स्वाभिमान के लिए – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi
जगत नारायण जी अपने घर के बैठका में बैठे थे। चेहरे पर गहरी झुर्रियाँ थीं, पर उनमें जीवन का अनुभव भी झलकता था। उसी समय पड़ोसी सुबोध जी आकर पूछ बैठे— “अरे सर जी! आप यहाँ कैसे ? आपके तो तीन-तीन बेटे हैं, तीनों अच्छी नौकरियों में हैं, फिर भी आप उनके साथ क्यों नहीं … Read more