अपराधमुक्त – अर्चना सिंह
“कब से तुम्हें फोन लगा रही हूँ मोनिका ” ? फोन नहीं उठाती हो बेटा ! मुझे चिंता हो जाती है , अगर ब्यस्त भी हो तो एक बार बोलकर फोन रख दिया करो मुझे तसल्ली होगी ” । एक स्वर में चेतना जी अपनी बेटी को अपनी चिंता का कारण सुनाए जा रही थीं … Read more