दूसरी विदाई (अर्चना सिंह) : Moral Stories in Hindi

निरुपमा जैसे ही ससुराल की दहलीज पर पहुँची वहाँ के रंग रौनक और शान-ओ- शौकत देखकर दंग थी । उसकी उम्र यही कोई बाइस – तेईस के लगभग होगी । पहली शादी तो बीस वर्ष होते ही हो गयी थी , वहाँ भी धनी सम्पन्न परिवार ही था लेकिन पति के साथ निरुपमा की निभ … Read more

 खुबसूरत सोच – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

वैसे तो माँ – बाप के बाद ये बहनों का ही रिश्ता इतना पवित्र और निःस्वार्थ होता है कि कोई शक या लांछन की गुंजाइश न हो । उन दोनों बहनों का रिश्ता अच्छा भी  और मजबूत भी था । निष्ठा बड़ी और आस्था छोटी थी । जब निष्ठा के लिए लड़के देखने की शुरुआत … Read more

गहने – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

आभूषण की दुकान में गौरी ने आभूषण दिखाते हुए सुमित्रा जी से पूछा….”माँ जी ! ये सारे तो फाइनल हो गए, और कुछ देखना है या बिल बनवाएं ..? सुमित्रा जी ने कहा…”ये तो केतकी (पोता बहु) के गहने हो गए । इसी डिजाइन में थोड़े हल्के एक सेट और ले ले । “एक सेट … Read more

 हाय ! हनीमून – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

कुंदन का फोटो और बॉयोडाटा दिखाते हुए उर्वशी जी ने अपने पति माधव जी को कहा…”देखिए जी ! ये लड़का हर तरह से ठीक लग रहा है | एक बार श्रेया आ जाए ऑफिस से तो उससे बात करती हूँ । माधव जी ने हाँ में सिर हिलाते हुए चाय पीना शुरू किया तब तक … Read more

जब जागो तभी सवेरा – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

मेघा की मम्मी रेणु जी को मेघा के साथ रहते हुए मुश्किल से एक सप्ताह ही हुए थे लेकिन उन्होंने उसकी दिखावे वाली सोच को बहुत अच्छी तरह से भाप लिया था । ऊबने तो वो दो दिन से ही लगी थीं पर जिन परिस्थितियों में वो मेघा के पास आई थीं उन्हें टोकना सही … Read more

सही राह – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

मनीषा के पापा रविप्रताप जी बैंक में क्लर्क और मम्मी सुगंधा जी गृहणी थीं । रविप्रताप जी के तीन बेटियाँ तृप्ति ,  और ज्योति, मनीषा थीं व एक बेटा सुबोध जो मनीषा से बड़ा था।  सब एक ही शहर के आस – पास रहते थे । मनीषा ने पुष्कर नाम के लड़के से अंतर्जातीय विवाह … Read more

सैनिक भाई का वो आखिरी खत – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“छुटकी ! बोल न, अगर तुझे कोई लड़का पसन्द है तो  ,मैं मम्मी – पापा से बात आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश करूँगा  । अब नीलेश ने प्यार भरे मनुहार “से ज़ोर देते हुए कहा…देख दिव्या (छुटकी) फिर मत कहना भैया ने साथ नहीं दिया । “अब मेरी छुट्टियाँ कल ही खत्म होने वाली हैं … Read more

बुआ दादी की पोटली – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

इस बार ये पहला मौका है जब भाभी की अनुपस्थिति में मायका जाने का मौका मिलेगा । पाँच साल हो गए सुमित्रा भाभी को गुजरे हुए तब से इस बार भाभी के पोते की शादी में जाने का निमंत्रण आया है । जाना तो पड़ेगा ही, भतीजे की शादी के बाद ये पहला मौका होगा … Read more

अनुपमा आंटी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“आज सत्रह साल बाद फिर से  मेरे पति का वहाँ  तबादला हुआ है । हाँ ! ये वही जगह है जहाँ हमारे और बच्चों की कितनी यादें जुड़ी हैं । अनुपमा  बैठे – बैठे बुदबुदा रही थीं ।  जैसे ही गाड़ी पर बैठी बीजपुर की मीठी  यादें मन में हिलोरे लेने लगीं । हालांकि कम … Read more

खुशहाल गृहस्थी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

छत पर धूप की तरफ अचार की बरनी रखकर अवन्तिका ने बड़ी और पापड़ बनाने की तैयारी शुरू कर दिया । तभी अनिता जी ने छत पर पहुँचकर देखते हुए कहा..ये क्या बहु ? इतने कम क्यों बना रही है , इतने में क्या होगा? दस दिन बाद होली है । इतने तो हमारे घर … Read more

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