मां की ममता – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शादी को पाँच साल हो गए थे, पर  मीना को कोई बच्चा नहीं हुआ था। हर तरह का इलाज करवा कर हार मान चुकी थी। अब उसने अपनी तकदीर भगवान पर छोड़ दी थी। इन्हीं दिनों उसके देवर की शादी हो गई। संयोग से देवरानी शादी के तुरंत बाद गर्भवती हो गई और जुड़वां बेटों … Read more

 टूटी डोर से बुना आकाश – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सायंकाल की लालिमा घर की खिड़की पर पिघल रही थी, जैसे नीरजा के जीवन का सुख पिघल गया था। विकास का सूटकेस, वह हरा-भरा पौधा जिसे वह प्यार से सींचती थी, और बैंक पासबुक – सब गायब थे। एक साधारण सा व्हाट्सएप मैसेज छोड़ गया था वह: -“माफ़ करना, नीरजा। ज़िंदगी कभी-कभी गलत मोड़ ले … Read more

आँसू बन गए मोती – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

उस दिन भी सूरज ऐसे ही तप रहा था, जैसे धरती से बैर हो। अर्जुन की छोटी सी झोंपड़ी में भीषण गर्मी के साथ एक और आग धधक रही थी – मां की लगातार बढ़ती खांसी। हर खांसी के साथ उसका कमजोर शरीर ऐसे कांपता, मानो पतली डाली पर झूल रहा कोई पत्ता हो। अर्जुन, … Read more

आँचल पसारना – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

सुबह की ठंडी हवा में बारिश की सोंधी गंध घुली हुई थी। सड़कें भीगी थीं, चमकती हुई। रामकिशन अपना पुराना ऑटो-रिक्शा चलाते हुए स्टेशन की ओर बढ़ रहा था। उसकी आँखें थकी हुई थीं, पर चेहरे पर एक जिद्दी संकल्प था। आज अस्पताल में पत्नी माया का आखिरी इलाज था। बिल चुकाना था। जेब में … Read more

**माँ के आँसुओं का हिसाब** – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

गाँव की संकरी गलियों में धूप की एक किरण ने जैसे हीरा बिखेर दिया था। मगर मीनाक्षी की आँखों में उस चमक का कोई असर नहीं था। वह अपनी झोंपड़ी के सामने बैठी, सूखी लकड़ियों को तोड़ते हुए, उन टूटते तंतुओं में शायद अपना ही बिखरा हुआ जीवन देख रही थी।   उसकी पीठ पर बँधा … Read more

**पत्थर दिल** – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

गाँव के किनारे वह पुराना बरगद का पेड़ आज भी खड़ा था, जिसकी छाँव में कभी हँसी-ठिठोली गूँजा करती थी। पर आज उसके नीचे बैठी शांति की आँखों में वह चमक नहीं थी, जो कभी उसके बचपन में दिखती थी। उसकी साड़ी फटी हुई थी, हाथों में जख्मों के निशान थे, और होंठों पर एक … Read more

पत्थर दिल – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

रे मोहित बहू को लें आ-यह मां की आवाज थी। खुद आ जायेगी मां,जब आना होगा-मोहित ने ठंढे स्वर में जबाब दिया। फिर भी साल भर हो गये,अब मुन्ना भी बोलने लगा होगा।-आखिर मां सपने की आंखों से पोता को देख रही थी। अब मोहित दफ्तर चला गया उसकी मां की आंखों से सावन भादो … Read more

माॅ के आंसुओ का हिसाब – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

चल बुढ़िया, झाड़ू लगा-कहती बहू शीला अपनी सास मीरा को आदेश दे रही थी। करीब छः माह पहले मीरा ने बड़े धूमधाम से अपने बेटे की शादी शीला से करवाई थी। शादी के बाद शीला ने रूप दिखाने शुरू कर दिये थे।आज संयोग वश कोई कागज़ छूट गया था और जवाहर वही लेने आया था। … Read more

और वो खिल उठी – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

“राहुल देखो ये साड़ी कैसी रहेगी दीवाली के दिन पहनने के लिए?” “अरे तुम्हें जो पहनना है पहनो मेरा दिमाग मत खाया करो।कहीं जाना हो तो तब तुम्हे बताओ क्या पहनो,कोई घर में आए तब तुम्हें बताओ क्या पहनो।कुछ अपनी अकल से भी काम ले लिया करो।”राहुल झुँझलाते हुए बोला। नेहा बड़े चाव से साड़ी … Read more

पत्थर दिल – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

मुझे (नीता) अपने पत्थर दिल बाॅस की कहानी याद आ रही है,जिसे अपने शब्दों में बयां करने की कोशिश कर रही हूॅं। मेरे माता-पिता रोजगार के सिलसिले में मेरे जन्म से पहले ही अन्य राज्य  से आकर मुंबई में बस गए। मेरा जन्म मुंबई में  ही हुआ है। बचपन से ही मुझे लोग खुबसूरत कहते … Read more

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