एक मुक्का – लतिका श्रीवास्तव

अन्ततः दांत के डॉक्टर के पास मुझे जाना ही पड़ा .. बकरे की मां कब तक खैर मनाती..!डेंटिस्ट के यहां से घर वापिस आकर बैठा ही था कि पड़ोसी श्यामलाल टपक पड़े।पत्नी से बर्फ लेकर दांत की सिंकाई के लिए तत्पर होता मैं असमय आए श्यामलाल को देख चिढ़ गया।आ गया घाव पे नमक छिड़कने। … Read more

अधूरी डायरी – लतिका श्रीवास्तव

हैप्पी रिटायरमेंट डे प्रभात जी के उठते ही नमिता जी ने चाय की प्याली के साथ ताजा गुलाब पकड़ाते हुए कहा तो प्रभात जी मुस्कुरा उठे। धन्यवाद श्रीमती जी आज तो मेरा स्वतंत्रता दिवस है चाय का कप उठाते हुए कह उठे। हां आज ही बस ऑफिस जाना है आपको।आज तो आराम से जाइए ऑफिस … Read more

इत्ती सी बात – लतिका श्रीवास्तव

शहर की व्यस्ततम सड़क। भारी ट्रैफिक ।आवाजाही का शोर।ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा में कतारबद्ध खड़ी गाड़ियां।आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। अनुराग का धैर्य समाप्ति पर था।उसका इंटरव्यू था ।टाइम पर पहुंचना कितना बहुमूल्य था आज समझ में आ रहा था उसे। कार की स्टीयरिंग में ठहरे हाथ उतावले हो रहे थे।सिग्नल के परमिशन की … Read more

बंद खिड़कियां – लतिका श्रीवास्तव

खूबसूरत शहर शानदार सड़कें सड़कों के किनारे विशाल अट्टालिकाएं उन्हीं में दड़बेनुमा फ्लैट्स में रहते परिवार । व्यस्तता की आंधी में गोते लगाते धनोपार्जन के चक्रवात में गिरते संभलते जीवन को जीने के यत्न करते परिवार। ऐसे ही एक मोहल्ले में रहने आई थी मधु । अकेले ही रह रही थी वह अपनी मंजिल के … Read more

मुख्य अतिथि

भव्य समारोह हो रहा था।चाक चौबंद व्यवस्था थी।पूरे शामियाने में तिल रखने की जगह नहीं थी। शहर के नवनियुक्त युवा कलेक्टर का आगमन होने ही वाला था। पुलिस की गाड़ियां सुरक्षा की दृष्टि से तैनात खड़ी थीं। शहर के नामचीन कॉलेज का वार्षिकोत्सव कार्यक्रम था।इस बार कार्यक्रम प्रभारी प्रोफेसर राजन थे जो बहुत गंभीर और … Read more

नाक का सवाल – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

देखिए जी कहे देती हूं गृहप्रवेश की पार्टी में जूलियस कैटरर को ही बुक करेंगे मेघा जी ने प्रसून जी से दृढ़ स्वर में कहा। जूलियस कैटरर !!हाईएस्ट प्राइज है उनकी मेघा।क्यों उतना खर्चीला लेना जब उससे बहुत कम में ही दूसरे काम करने को तैयार हैं प्रसून जी ने समझाने के स्वर में कहा। … Read more

तमाशा – लतिका श्रीवास्तव :

Short Story in Hind शहर का व्यस्ततम चौराहा….शाम का समय। भारी भीड़,आवा जाही का शोर,एक के बाद एक वाहनों का पैदल यात्रियों का अनवरत तांता लगा था। वहीं फुटपाथ पर एक स्त्री बेहद अव्यवस्थित वेशभूषा जीर्ण वस्त्रों से अपने तन को ढंक पाने में पूर्ण अक्षम हालात की मारी निढाल पड़ी थी।आती जाती  छिद्रान्वेषण करती … Read more

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