वाह री दुनिया ! – अर्चना सिंह

गोपाल जी उस दिन बाजार से सब्जी लेकर लौट रहे थे कि सिर बहुत भारी सा लगने लगा । उन्होंने सोचा एक बार डॉक्टर से बी.पी जाँच करा लेता हूँ । जब डॉक्टर के पास जाँच कराने गए तो बी.पी सामान्य था और डॉक्टर ने बताया हार्ट के डॉक्टर को दिखा लीजिए, उसकी वजह से … Read more

घर की रौनघर की – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

रुपाली बिल्कुल जड़वत सी हो गयी, मानो शरीर की अंदरूनी ताकत समाप्त हो गयी जैसे ही उसने अपने छब्बीस वर्षीय बेटे के मुँह से सुना कि शादी तो मैं जरूर करूँगा , आपके कहने का मुझ पर कोई फर्क न होगा । आप शादी के बारे में कहती हैं दुनिया की सबसे खराब चीज है … Read more

कठोर कदम – अर्चना झा

 लगभग आठ साल की लता खाने की थाली को गौर से देखी हुई बोली अरे मां इसमें दही कहां है ,मां ने कहा बेटा आज मौसम ठंडा है ना ,इसलिए शायद दही नहीं जमी, तुम अभी खा लो शाम को फिर से दही खा लेना, लता पाव पटकते हुए दालान की तरफ चली गई जहां … Read more

गलतफहमी – अर्चना सिंह

सुहानी पार्क में चहल कदमी करते हुए छवि का इंतज़ार कर ही रही थी कि उसकी सहेलियों का झुंड उसके पीछे खड़ा हो गया । सबको शुभ होम्स सोसायटी में रहते हुए लगभग सात साल हो गए थे पर इधर जरा पाँच सहेलियों के बीच इन दिनों काफी मनमुटाव सा चल रहा था । कारण..इसी … Read more

ज़िन्दगी का मर्म – अर्चना सिंह

राजस्थान का एक जिला…”नागौर’ !  इस जिले के छोटे से गाँव परबतसर में राजन अपने परिवार के साथ रहता है । बहुत धनी सम्पन्न तो नहीं लेकिन  इतना जरूर है कि अपनी कड़ी मेहनत से परिवार का भरण – पोषण कर सके और घर आए मेहमानों को भी एक वक्त की रोटी खिला सके । … Read more

मायके सुख (अर्चना सिंह)

“उफ्फ …ये लड़की भी न ! थोड़ी देर हो जाए फोन उठाने में तो लगातार फोन करेगी जब तक उठा न लूँ । रसोई से आकर झूले पर बैठते हुए अनिता जी ने कहा । अनिता जी के पति अरुण जी  चाय की चुस्की लेते हुए बोले…”खाना बनाते हुए तो फोन उठा ही सकती हैं … Read more

दूसरी विदाई (अर्चना सिंह) : Moral Stories in Hindi

निरुपमा जैसे ही ससुराल की दहलीज पर पहुँची वहाँ के रंग रौनक और शान-ओ- शौकत देखकर दंग थी । उसकी उम्र यही कोई बाइस – तेईस के लगभग होगी । पहली शादी तो बीस वर्ष होते ही हो गयी थी , वहाँ भी धनी सम्पन्न परिवार ही था लेकिन पति के साथ निरुपमा की निभ … Read more

 खुबसूरत सोच – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

वैसे तो माँ – बाप के बाद ये बहनों का ही रिश्ता इतना पवित्र और निःस्वार्थ होता है कि कोई शक या लांछन की गुंजाइश न हो । उन दोनों बहनों का रिश्ता अच्छा भी  और मजबूत भी था । निष्ठा बड़ी और आस्था छोटी थी । जब निष्ठा के लिए लड़के देखने की शुरुआत … Read more

गहने – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

आभूषण की दुकान में गौरी ने आभूषण दिखाते हुए सुमित्रा जी से पूछा….”माँ जी ! ये सारे तो फाइनल हो गए, और कुछ देखना है या बिल बनवाएं ..? सुमित्रा जी ने कहा…”ये तो केतकी (पोता बहु) के गहने हो गए । इसी डिजाइन में थोड़े हल्के एक सेट और ले ले । “एक सेट … Read more

 हाय ! हनीमून – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

कुंदन का फोटो और बॉयोडाटा दिखाते हुए उर्वशी जी ने अपने पति माधव जी को कहा…”देखिए जी ! ये लड़का हर तरह से ठीक लग रहा है | एक बार श्रेया आ जाए ऑफिस से तो उससे बात करती हूँ । माधव जी ने हाँ में सिर हिलाते हुए चाय पीना शुरू किया तब तक … Read more

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