स्वागत है तुम्हारा” रोशन भवन” में••! आज से तुम हमारे घर की सदस्या हो! कहते हुए शारदा जी बहू की नजर उतरती हैं और उसके गृह प्रवेश हो जाने के बाद वह आनंदी शारदा जी की इकलौती बेटी जिसकी शादी भोपाल के बड़े बिजनेसमैन से हुई थी, से भावना को उसके कमरे तक ले जाने को कहती हैं और मेहमानों के आवभगत में लग जाती हैं।
आनंदी भावना को अनमने ढंग से उसके कमरे तक ले जाकर-
ये आपका कमरा है••अगर किसी चीज की जरूरत हो तो रामू काका हैं उन्हें बता देना!
कह वह वहां से चली गई।
आनंदी के चले जाने के बाद भावना अपने बीते दिनों को याद करती है कि कैसे वह एक अनाथ लड़की से इस घर की बहू बनी।
भावना देखने में जितनी सुंदर थी उतनी ही पढ़ने में होशियार!
उसकी इस खूबी को देख, एक व्यक्ति ने उसकी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली! उसने म्यूजिक से मास्टर डिग्री ‘प्रथम श्रेणी’ से उत्तीर्ण किया और अब वह स्कूल में जॉब करने की सोची।
बेटा तुमने हमारे “अनाथाश्रम” का नाम रोशन किया है! तुम्हारी मेहनत और काबिलियत देख, दूसरी लड़कियां भी प्रेरित होती हैं!
अनाथाश्रम की संचालिका शांति देवी जी ने भावना को अपने पास बुलाया।
धन्यवाद दीदी!
मैंने जब से होश संभाला तब से इस अनाथाश्रम को अपना “घर”और आपको अपने “मां” के रूप में देखा••!
आज मैं आपसे एक परमिशन लेना चाहती हूं•••!
कहते हुए भावना की आंखें भर आई।
हां बेटा••बोलो!
शांति देवी जी बोलीं ।
दीदी मैं जॉब करना चाहती हूं और अपने पैर पर खड़ी होना चाहती हूं!
ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुम्हारी ऐसी सोच है। तुम्हें ऐसा देख ,बाकियों को भी इससे प्रेरणा मिलेंगी ।
शांति देवी खुश होते हुए बोलीं। भगवान तुझे हिम्मत और आगे बढ़ने का हौसला दे!
भावना शांति जी के चरण को छुआ और जाने के लिए जैसे ही मूड़ी कि :-
अरे हां••• मैंने तुझे जिस काम के लिए बुलाया वह तो बताना ही भूल गई!
जी दीदी!
वो इस साल “शारदा एंड संस” के मालिक ने इस अनाथाश्रम को बहुत बड़ी रकम डोनेट की है•• इसलिए हमने इस बार “एनुअल कार्यक्रम” में उन्हें ‘चीफ गेस्ट’ के रूप में न्योता दिया है!
उसी समय उनके ही हाथों से हमने तुम्हें भी पुरस्कृत करने की सोची है••!
शांति देवी बोली।
धन्यवाद दीदी! आपका आशीर्वाद!
चीफ गेस्ट के तौर पर रितेश अनाथाश्रम आकर भावना को पुरस्कृत किया। उसकी “खूबसूरती और गुण” देख,वह उसी समय उस पर मोहित हो जाता है ।
यह भावना कैसी है?
रितेश शांति देवी से पूछता है।
जी सर?
मेरा मतलब है कि आप भावना के बारे में कुछ बता सकती हैं?
जी बिल्कुल!
भावना जब 6 साल की थी तो उसके मम्मी-पापा कार एक्सीडेंट में मारे गए! मां-बाप की मौत के बाद चाचा-चाची ने इस लड़की को अनाथाश्रम भेज दिया! और उसकी सारी प्रॉपर्टी हड़प ली!
तब से वो हमारे पास है! वैसे वह बहुत ही काबिल और मेहनती लड़की है••कल ही की बात लीजिए उसने मुझसे अपनी जॉब करने की इच्छा बताई! शायद स्कूल में शिक्षक की नौकरी करना चाहती है•• और साथ ही साथ पीएचडी भी ••! उसका एंबीशन म्यूजिक में प्रोफेसर बनना है! अपने साथ-साथ इसने कितनी लड़कियों को प्रेरित भी किया ! सभी उसे अपना “रोल मॉडल”मानती हैं! भगवान उसे अपनी मुकाम तक पहुंचने की शक्ति दे••हमारी तो बस यही प्रार्थना है!
शांति जी भगवान को प्रणाम करती हैं।
मैडम! क्या मैं आपसे भावना का हाथ अपने लिए मांग सकता हूं?
