सावन में हरी साड़ी भैया से या सैंया से…. – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

            अरे…. देखिए ना जी…. वो हरा पत्ता कितना प्यारा लग रहा है …..वाह … इसका हल्का हरा पन कितना प्यारा है….. सैवी ने बागान में टहलते हुए सुशांत को एक नन्हे पौधे की पत्ती दिखाते हुए कहा….।     काश… इस कलर की साड़ी मेरे पास होती….. सुनिए ना सुशांत… मेरे लिए खरीद देंगे… ये वाली हरे … Read more

माँ की आँसुओं का हिसाब – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

रागिनी की नींद खुली तो देखा सुबह के आठ बज रहे हैं। उसके देर से उठने का कारण …… वह रात को बहुत देर तक जाग रही थी । उसे रात भर नींद नहीं आई थी … मालूम नहीं क्यों ? उसे कल रात पति नागराज की बहुत याद आ रही थी। वे सरकारी नौकरी … Read more

बेजान पड़ा वह पत्थर था – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

अपनी नौकरी लगने के लगभग एक साल में ही प्रशांत बाबू ने एक घर बनवा लिया था।इसके लिए बैंक से लोन के साथ-साथ बीबी के गहने भी बेचने पड़े उनको। जिले में घर यही सोचकर बनवाया था उन्होंने,कि सारे रिश्तेदार (पत्नी)पास ही हैं। सुख-दुख में काम आएंगे।विडंबना यह रही कि घर बनने के बाद जिसने … Read more

माँ का दिल – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

आज मधुर को फिर एक लड़की देखने जाना था लड़की वालो को खबर कर दिया गया था कि लड़का अकेले आएगा।उन्हे यह भी बताया गया था कि लडके वालो की बस एक ही डिमांड है कि लड़की गोरी और सुंदर होनी चाहिए ।लड़का की माँ का कहना था कि पहले सिर्फ लड़का मिलने जाएगा, यदि … Read more

मां के आंसू – खुशी : Moral Stories in Hindi

राधा और मोहन दोनो पति पत्नी थे।घर में सास शीला देवरानी गीता,देवर महेश थे।मोहन एक छोटी सी नौकरी करता था और  महेश बैंक में तो महेश की माली हालत महेश से अच्छी थी।इसी बात का गीता को घमंड भी था।राधा और मोहन का एक बेटा था नितिन और महेश और गीता के दो बच्चे थे।अमन … Read more

आत्मसम्मान की जीत – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

मीरा की उंगलियाँ चाय के खाली कप को घूमा रही थीं, जैसे उसका जीवन बार-बार उसी खालीपन के चक्कर में घूम रहा हो। सास का कर्कश स्वर अभी भी कानों में गूंज रहा था, “अरे, तू चुपचाप सहन क्यों नहीं कर लेती? घर की शांति के लिए थोड़ा समझौता तो हर औरत को करना पड़ता … Read more

निर्मोही – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 तन्वी स्टेशन पर बैठी थी ,अभी ट्रेन आई नहीं ,पापा कमलेश तन्वी के सामनों को ठीक करने के बहाने अपनी गीली आंखों को चुपके से पोंछ ले रहे थे ,तन्वी समझ रही थी पिता को उसका बिछोह दुख दे रहा ,उसने तो मना किया था पर पापा ने कहा था ,”तेरे सामने भविष्य पड़ा है … Read more

“पत्थरदिल” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

तुम्हारे पापा पत्थर दिल इंसान नहीं है बेटा, अगर तुम्हें तुम्हारी गलत बातों के लिए रोकते टोकते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह तुमसे प्यार नहीं करते। तुम ही उन्हें नहीं समझोगे तो वे बिल्कुल टूट जाएंगे। तुम दोनों भाई बहनों ने न जाने क्यों अपने मन में उनकी छवि ऐसी बना … Read more

पत्थर दिल –  उषा वेंकटेसन : Moral Stories in Hindi

सावित्री सर नीचा करके अपने घर गई। शाम का समय था। बच्चे खेल रहे थे और कुछ लेडीज बेंच पर बैठ कर बातों कर रही थी।. उसे देख कर वह लोग बिल्डिंग के कोने में जाकर फुसफुसा ने लगीं। तेजी से सावित्री सीढ़ियां चढ़कर घर के अंदर गई। बेटे को मिली? कैसा है? क्या बोला? … Read more

अफसोस – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

दादी मां आप छोटे को ले आइए तब तक मैं घर के छोटे मोटे काम निपटा लेती हूं… गौरी ने दादी किशोरी देवी को कहा और काम मे लग गई। काम से फ्री होकर सोचा मां से बात कर लूं शायद मां घर लौट आये। मां प्लीज इस बार लौट आइए न हम हम दोनो … Read more

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