कुछ पाना , कुछ खोना – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    “ध्रुव, उठ जाओ बेटा, वरना बहुत देर हो जाएगी”, आनंद ने बेटे का कंबल हटाते हुए कहा। “ ओह पापा, बस थोड़ी देर और, बहुत नींद आ रही है” ध्रुव ने मचलते हुए कहा।   नहीं , अब और नहीं, और आनंद ने उसे उठाकर बिठाते हुए कहा।पहले ही पांच बजकर दस मिंट हो गए है। … Read more

पत्थर दिल – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मेरी शादी को दो साल हो चुके थे। मैं इस घर की बहू बनकर आई थी । मैं एक साधारण, कामकाजी, पढ़ी-लिखी लड़की। सब कुछ ठीक चल रहा था। घर में सास-ससुर, जेठ-जेठानी, ननद और मेरे पति रोहित थे। सबके अपने-अपने तौर-तरीके थे, लेकिन मैंने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की। सुबह जल्दी उठती, … Read more

पति-पत्नी: एक प्यारा रिश्ता या सुंदरता का बंधन – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

एक संयुक्त परिवार, जो दिल्ली के एक पॉश इलाके में स्थित था ।  एक अच्छा-खासा, खाता-पीता, संस्कारी परिवार जहाँ आपसी समझदारी और प्रेम से जीवन की गाड़ी सरपट दौड़ती थी। घर में माता-पिता थे, बड़े भाई-भाभी और उनके दो चुलबुले बच्चे थे, और सबसे छोटा था अमन। रौनक ऐसी कि घर में हर समय त्योहार … Read more

दामाद पराया नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

“देख सुमि,दो और भी बहुएं हैं उस घर में।बड़ी बहू ने तो स्कूल में नौकरी करके अपनी अलग गृहस्थी बसा ली।ले गई ना पति को अपने साथ।बस अनाज में हिस्सा लेने आ जाती है।छोटी बहू तो अभी भी छोटी ही बनी हुई है। कभी बड़ी होगी भी नहीं।बस रसोई में आकर जिज्जी-जिज्जी कर देती है,और … Read more

बुआ जी का हिस्सा – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दादा जी गुजर गए थे और वसीयत लिखी है की नहीं किसी को पता नहीं था। घर के बाहर अंतिम दर्शन करने वालों की भीड़ इकट्ठी थी लेकिन उनके चारों बेटे अंदर जमीन जायदाद के लिए झगड़ रहे थे। “पिता जी ने कभी कुछ बताया ही नहीं की किसको क्या – क्या मिलेगा? भइया क्या … Read more

बेटी के माँ-बाप पराए क्यों? – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

श्रेया ऑफिस मे अपने प्रजेटेंशन की तैयारी कर रही थी।वह नहीं चाहती थी कि उसके काम मे किसी तरह का व्यवधान पड़े, इसलिए उसने अपना मोबाईल भी बंद कर के रखा था। कल उसका प्रजेटेंशन है और अभी तक उसका काम पूरा नहीं हो पाया है । वह भी बेचारी क्या करती वर्किंग वीमेन की … Read more

ऑंसू पीकर रह जाना – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

कुछ दिनों पहले डॉक्टर निभा के पिता का स्वर्गवास हो गया।क्रिया-क्रम समाप्त हो चुका है। उसने अपने  छोटे भाई   और दोनों बहनों को नम ऑंखों से विदा किया। उनलोगों के जाने के बाद अतीत की डगर पर चलते-चलते ऑंखों के सामने ज़िन्दगी की हर घटना किसी फिल्म की तरह प्रतिबिंबित होने लगी थी। घर … Read more

पत्थर दिल – के आर अमित : Moral Stories in Hindi

कमरे में फैली हुई दारू और सिगरेट की वद्द्बु जिससे उबकाई आ रही थी। एक चारपाई के बराबर का कमरा उसपर एक टूटा फूटा से गद्दा जिसमे न जाने कितने मर्दों के पसीने की बदबू समाई हुई थी। कमरे में घुसने के बाद दस पन्द्रह मिनट तो उस माहौल में खुद को ढालने में लग … Read more

पत्थर दिल – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

आनंदी सुबह उठते ही सबसे पहले घर के पिछवाड़े में पहुँची और पिंजरे में बन्द तोते को पिंजरा खोलकर आज़ाद कर दिया……. तोता थोड़ी देर तक आँगन में इधर उधर भटकता रहा …… जैसे पंखों में दम भर रहा हो…. फिर अपनी पूरी शक्ति लगाकर वहाँ से उड़कर आसमान की ओर चला गया । आनंदी … Read more

कभी कभी पत्थर दिल का बनना पड़ता है – प्रतिभा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

“देखिए मां जी अगर आपको दूध, चाय पीना है तो दूध तो आपको ही लाना पड़ेगा, ये लीजिए डिब्बा और ले आइए….वरना फिर मत कहना कि मुझे चाय नहीं दी…और हां आप जो कहती रहती हैं न कि रात को दूध आता तो है….तो मैं आपको बता दूं कि वो दूध रात को ही खत्म … Read more

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