क्या???
एक पल तो शांति जी को विश्वास ही नहीं हुआ
फिर थोड़ा संभलते हुए बोलीं यह तो अच्छी बात है कि आप भावना को अपना बनाना चाहते हैं पर एक बार अच्छे से सोच-विचार कर लीजिए!
मैंने बहुत सोच-समझकर ये फैसला लिया है•• अगर आप हां बोलती हैं तो?
भावना भले और ऊंचे घर की बहू बने•• ये हमारा सौभाग्य है!
पर••
पर क्या?
पर मुझे इस बारे में उससे भी राय लेनी होगी कि उसकी क्या मर्जी है! उसके बाद ही मैं आपको कंफर्म कर सकती हूं!
हां हां मैडम! आप आज बल्कि अभी ही भावना से पूछ लें !मैं यही इंतजार करता हूं कहते हुए रितेश भावना को देखने लगा जो बगीचे में बैठी म्यूजिक की किताब पढ़ कुछ गुनगुना रही थी।
शांति जी भावना के पास जा उसे सारी बातों से अवगत कराती हैं ।
दीदी मैं अभी शादी नहीं कर सकती!
बेटा तू अगर इस रिश्ते को हां करती है तो तेरे साथ-साथ दूसरी लड़कियों की भी जिंदगी सुधर जाएगी! शायद कोई और भी अच्छे घर का आदमी इन लड़कियों का हाथ थाम ले! क्योंकि कभी-कभी लोग एक-दूसरे को देख, कुछ सीखते हैं••और इतने बड़े कंपनी का मालिक तुझसे शादी करना चाहते हैं तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है! रही बात तेरी पढ़ाई की तो रितेश जी तुझे पढाने के लिए भी तैयार हैं!
पर दीदी!
पर-वर नहीं बेटा मैंने हमेशा से तेरे लिए अच्छा ही सोचा है•• तू अच्छे घर में सेटल हो जाएगी तो मुझे भी एक सुकून सा मिलेगा! ठीक है दीदी! मैं तैयार हूं••!
रितेश भावना से “कोर्ट मैरिज” कर लेता है और उसके बाद शारदा जी और रामचरण जी को अपनी शादी की बात बताता है!ऐसा सुनकर दोनों बहुत नाराज हो जाते हैं परंतु रामचरण जी बुद्धि- विवेक से काम लेते हुए शारदा जी को समझाते हुए बोले कि
अब कोई फायदा नहीं नाकी रोने की•• रितेश ने “कोर्ट मैरिज” कर लिया! अब हम कुछ नहीं कर सकते! हमें इस शादी की स्वीकृति देनी ही होगी!
एक ही बेटा था हमारा!मैंने इसकी शादी के लिए कितनी उम्मीदें लगाई थी! इनफैक्ट मैंने अपनी फ्रेंड शोभा की बेटी को पसंद भी कर लिया!
ना तो खानदान का पता और••
और क्या••?
रामचरण जी पूछे।
और जाने किस पाप का नतीजा है••?
उसने मुझे कहीं का ना छोड़ा! क्या मुंह दिखाऊंगी अपनी दोस्त को?
तभी रितेश का फोन आता है रामचरण जी फोन शारदा जी को देते हुए कहते हैं कि थोड़े ठंडे दिमाग से बात करो!
तुझे और कोई नहीं तो एक अनाथ लड़की ही मिली थी शादी करने के लिए?
वाह बेटा! क्या तमाचा मारा है तुमने हमारे मुंह पर!
नहीं मां! वह अनाथाश्रम में पाली है पर अनाथ नहीं! और फिर शारदा जी को सारी बात बताता है जो शांति देवी ने उसे बताया।
मैं नहीं जानती कुछ! तू जो बोल रहा है उस पे मुझे विश्वास नहीं••
मेरे लिए और सारी दुनिया के लिए वह अनाथ है!
मां अगर आप भावना को नहीं अपनाएंगी तो मैं आपकी कसम खाता हूं••कि दोबारा किसी भी लड़की को अपनी जीवन-संगिनी नहीं बनने दूंगा! यह मेरा अंतिम फैसला है!
रितेश की जिद के आगे आखिर शारदा जी को झुकना ही पड़ा। मन मार कर इस शादी के लिए वह तैयार हो गईं।
आज भावना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी कि उसे देवता स्वरूप पति और एक भरा पूरा- परिवार मिला जिसकी उसे बचपन से ख्वाहिश थी ।
रितेश के आते ही वह शर्मा कर बैठ गई
भावना!आज से इस घर पर तुम्हारा उतना ही हक है जितना कि मेरा!
