर। इतने सालों की मेरी ईमानदारी पर बट्टा मत लगाईए ।कितनी थू थू होगी मेरी। आपको अगर मुझे नौकरी से निकालना ही है तो मैं चली जाऊंगी लेकिन आरोप लगाकर मत हटाइए।मुझे कहीं भी काम नहीं मिल पाएगा। नहीं मोहिनी मेरा बेटा दिलीप कह रहा है … Read more

फिक्रमंद – लतिका श्रीवास्तव  : Moral Stories in Hindi

गुड मॉर्निंग अरुण भाई क्या बात है आज इतनी सुबह सुबह उठ गए नींद नहीं आई लगता है रात भर .. दरवाजा खोलते ही शोभित जी यूं टपक पड़े मानो रात भर से मेरे दरवाजे पर घात लगाए खड़े थे। कल शाम से तुम कहीं नजर ही नहीं आए मैने कई बार तुम्हारे घर की … Read more

…  ऐसा मैने सोचा था – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरी सुमित्रा मेरा बैंक बैलेंस और ये संपत्ति किसके लिए हैं मेरी बेटी माला के लिए ही तो हैं।देखना उसकी शादी इतनी धूमधाम से  करूंगा कि पूरा गांव याद रखेगा रामदयाल बिस्तर पर पड़ी अपनी पत्नी का हाथ थामते हुए दिलासा दे रहे थे। आपके मुंह में घी शक्कर जी।लड़का शांतनु तो बहुत अच्छा है।सगाई … Read more

सेल्यूट – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुबह से ही मां का रो रोकर बुरा हाल था।सुमेश को शाम तक बॉर्डर पर पहुंचने का हुक्म आ गया था।सुमेश एक महीने की छुट्टी लेकर घर आया था उसकी शादी जो थी। एक हफ्ते ही तो हुए है शादी के अभी तो नववधू सुलभा  हिल स्टेशन घूमने जाने की तैयारियां कर रही थी। अभी … Read more

 बांटने का सुख – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

लानत है तुम और तुम्हारी रूकी हुई जिंदगी पर ये भी कोई जिंदगी है ।फिर भी तुम इतने प्रसन्न रहते हो।दिन रात एक ही जगह पर खड़े रहना। कहीं आना ना जाना।अपनी फूटी तकदीर पर तुम्हे अफसोस तो होता होगा शिकायत तो होती होगी  मुझे देखो कितनी मेहनत करता हूं कितनी चिंताएं झेलता हूं जिंदगी … Read more

 उसकी क्या गलती है..!! : लतिका श्रीवास्तव  : Moral Stories in Hindi

गली के मोड पर कैब से उसे उतरते देख मै अपलक देखता रह गया था फिर उल्टे पांव वापिस आ गया ..साथ ही वापिस आ गईं वो सारी विस्मृतियां जिन्हें भूलने की गलतफहमी पाले मैं जिंदगी गुजार रहा था। पैंट के पॉकेट में किसी अनछुई अंगूठी को टटोल उठीं थीं मेरी उंगलियां और मन की … Read more

error: Content is protected !!