बेटे का विश्वासघात – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

” मां बस कुछ दिनों की बात है मेरी खातिर तुम कुछ महीने और नौकरी कर लो पाठक जी कह रहे थे वे बहुत जल्दी कोई दूसरी काम करने वाली ढूंढ़ लेंगे तब तक आप यहीं काम करो,पाठक जी ने बुरे समय में हमारा साथ दिया है अब उनके लिए इतना तो करना ही पड़ेगा!!?, … Read more

प्रायश्चित – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

दरवाजे की घंटी बज रही थी,, मालती जी,, आवाज सुनकर किसी तरह बिस्तर से उठी। रात से ही, उन्हें तेज़ बुखार था, उनसे उठा नहीं जा रहा था। किसी तरह वह,, उठकर दरवाजे की ओर चलीं और साथ, साथ बड़बड़ाने लगी।इतनी सुबह कौन आ गया, इतनी जल्दी, ये तो टहल कर आयेंगे नहीं। उनके पास, … Read more

रेत का घरौंदा (झूठे रिश्तों से मुक्ति) – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

” मैंने तुमसे क्या कहा था ना, मीरा को बेवकूफ़ बनाकर शीशे में उतारना बहुत आसान है।तुम बेवज़ा डर रही थीं,अब मीरा  हमारे बच्चे को पालेगी और हम दोनों जीवन का आनंद उठाते रहेंगे”। मीरा जो पानी पीने के लिए रसोई में आई थी अपने पति की बात सुनकर स्तब्ध रह गई। ” हां तुम … Read more

मैं स्वयं को बदल लूंगी – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

बारिश कल रात से बंद होने का नाम नहीं ले रही थी भावना ने घर के कामों को खत्म किया और आफिस का काम करने बैठी पर यह क्या बारिश के कारण नेटवर्क ही नहीं मिल रहा था भावना के चेहरे पर झल्लाहट साफ़ दिखाई दे रही थी। क्योंकि, भावना को अपने आफिस का काम … Read more

बारिश और लाकडाउन – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

” करीब चार दिनों से लगातार बारिश हो रही थी प्रेरणा हर दिन की तरह आज भी बालकनी में आई बाहर का प्राकृतिक सौंदर्य देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई।सामने पार्क था उसमें विभिन्न प्रकार के फूल खिले हुए थे कालोनी की सड़कों के दोनों किनारों पर लगे नीम, अशोक,सहजन, अमलतास के वृक्ष हर … Read more

अनचाहे मेहमान ने दी प्यार की सीख – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

सौरभ की कार न्यूयॉर्क की सड़क पर दौड़ रही थी सौरभ को ध्यान ही नहीं था कि वह अपनी ही धुन में कार की स्पीड बढ़ाता जा रहा है अचानक एक मोड़ पर आते ही उसकी कार डिसबैलेंस हो गई यह तो ईश्वर की कृपा थी कि,कार उल्टी नहीं और सड़क भी सुनसान ही थी … Read more

यह मुझे मंजूर नहीं – डॉ कंचन शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

‘बहू कान खोलकर सुन लो ! तुम्हारी सहेली की बेटी से मैं अपने पोते की शादी नहीं कराऊंगी ये मेरा आखिरी फैसला है इस घर में आज तक वही हुआ है जो मैंने चाहा है और आगे भी यही होता रहेगा मेरे सामने ये बात रखने की हिम्मत तुमने कैसे की कहां हमारा शाही खानदान … Read more

ननद भाभी का अनूठा रिश्ता – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“रचना तेरे भैया भाभी अभी तक नहीं आए जब तक मायके की चौक (साड़ी सुहाग का सामान  और बेटी की पीली साड़ी) की साड़ी नहीं आएगी तुम क्या पहनकर बिटिया की शादी की पूजा करोगी? मुझे तो लगता है तेरे भैया और भाभी आज आएंगे ही नहीं तेरी चहेती भाभी ने राजीव को मना कर … Read more

रंग का दंश – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

दरवाजे की घंटी बार-बार बज रही थी पर सलोनी को जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था वो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी उसके दिल की बेचैनी उसके चेहरे और आंखों  उदासी बनकर झलक रही थी उसकी आंखों में एक दर्द था जिसे हर कोई नहीं पढ़ सकता था दरवाजे की घंटी … Read more

औरत के मन की व्यथा – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

शोभना आज फिर जल्दी, जल्दी घर के कामों को निपटाने में लगी हुईं थीं। उसके पति विकास ने हंसते हुए कहा क्या बात है आजकल तो आप अनुशासित जीवन जीने लगीं है मैडम??आज कल तुम मेरे आफिस जाने से पहले ही अपना सारा काम समाप्त कर लेती हो फिर पूरे दिन क्या करतीं हो?दिन में … Read more

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