तिरस्कार कब तक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“लो आ गई मनहूस! नीमा की सौतेली मां शीला आँखे तरेर कर बोली!उनके पास बैठी सौतेली बहन सीमा दुपट्टे से मुंह ढांपकर खी खी कर हंसी उड़ाती बोली” भगवान जाने आज खाना नसीब होगा या नहीं,मनहूस की शक्ल जो देख ली”! नीमा के घर में घुसते ही मां बेटी जहरीले व्यंग बाणों से नीमा का … Read more

अब तो पड़ गई ना कलेजे में ठंडक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

आधी रात को सुरेश जी की तबियत बिगड़ी,सीने में दर्द,घबराहट,बेचैनी,रुकती सासें! उन्होंने बहुत कोशिश कर पास लेटी सुधा को बड़ी मुश्किल सेआवाज दी ! जब तक सुधा समझती कि आखिर हुआ क्या?सुरेश जी उसे और अपने दस साल के बेटे मयंक और आठ साल की बेटी नैना को बेसहारा छोड़कर इस दुनिया से चले गए!  … Read more

 जायदाद – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

मम्मी! बार बार फोन करके मुझे परेशान मत किया करें! सुनीता जी का बेटा सुयश लंदन से फोन करके कह रहा था”आप आधा घर किराए पर दे दें आपकी सिक्युरिटी भी रहेगी और महीने के पैसे भी आते रहेंगे! और सर्वेंट क्वार्टर में एक फैमली वाले को रख लो जिससे आपको डामेस्टिक हैल्प भी हो … Read more

  “रिश्तों के रंग–पैसों के संग” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

गोपाल जी की शानदार हवेली हजारों लाखों रंग बिरंगी लड़ियों की रोशनी से जगमगा रही थी!ठंडी हवा के साथ उड़ती फूलों की खुशबू फिजा में  नशा सा घोल रही थी! सरसराते लहराते रेशमी दुपट्टे,हीरे जवाहरातों की नुमाईश करते मेहमानों की आवाजाही तैयारी में चार चाँद लगा रही थी! मेहमानों को लेकर लंबी लंबी एक से … Read more

 हमारी दोनों बहुऐं बहनों जैसी रहती हैं – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“अरे! आओ जिज्जी! बड़े दिनों बाद चक्कर लगा!सब ठीक-ठाक तो है ना?”शीला जी ने बड़ी बहन मीना को टैक्सी से उतरते देख कर पूछा! “क्या बताऊं बहना दोनों बहुओं ने नाक में दम कर रखा है! उतरते ही शीला के गले लग कर रूआंसी होकर मीना ने अपनी रामकहानी शुरु कर दी! कहने को चचेरी … Read more

 आपको बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए : कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“मीना ओ मीना!अरे बहूजी कब तक सोती पड़ी रहोगी;आज की तारीख में चाय मिलेगी भी या ना?सुनते ही हड़बड़ाकर नमन की बाहों से अपने आप को जबरन छुड़ाती हुई मीना कपड़े और बालों को संभालती हुई कमरे से बाहर निकल आई! मीना के जाते ही झुंझलाकर नमन ने मन ही मन सोचा आज छुट्टी का … Read more

 संयुक्त परिवार – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“ब्याह और ज्वाइंट फैमिली में? ना बाबा ना मुझे नहीं ब्याहनी अपनी बेटी इतने बड़े से टब्बर में” मीना जी झुंझलाकर अपने पति नरेंद्र जी से बोली! “देखो जी कहे देती हूं मेरी बेटी के लिए कोई ऐसा लड़का देखो जो मां-बाप का इकलौता हो !हो भी तो बस ज्यादा से ज्यादा एक बहन!  हां … Read more

“खुदगर्ज औलाद” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

रमेश जी को रात में सीने में दर्द हुआ,पसीना आया और दिल घबराया!सीमा अकेली समझ नहीं पा रही थी इतनी रात किसे जगाऊं,कहां जाऊं,किसे बुलाऊं? बदहवासी में पड़ोसी मित्रा जी का ही ध्यान आया!कांपते हाथों से फोन लगाया सीमा की घबराई आवाज सुन कर  मित्रा दंपत्ति फौरन चले आए उन्होंने देखा तो बताया “हार्ट अटैक … Read more

स्वार्थी संसार – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“सुनो!ये रहे दो सौ रुपए !आज लौटते हुए अपनी दमा की दवाई जरूर लेते आना,रोज रात में खांसते खांसते बेहाल हो जाते हो!,मुझसे तो देखा नहीं जाता तुम्हारा हाल?शीला ने अपने पति जीवन से कहा! तभी स्कूलके लिए बाहर निकलते हुए उनके बेटे मनु ने मुंह बनाते हुए कहा “पापा! जल्दी से ये दो सौ … Read more

पुत्र मोह – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

ब्याह के दस साल बाद भी राजन और  उमा संतान सुख से वंचित रहे! संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने हर मंदिर में दिये जलाऐ,हर चौखट पर माथा टेका,हर मजार ,दरगाह पर चादर चढ़ाई,हर गुरूद्वारे पर अरदास लगाई! जाने कितने व्रत अनुष्ठान कराऐ! आखिरकार भगवान ने उन की सुन ली! उनके घर विनय के रूप में … Read more

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