बड़ी बहू या कठपुतली – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

पूरा घर फूलों की लड़ियों और रंग-बिरंगी बिजली की झालरों से सजा हुआ था बेला और गुलाब के फूलों की महक से पूरा वातावरण सुगंधित हो रहा था। चारों ओर खुशियों का माहौल दिखाई दे रहा था हो भी क्यों ना!!आज ठाकुर प्रताप सिंह के बेटे की शादी थी। ठाकुर प्रताप सिंह की पत्नी सुजाता … Read more

कर्मफल ( टूटता विश्वास) – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“मां  आपको निर्णय लेना ही होगा मैं आपके कारण अपने घर में और कलह बर्दाश्त नहीं कर सकता” दिनेश ने गम्भीर लहज़े में अपनी मां पुष्पा से कहा  ” बेटा मैं क्या निर्णय लूं मैंने तो तुम्हें ही अपनी दुनिया मान लिया था तुम्हारे लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया, झूठ फरेब, धोखाधड़ी सब किया … Read more

क्या खोया क्या पाया!!? – डाॅ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“समय दिखाई नहीं देता पर बहुत कुछ दिखा देता है कनक ये बात मुझसे ज्यादा कौन जान सकता है?” काव्या ने अपनी सहेली कनक से उदास लहज़े में कहा। ” तेरा फैसला मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है” कनक ने काव्या को देखते हुए कहा। “मेरा फैसला बिल्कुल सही है ये फैसला मैंने आज … Read more

जानवर – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“मोना तुम इस समय कहां जा रही हो”?? मोना की बड़ी बहन शालिनी ने पूछा माई डियर दीदी मैं कम्बाइंड स्टडी के लिए अपने “दोस्त गौतम के घर जा रही हूं मोना ने जबाव दिया और आज रात मैं वहीं रहूंगी कल आप से मुलाकात होगी गुड नाईट दीदी”, “तुम गौतम के साथ उसके घर … Read more

जब मां ने बेटे के साथ जाने से किया इंकार – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

सुबह सात बजे दरवाज़े की घंटी लगातार बजे जा रही थी. घंटी की आवाज सुनकर मोना ने गुस्से में बड़बड़ाते हुए अपने पति मनोज से कहा ” मनोज जाकर देखो काम वाली रेखा आई होगी तुम्हारी मां से इतना भी नहीं होता कि दरवाज़ा ही खोल दें वह पूजा कर रहीं होंगी एक रविवार ही … Read more

कलंक बना तिलक – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“आप ऐसा कैसे कर सकते हैं ” मेरे घर की इज्जत का सवाल है भाई साहब मैं अपने घर-परिवार नाते -रिश्तेदारों से क्या कहूंगी आप लोगों ने शादी क्यों तोड़ दी भाई साहब मेरी बेटी बदनाम हो जाएगी हम समाज में क्या मुंह दिखाएंगे?” गायत्री जी ने घबराई हुई आवाज में कहा  ” मैं मजबूर … Read more

क्षमादान – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

घर के सभी लोग वीरेंद्र जी के कमरे में उपस्थित थे वीरेंद्र जी की पत्नी सविता,उनका बड़ा बेटा मंयक,उसकी पत्नी पुष्पा, वीरेंद्र जी की बेटी रीता इन सबके चेहरों पर शर्मिंदगी साफ दिखाई दे रही थी उसी कमरे में वीरेंद्र जी का छोटा बेटा रवि और उसकी पत्नी गुंजन भी थे गुंजन के चेहरे पे … Read more

अपमानित सिंदूर – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

निशा जल्दी जल्दी घर के कामों को निपटाने में लगी थी , आज उसकी किटी थी उसे वहां पहुंचना था। मां जी मैंने खाना बनाकर डाइनिंग टेबल पर लगा दिया है,आप और पापाजी खा लीजिएगा,मैं शाम की चाय से पहले आ जाऊंगी निशा ने अपनी सास से कहा। ठीक है बहू तुम निश्चिंत होकर जाओ … Read more

गलती या गुनाह – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“शायद मेरे ही संस्कारों में कोई कमी रह गई होगी जो तूने ये हरकत की है अगर मुझे पता होता कि,तू पढ़ाई-लिखाई के नाम पर प्रेम की पींगे बढ़ा रही है तो मैं तुम्हें आगे पढ़ने की इजाजत देती ही नहीं तू तो कुल का कलंक बन गई अगर ये बात तेरे पिताजी को पता … Read more

वाग्दान – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

नीलिमा!! जल्दी करो कितनी देर लगेगी तैयार होने में वहां प्रकाश और भाभी जी हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे” देव ने अपनी पत्नी से कहा। “आ रहीं हूं !!”तभी देव ने देखा नीलिमा अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करती हुई आ रही थी। वहां पहुंचकर नीलिमा देव को घूरते हुए बोली ,” क्यों चिल्ला रहे … Read more

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