अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए – करुणा मालिक  : Moral Stories in Hindi

माँ !  सब अपने मामा के घर जाते हैं, हम क्यों नहीं जाते …… अरे बेटा , तुम्हारे बाबूजी की छुट्टियाँ थोड़े ही होती हैं….. फिर वहाँ गाँव में टेलीविजन भी नहीं …. फ्रिज भी नहीं…. तुम्हें तो आइसक्रीम भी नहीं मिलेगी….दादी को इतनी गर्मी में खाना बनाना पड़ेगा…… बाबा को घुमाने कौन ले जाएगा? … Read more

ख़ानदान की इज़्ज़त – करुणा मलिक    : Moral Stories in Hindi

बहनजी…… ये तुम्हारी जेठानी कहाँ गई , पिछले चार दिन से दूध ना ले रही…कभी किसी को…. कभी किसी को, दूध देना पड़ रहा है । क़रीब अठारह-बीस साल से दूध दे रहा हूँ पर पहली बार ऐसा हुआ कि दरवाज़े पर ताला लटका है ….. तुम्हें भी ना पता क्या , कहाँ गई ? … Read more

निष्कलंका – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

भाभी, साक्षी के बिना घर में मन ही नहीं लगता । पूरे मोहल्ले की रौनक़ थी । इस बार तो आ गई पर आगे से मुझे भी तब बुलाना जब साक्षी को बुलाओ । ये तो कोई बात नहीं दीदी…… तुम दोनों बुआ-भतीजी साथ आओगी और पूरे घर में सन्नाटा करके इकट्ठी चली जाओगी , … Read more

मतों का भेद स्वाभाविक है – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

नितिन, प्लीज़ तुम ख़ुद ही आगरा चले जाओ , दो-चार दिन या एक आध हफ़्ता, मैं यहाँ मैनेज कर लूँगी । तुम्हारी मॉम के आते ही हैडेक हो जाती है…. शानू ….यार मैं भी समझता हूँ मॉम की रोक-टोक पर …. लगातार एक महीने से वो कह रही है कि घर में मन नहीं लग … Read more

आह ख़ाली नहीं जाती – करुणा मलिक   : Moral Stories in Hindi

देखो माँ जी , कहे देती हूँ कि अगर इसने मेरा कमरबंद नहीं दिया तो मैं अपने मायके वालों को बुलाऊँगी, फिर मत कहना कि उन्हें बीच में लाने की क्या ज़रूरत थी?  अब तू ही बता बहू , मैंने तेरे सामने ही कितनी बार कहा है सुशीला से कि सोने का कमरबंद सरला का … Read more

ईश्वर की मदद – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

पून्नो  सूखी  लकड़ियाँ चुनते-चुनते जंगल में कितनी दूर निकल आई , उसे इस बात का अहसास तब हुआ जब पतली सी पगडंडी किसी दूसरी दिशा में मुड़ गई । चारों तरफ़ सन्नाटा, ऐसा लगा कि सूरज की किरणों की प्रचंडता से घबराकर जीव-जंतु तो क्या , पेड़-पौधों की परछाई भी छिप गई है ।  एक … Read more

आपसी समझ – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

गीतिका का पहला करवा चौथ था ।एक महीना पहले ही उसने मन ही मन तैयारी शुरू कर दी पर उसकी ससुराल में कोई हलचल नहीं थी । एक दिन ऑफिस में गीतिका की सहेली गुंजन ने कहा- गीतिका, करवा चौथ के लिए क्या ड्रेस तैयार करवा रही हो ? मैंने तो एक जॉरजेट का बड़ा … Read more

मेरी लक्ष्मीबाई – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

वनिता , अपनी बेटी के तौर तरीक़ों पर ज़रा ध्यान दो । वनिता की सास कांता देवी अपनी कर्कश आवाज़ में बोली । क्या हुआ ? माँ जी – वनिता कुछ सहमी सी बोली । क्या तुम्हें कुछ नहीं दिखता कि बेटी सयानी हो गई है । ये छोटे-छोटे कपड़े, बच्चों की तरह उछल-कूद, पूरा … Read more

अभागन – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अम्मा ! कितनी देर में आई हो , गाय को रोटी देने गई थी आप। भाभी भी इंतज़ार करते-करते थक  कर सो गई । हाँ.. वो रास्ते में उषा की दादी मिल गई थी , तुझे तो उषा से मिले कई साल हो गए होंगे ? उ..षा…. सच्ची अम्मा, उषा तो कई सालों से दिमाग़ … Read more

विश्वास की डोर – करुणा मलिक   : Moral Stories in Hindi

रुक्मिणी  अनमनी सी बैठी सब्ज़ी काट रही थी । चालीस साल हो गए विवाह को पर न तो दोनों पति- पत्नी के विचार मिलते थे न पसंद- नापसंद और न ही घरेलू वातावरण ।  “ अक़्ल नाम की चीज नहीं औरत में , परदे लगाकर पूरे घर में अंधेरा कर दिया । प्रकाश कहाँ से … Read more

error: Content is protected !!