जब भी तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो तुम बेहिचक मुझे या मां-पापा को बता सकती हो! रही बात नौकरी करने की तो तुम जब भी चाहो नौकरी करो हमारी तरफ से कोई रुकावट नहीं•• और हां कहो तो कल से एक “म्यूजिक टीचर” भी लगवा दूं ••?
धन्यवाद!
जब भी जरूरत होगी तो मैं आपसे इस बारे में बात करूंगी••! कहते हुए वह अपनी नज़रें नीचे झुका ली।
तुम बहुत अच्छी हो भावना•••! रितेश उसे अपनी बाहों में भर लेता है।
सुबह स्नान करने के बाद जब वह किचन में गई
अरे तुम यहां क्या कर रही हो? जाओ अपने कमरे में ! यहां नौकर है ना••तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं!
कहते हुए शारदा जी अपने कमरे में चली गईं ।
जहां तक मुझे पता है कि आज तो बहु का चूल्हा छूने का रस्म है! और तुमने उसे भेज दिया? रामचरण जी जो पत्नी की बात सुन बोले।
एक अनाथ लड़की को मैं अपने घर की बहू नहीं मानती और जल्द ही मैं रितेश को दूसरी शादी के लिए मना लूंगी! आप देखते जाइए!
हे भगवान! तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर है ना? पूरे समाज और परिवार के सामने हमने भावना को अपनाया है और तुम ऐसी बात सोच कैसे सकती हो•• चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग में?
रामचरण जी गुस्से से बोले । शारदा जी चिढते हुए वहां से चली गईं।
आनंदी! बेटा तू अब तक सोई है?
हां मां! रात में फोन आया था अविनाश का!
अच्छा क्या बोल रहे थे जमाई जी?
मां !भैया की शादी तो निपट गई! और मेरे बच्चों की छुट्टियां भी शुरू होने वाले हैं ••सो उन्होंने जल्द ही मुझे आने को कहा है! सोचती हूं कल ही भोपाल के लिए निकल जाऊं!
अरे कुछ दिन और रुक जा!अभी तो बच्चों की छुट्टियां शुरू हुई है ना••और वैसे भी इस मनहूस को देखकर मेरा तो खून खौल जाता है कम से कम तुझे देखती हूं तो अच्छा लगता है!
शारदा जी मुंह बनाते हुए बोलीं।
“मम्मी आप फिक्र मत करो! इस अनाथ को कैसे भैया के जीवन से आउट करना है मैं आपको टाइम टू टाइम बताती रहूंगी!
अभी तो फिलहाल मुझे जाना पड़ेगा!
बहुत कोशिश के बाद भी जब आनंदी नहीं रुकी तो शारदा जी ने उसे जाने की इजाजत दे दी।
उधर भावना की कोशिश रहती कि वह इस घर के हर सदस्य के दिलों में अपनी जगह बना सके! कई बार रितेश कहता कि किसी स्कूल में तुम्हारी जॉब लगवा देता है तुम्हारा टाइम पास भी हो जाएगा!
पर वह यह कह टाल जाती कि नहीं मुझे जॉब करनी होगी तो मैं अपने दम पर कर लूंगी!
अभी मुझे मां-पापा जी के दिलों में जगह बनानी है ! इनके प्यार के लिए मैं हमेशा से तरसती थी और अब जब मुझे यह सौभाग्य मिला है तो मुझे इंजॉय करने दीजिए!
इधर शारदा जी की नफरत भावना के लिए दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी। मन ही मन वह कूढती रहती कि आखिर रितेश ने मेरे पसंद की लड़की से शादी क्यों नहीं की?
नहीं••• मैं उसे ऐसा करने से रोक तो नहीं पाई परंतु इस घर में•• मैं उस लड़की को कोई भी अधिकार मान-सम्मान नहीं दूंगी! इससे उसको जल्द ही अपनी औकात का पता चल जाएगा और शायद वह ये घर छोड़ वापस अनाथ आश्रम चली जाए।
इस सोच की वजह से वह भावना को अपने और घर से दूर करने में लगी रहतीं।
एक दिन दोपहर का वक्त था
अरे कोई है ? जल्दी आओ! मुझसे उठा नहीं जा रहा! अचानक से शारदा जी की करून आवाज भावना के कानों में पड़ी।
यह तो मां जी की आवाज है••!
दौड़ी हुई वह शारदा जी के बेडरूम में पहुंची। पर वहां शारदा जी को न पाकर उसने बाथरूम में देखा जहां वह गिरी पड़ी थीं। और खुद से उठने में असमर्थ ।
तुम यहां क्या कर रही हो बाकी कहां है?
