तिरस्कार कब तक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi
“लो आ गई मनहूस! नीमा की सौतेली मां शीला आँखे तरेर कर बोली!उनके पास बैठी सौतेली बहन सीमा दुपट्टे से मुंह ढांपकर खी खी कर हंसी उड़ाती बोली” भगवान जाने आज खाना नसीब होगा या नहीं,मनहूस की शक्ल जो देख ली”! नीमा के घर में घुसते ही मां बेटी जहरीले व्यंग बाणों से नीमा का … Read more