छुटकू – बीना शुक्ला अवस्थी

आज चॉदनी का जागती ऑखों से देखा सपना पूर्ण हो गया है। इस कालोनी में फ्लैट लेना उसका बहुत बड़ा सपना था।  आज  सुबह ही उसके फ्लैट की रजिस्ट्री हुई है और वह सीधे यहीं आ गई। उसने हल्के हाथों से उस नन्हें पौधे का सहलाया जो धीरे-धीरे विशालकाय वृक्ष बनने की राह पर अग्रसर … Read more

भय की लक्ष्मण रेखा – बीना शुक्ला अवस्थी

******************** स्वस्तिका ने तीब्र प्रसव वेदना के बाद आज ऑखें खोली तो उसके वक्ष पर हल्का सा भार था और दो नन्हें नन्हें होंठ उसके वक्ष में कुछ ढूंढ रहे थे। उसके ऑखें खोलते ही नर्स और वंशज के साथ डॉक्टर की ऑखें भी खुशी से चमकने लगीं – ” हमें विश्वास था मिस्टर वंशज … Read more

प्यार का घरौंदा – बीना शुक्ला अवस्थी

” सर्वज्ञ, मैं कैसे दीदी को अकेला छोड़कर तुमसे शादी कर लूॅ? मेरी दीदी ने मुझे मॉ से अधिक प्यार और ममता दी है,  मैं ही उनकी जिन्दगी हूॅ।” ” तुम ही बताओ, मैं क्या करूॅ? शादी बाद दीदी हम लोगों के साथ भी तो रह सकती हैं। वह तो सचमुच बहुत अच्छी हैं लेकिन … Read more

वर्चस्व – बीना शुक्ला अवस्थी :  Moral Stories in Hindi

केतकी जी आज सिर नहीं उठा पा रही थीं। सामने घर के सारे लोग बैठे थे, उसे तो उम्मीद ही नहीं थी कि आज उसे सबके सामने इतनी बेइज्जती उठानी पड़ेगी। जब छोटी बहू चंदना विवाह करके घर आई तो केतकी जी खुश नहीं थी। चंदना में कोई कमी न होते हुये भी आम हिन्दुस्तानी … Read more

कसक – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi

शारदा देख रही थी कि जबसे उसकी प्यारी पोती गोपिका का विवाह तय हुआ है, उसके चेहरे की मुस्कान और हॅसी नकली हो गई है। वह बाहर से सबको दिखाने के लिये हंसती मुस्कुराती है लेकिन उसके अन्दर कोई द्वंद्व चलता रहता है।  ऐसा भी नहीं है कि नवल से विवाह के लिये किसी ने … Read more

काव्या – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi

******** ” बधाई हो काव्या, तुम मॉ बनने वाली हो।” इतना सुनते ही विगत स्मृतियां उसके मस्तिष्क में शोर मचाने लगीं। उसे आज भी वह दिन याद था जब डॉक्टर वेदांत की कार से टकराकर वह अचेत हो गई थी। डॉक्टर वेदांत और रुद्रांगी अपने मित्र के विवाह समारोह से वापस लौट रहे थे। डॉक्टर … Read more

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