मांजी आप मुझे पकड़िए! उनके हाथों को अपने कंधों पर डालते हुए उठाने की कोशिश करने लगी।
हाथ झटकते हुए
मुझे तुम्हारी शक्ल भी पसंद नहीं।
जिद मत कीजिए अभी कोई नहीं है यहां!
कोई विकल्प न पाकर वह भावना की बात मानकर उसके साथ बेडरूम तक चली आईं ।अब भावना ने फटाफट रितेश को सारी बात बताते हुए उसे घर बुलाया ।
सर!इनकी जांघ की हड्डी पूरी तरह से टूट चुकी है हमें फॉरेन ही ऑपरेशन करनी होगी••• !
ऑपरेशन होने के कुछ दिन तक शारदा जी हॉस्पिटल मे ही रहीं
जब वह डिस्चार्ज हो घर आईं तो भावना शारदा जी की सेवा में रम गईं !
देख मुझे ऐसे दिखावे पसंद नहीं तू मेरा काम रहने दे।
आज ही मैं आनंदी को बुलाती हूं!
जब वह आएंगी तब ••••
अभी तो करने दीजिए!
हंसते हुए भावना बोली ।
शारदा जी को नहलाना ,खिलाना ,बाथरूम ले जाना उनके सारे काम वह तन- मन से करने लगी!
“आनंदी कब आएगी? क्या अब तक विदेश में ही है? रामचरण जी अखबार पढ़ते हुए पूछे।
वह मैंने••• कहते हुए शारदा जी चुप हो गईं।
फिर अखबार को टेबल पर रखकर रामचरणजी शारदा जी को देखने लगे
शारदा जी रामचरण जी से आंखें चुरा रही थी इस वजह से उन्हें समझते देर ना लगी कि आखिर हुआ क्या होगा ।
शारदा आनंदी ने आने से इनकार कर दिया ना?
हां वह कह रही थी कि मुझे कई काम हो जाते हैं और बच्चों की छुट्टियां भी खत्म होने वाली हैं !वैसे मुझे रोज फोन करती है कहती है मां तेरी फिक्र होती है! शारदा जी अपने आप को एक झूठा दिलासा देते हुए बोलीं। तभी भावना उनके कमरे में आ जाती हैं।
मां जी स्नान का टाइम हो गया आपकी स्पंजिंग करनी है लेकिन तभी सास-ससुर को बातें करते हुए देख ,
कुछ देर में आती हूं•• कहते हुए चली गई ।
इस अनाथ के आने से मुझे क्या-क्या देखना पड़ रहा है कहते हुए शांति जी मुंह बिचकाती हैं। तुम्हें अब तो #अपनों की पहचान होनी चाहिए••• इस लड़की की वजह से तुम जल्द ही ठीक हो रही हो! भले ही तुम्हारे पास किसी चीज की कमी नहीं है पर एक सच्ची सेवा हर आदमी के बस की नहीं होती! पर इस बच्ची ने जितनी तुम्हारी सेवा की है ना शायद कोई और नहीं कर पाता।
और तुम्हारी बेटी तो तुम्हें देखने तक नहीं आई!
बदले में तुमने उसे क्या दिया••• ?नफरत!
पति की बात सुनकर शारदा जी की आंखें भर आई।
मुझे माफ कर दीजिए एक अपनी बेटी पर भरोसा किया पर उसने तो धोखा दिया! परंतु भावना ने मेरी इतनी सेवा की है कि डॉक्टर भी मेरी रिकवरी से आश्चर्य थे!
शारदा माफी मुझसे नहीं भावना से मांगो•••
शारदा देवी भावना को अपने पास बुलाती हैं और उसे गले से लगा••
मुझे माफ कर देना बेटा! मैंने तेरे साथ बहुत गलत किया! अपनों की पहचान में मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई!
क्या बोल रही है मांजी! आपके मुंह से ऐसी बात शोभा नहीं देती।
बेटा आज से तुम मुझे मां जी नहीं मां कहेगी!
मुझे तो बचपन से शौक था मां कहने का और आपने आज मुझे ये अधिकार भी दे दिया!
इससे बड़ी बात क्या हो सकती है!
कहते हुए वह फुट-फुट के रोते हुए शारदा जी के गले से लिपट गई।
दोनों को देख रामचरण जी बहुत प्रसन्न हुए और इधर रितेश भी खुश था कि देर आए दूरस्थ आए।
दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई हो तो प्लीज इसे लाइक्स कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा।
धन्यवाद।
मनीषा सिंह