और वो खिल उठी – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“राहुल देखो ये साड़ी कैसी रहेगी दीवाली के दिन पहनने के लिए?” “अरे तुम्हें जो पहनना है पहनो मेरा दिमाग मत खाया करो।कहीं जाना हो तो तब तुम्हे बताओ क्या पहनो,कोई घर में आए तब तुम्हें बताओ क्या पहनो।कुछ अपनी अकल से भी काम ले लिया करो।”राहुल झुँझलाते हुए बोला। नेहा बड़े चाव से साड़ी … Read more

पत्थर दिल – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

मुझे (नीता) अपने पत्थर दिल बाॅस की कहानी याद आ रही है,जिसे अपने शब्दों में बयां करने की कोशिश कर रही हूॅं। मेरे माता-पिता रोजगार के सिलसिले में मेरे जन्म से पहले ही अन्य राज्य  से आकर मुंबई में बस गए। मेरा जन्म मुंबई में  ही हुआ है। बचपन से ही मुझे लोग खुबसूरत कहते … Read more

माँ के आंसुओं का हिसाब – लक्ष्मी त्यागी : Moral Stories in Hindi

शांति के बच्चे अब बड़े हो गए हैं ,वो अपनी बहु से कह रही थी – रेवा ! आज मेरा बेटा भूखा चला गया, आज तक मेरे रहते, वो कभी घर से भूखा बाहर नहीं गया था।  तो क्या करुँ ?तुम्हारी चाकरी करने के लिए ही तो यहाँ आई हूँ ,नौकरानी नहीं हूँ। जब उन्हें … Read more

पत्थर दिल – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

बरामदे में शहनाई की धीमी गूंज थी। रसोई से पकवानों की खुशबू हवाओं में घुल रही थी। आंगन में औरतें मेंहदी रचाते हुए फ़िल्मी गीत गा रही थीं, और बच्चों की शरारतें कोने-कोने से टकरा रही थीं। सजे-धजे रिश्तेदार, चमकते लहंगे, डिज़ाइनर ब्लाउज़ और हर चेहरे पर कैमरे की तलाश। पर उस शोरगुल और रोशनी … Read more

विश्वास की डोर – अनु माथुर

” बहुत भरोसा था ना तुम्हें उस पर ..लो अब  देख लिया …. चला गया वो और साथ में हमारी बेटी को भी ले गया …. सारी बिल्डिंग में सबको पता था एक तुम ही थी जो आंखों पर पट्टी बांध कर बैठी थी …. अरे मैं कहता हूँ क्या जरूरत थी तुम्हें उसे घर … Read more

भगवान भी माँ के बाद है-विमला गुगलानी

 जब भी सुगम परिवार सहित गांव आता तो कौशल्या और विनोद के पांव जमीन पर न पड़ते। कितने दिन पहले ही पकवान , आचार, पापड़ और भी न जाने क्या क्या बनना शुरू हो जाता। वो भले खाएं न खाएं लेकिन कौशल्या तो वो हर चीज़ बनाती जो बचपन में सुगम को पंसद थी।      सुगम … Read more

पत्थर दिल

” चलिए पापा बाहर थोड़ा सा बाहर घूम कर आते है ”  आरुषि ने देवेंद्र जी का हाथ पकड़ते हुए कहा देवेंद्र जी कुर्सी से उठ कर आरुषि का हाथ पकड़ कर बाहर जाने लगे “रुक जाए दीदी और पापा आप भी “सुमन ने पीछे से कहा “क्या हुआ सुमन ?” नैना ने पूछा ” … Read more

आओ लौट चलें – डॉ बीना कुण्डलिया 

धनश्याम जी और उनकी धर्मपत्नी पार्वती शाम के समय घर के लान में बैठे अपनी पुरानी स्मृतियों को ताजा कर रहे।पार्वती जी बोली- आपके रिटायरमेन्ट को दो साल हो गये। मैं तो इन दो बरसों में शरीर और दिमाग दोनों रूप से अस्वस्थ रहने लगी हूँ। ले देकर दो बच्चे सारी जिंदगी उनके पढ़ाई लिखाई … Read more

मां के आंसुओं का हिसाब – रेनू अग्रवाल

राधा की आँखें एक बार फिर डरावने सपने से खुलीं। वह चिल्ला रही थी—“मत मारो, मत मारो मेरी माँ को!” उसकी माँ पास ही सोई हुई थीं। घबराकर उठीं और राधा को हिलाते हुए बोलीं, “क्या हुआ बेटा? मैं तो तेरे पास ही हूँ, मैं ठीक हूँ।” लेकिन वह समझ गईं कि राधा को फिर … Read more

संतुष्ट – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

अचानक आये फोन ने रोहन को चौका दिया कही कुछ फिर हुआ क्या क्योंकि बरस भर पहले उसने फोन किया था और आज पापा की ………. ।भूल गए क्या नहीं नहीं मां भला मैं कैसे भूल सकता हूँ आता हूं दरसल आना जरूरी था इसलिए आया कहकर फोन तो काट दिया पर साल भर पहले … Read more

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