आपसी मतभेद – कविता झा’अविका’   : Moral Stories in Hindi

शांति देवी कितनी खुश थीं जब उनके बड़े बेटे रूपल की शादी सुगंधा से हुई जो कि बहुत ही सुन्दर थी जिसे देखकर हर कोई शांति देवी से कहता…   “चांँद का टुकड़ा ले आई हो आप तो। बहुत ही प्यारी हैं आपकी बहू।” शांति देवी भी अपनी किस्मत पर इतराती। सुगंधा सुंदर तो थी ही.. … Read more

नौकरी वाली बहू – कविता झा’अविका’ : Moral Stories in Hindi

घर की छोटी बहू कायरा सबकी लाडली बन गई। ससुराल में आते ही उसने सबको महंगे उपहार देकर घर में सबका मन जीत लिया। वो शादी से पहले नौकरी करती थी और शादी के समय यही शर्त रखी कि वो अपनी नौकरी कभी नहीं छोड़ेगी। वैसे भी सरकारी नौकरी मिलना इतना आसान तो है नहीं … Read more

ढलती सांसें – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

अपनी अपनी सीट पर बैठे सभी श्रोता उठकर ताली बजाने लगे और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा जब सुहासिनी का गीत खत्म हुआ और उसने एक गहरी सांस भरी। उसकी सांसें किसी समय भी उसका साथ छोड़ सकती है इसका इल्म है उसे पर अंतिम सांस तक कुछ कर गुजरने की इच्छा और उसका … Read more

दिखावे की जिंदगी – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

सुहानी जब ससुराल आई तो उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके ससुराल वाले कुछ ज्यादा ही दिखावा करते हैं। कोई मेहमान उनके घर आता तो काजू बादाम के साथ साथ तरह तरह की मिठाईयां और फल उनके आगे परोसे जाते।  उन्होंने सुहानी के आने से कुछ समय पहले ही नया घर बनाया था और … Read more

नया स्वेटर – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

अंबिका हैरत भरी नज़र से दरवाजा खोलते ही अपने पति शशांक को देखती है… जो दिसंबर की इस कड़कड़ाती ठंड में बिना स्वेटर  के ऑफिस से घर आ रहे थे। सुबह तो नया स्वेटर… जो अंबिका ने बड़े प्यार से उसके लिए बनाया था… पहनकर गए थे। “तुम्हारे हाथों में जादू है अंबिका। बहुत ही … Read more

बी.ए. पास – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

“खबरदार जो मेरी बाईक को हाथ भी लगाया तो… पढ़ाई होती नहीं है लाड साहेब से और दिन भर बाईक लेकर आवारागर्दी करने अपने दोस्तों के साथ निकल जाएंगे।” रोशन ने रुपेश को अपनी बाइक से दूर करते हुए तेज आवाज में कहा तो रुपेश बोला… “भाई प्लीज़ थोड़ा धीरे बोलिए ना।”   गेट के बाहर … Read more

हुनर ने दिलाई पहचान – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

रमा की शादी के पन्द्रह वर्ष हो गए थे। पति रमेश अच्छा खासा कमाते थे। वो संयुक्त परिवार में आकर खुद को भाग्यशाली समझती थी कि आज जहांँ  लोग एकल परिवार में रहते हैं वहीं वो इतने बड़े घर परिवार में रहेगी। सब मिलजुल कर रहेंगे तो हर दिन त्यौहार की तरह ही होगा।  पर … Read more

सिंदूर की डिबिया – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

ठक ठक ठक की लगातार आती आवाज से सुधा की धड़कनें चलती ट्रेन की तरह धड़क रही थी। दो दिन हो गए थे उसके पति सुबोध को घर से गए हुए।  घर में दिवाली की तैयारी के लिए मरम्मत का काम चल रहा था। मजदूर मिस्त्री को पैसे देने थे और करवा चौथ के लिए … Read more

जो बोया वही पाया – कविता झा ‘अविका’   : Moral Stories in Hindi

कमला के चार बेटे बहूएं और दो बेटियां… पोते पोतियां… सबके होते हुए भी उसका बड़ा बेटा अपनी मां  के लिए एक ऐसी नौकरानी  ढूंढ रहा था जो उसके साथ चौबीस घंटे रहे। उसकी पत्नी ने तो साफ इंकार कर दिया था… मुझसे कोई उम्मीद मत लगाइएगा कि मैं आपकी मां की सेवा करूंगी। उसकी … Read more

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रहिमन अति ना कीजिए – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

रेखा सोफे पर अपने पति राकेश के पास बैठी थी। राकेश उसकी सुंदरता पर कायल था। वो दिनभर उसे निहारता रहता। पर उसे यह बिल्कुल पसंद नहीं था कि उसकी पत्नी की तरफ कोई आंख उठाकर भी देखे। वो सिर्फ उसके लिए बनी है। उसका सजना संवरना हंसना मुस्कुराना सिर्फ और सिर्फ राकेश अपने लिए … Read more

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