वाग्दान – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

नीलिमा!! जल्दी करो कितनी देर लगेगी तैयार होने में वहां प्रकाश और भाभी जी हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे” देव ने अपनी पत्नी से कहा। “आ रहीं हूं !!”तभी देव ने देखा नीलिमा अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करती हुई आ रही थी। वहां पहुंचकर नीलिमा देव को घूरते हुए बोली ,” क्यों चिल्ला रहे … Read more

सासू मां आप मुझे बेटी बनाकर लाई थी पर आपने मुझे बहू का भी अधिकार नहीं दिया – डॉ कंचन शुक्ला Moral Stories in Hindi

अलार्म  की आवाज सुनकर मेनका की आंख खुल गई इस समय सुबह के 5 बजे थे उसका उठने का मन नहीं कर रहा था उसे कल रात सोने में बहुत देर हो गई थी ननद ने अपने बेटे का जन्मदिन यहीं अपने मायके में बनाया था केक से लेकर खाने का सभी सामान घर में … Read more

मुजरिम और सज़ा – डॉ कंचन शुक्ला Moral Stories in Hindi

” उसके आंसू उसके दिल के दर्द को बंया कर रहे थे राजीव , इसलिए मैंने उसे ज्यादा कुरेदना उचित नहीं समझा” मुक्ता ने अपने पति राजीव को गम्भीरता से जवाब दिया।    ” मुक्ता तुम दिल की  अच्छी और मासूम हो सभी को अपने जैसा समझती हो यही वजह है तुम लोगों की बातों पर … Read more

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