स्वाभिमान के लिए – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

जगत नारायण जी अपने घर के बैठका में बैठे थे। चेहरे पर गहरी झुर्रियाँ थीं, पर उनमें जीवन का अनुभव भी झलकता था। उसी समय पड़ोसी सुबोध जी आकर पूछ बैठे— “अरे सर जी! आप यहाँ कैसे ? आपके तो तीन-तीन बेटे हैं, तीनों अच्छी नौकरियों में हैं, फिर भी आप उनके साथ क्यों नहीं … Read more

दिखावे का सच – विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

बरसों पुरानी हवेली का चौड़ा आँगन सुबह की धूप से नहा रहा था। तुलसी चौरे से आती सुगंध और रसोई से छनती बर्तनों की आवाज़ घर को जीवंत बना रही थी। यह था श्री धर प्रसाद जी का घर—गाँव का सम्मानित और सम्पन्न परिवार, जिसे लोग जमींदार जी कहकर पुकारते थे। श्री धर जी के … Read more

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