अपराधमुक्त – अर्चना सिंह

“कब से तुम्हें फोन लगा रही हूँ मोनिका ” ? फोन नहीं उठाती हो बेटा ! मुझे चिंता हो जाती है , अगर ब्यस्त भी हो तो एक बार बोलकर फोन रख दिया करो मुझे तसल्ली होगी ” । एक स्वर में चेतना जी अपनी बेटी को अपनी चिंता का कारण सुनाए जा रही थीं … Read more

ओहदा – (अर्चना सिंह)

रिटायरमेंट के बाद विभूति जी के पास ये पहला मौका था जब तसल्ली से बिना बहाना किए अपनी बेटियों के पास रह सकते थे । दोनो बेटियाँ एक ही शहर दिल्ली में ब्याही हुई थीं । ईश्वर की दया से किसी भी चीज में कोई कमी नहीं थी। दोनो दामाद सरकारी ऑफिसर थे । कभी … Read more

दुनिया में कुछ भी फ्री नहीं – अर्चना सिंह

नोएडा जैसे चकाचौंध शहर में हॉस्टल में एडमिशन लेने के लिए जैसे ही कीर्ति पहुँची उसकी आँखें शहर की जगमगाहट देखकर चुंधिया गईं । अभी तो ट्रेन से आयी ही थी। पूरा सफर उसे तय करना बाकी ही था । अपने आप में वो बुदबुदा रही थी…”हाय ! बिल्कुल जन्नत है ये जगह, पापा ने … Read more

वाह री दुनिया ! – अर्चना सिंह

गोपाल जी उस दिन बाजार से सब्जी लेकर लौट रहे थे कि सिर बहुत भारी सा लगने लगा । उन्होंने सोचा एक बार डॉक्टर से बी.पी जाँच करा लेता हूँ । जब डॉक्टर के पास जाँच कराने गए तो बी.पी सामान्य था और डॉक्टर ने बताया हार्ट के डॉक्टर को दिखा लीजिए, उसकी वजह से … Read more

घर की रौनघर की – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

रुपाली बिल्कुल जड़वत सी हो गयी, मानो शरीर की अंदरूनी ताकत समाप्त हो गयी जैसे ही उसने अपने छब्बीस वर्षीय बेटे के मुँह से सुना कि शादी तो मैं जरूर करूँगा , आपके कहने का मुझ पर कोई फर्क न होगा । आप शादी के बारे में कहती हैं दुनिया की सबसे खराब चीज है … Read more

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