अपनों का साथ – उषा बूचा : Moral Stories in Hindi

 रमेश जी का बेटा , विनय अच्छे से कारोबार सम्भाल रहा था पर पता नहीं किस दोस्त की दोस्ती रंग लाई

, कि विनय क्रिकेट मैच के सट्टे खेलने लगा , पहले थोड़ा जीतने पर लालच बढ़ गया और हारता गया ! कितने दोस्तों से रूपए भी उठा लिए !

रमेश जी का ध्यान गया , तब तक कारोबार ठप्प हो चुका था ! रमेश जी ने विनय को बहुत समझाया और दूसरे कारोबार मे सें रूपए निकालकर सभी का रूपया लौटाया !

रमेश जी ने बेटे पर विश्वास कर लिया , ६ – ८ महीने तो विनय काम पर वापस लग गया मगर वापस सट्टे खेलने लगा !

बुरी तरह से हार गया ! वापस कितने जनों से रूपए ले लिए ! कारोबार से पूरे रुपए निकाल लिए ! रमेश जी के पास जब दूसरों के फ़ोन आने लगे ,

कि विनय ने इतने रूपए लिए थे , तब हकीकत पता चली ! रमेश जी क्या करते विनय से सारी बातें पूछने पर सब खुलासा हुआ !

विनय बहुत झूठ बोलने लगा ! थोड़े – थोड़े दिनों में बात पलटने लगा ! रमेश जी ने कहा , यह तुमने क्या कर दिया ??

कितनी मेहनत से मैंने , नाम और शोहरत कमाई थी ! विनय की माँ , पत्नी , बहन और सभी घर वाले परेशान हो गये !

विनय के दो बच्चे भी हैं , बच्चों पर क्या असर पड़ेगा ?? विनय की माँ ने कहा , हमारी परवरिश में कहाँ खोट रह गई थी ,

कि तुम ऐसे काम करने लगे ! बहन और पत्नी ने भी बहुत कुछ कहा ! विनय अपनी गर्दन नीचे करके बैठ जाता या आँसू पोंछने लगता

! रमेश जी ने दोबारा , अपने दूसरे कारोबार मे से , रूपए निकालकर , सभी के रूपए चुकाए ! जिस समय बेटों को काम सम्भाल कर

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पिता को आराम कराना चाहिये उस समय पिता रमेश जी , को दुगुनी भागदौड़ करनी पड़ती है ! रमेश जी बहुत ही ईमानदार और नैक इंसान हैं ,

शहर में उनका नाम है ! विनय की पत्नी भी क्या करती , रोने लगी और अपनी सासू माँ से कहने लगी , माँ , मुझे आप पीहर भेज दें , मैं यहाँ कैसे रहूँ ??

विनय का साथ कैसे निभाऊँ ?? सासू माँ ने कहा , नहीं बेटा तुम कहीं नहीं जाओगी , यह तुम्हारा और बच्चों का घर है !

तुम यहीं मेरे पास ही रहोगी , अगर विनय ने तिसरी दफ़ा गलती की , तो यह घर से बाहर जाएगा और अपनी बहू को अपनी छाती से चिपका लिया !

विनय के पापा और माँ ने मन में पक्का कर लिया , कि अगर इसने तिसरी दफ़ा ग़लत कदम उठाए , तो इसे बाहर का रास्ता दिखाना ही पड़ेगा ,

नहीं तो यह हमें , कहीं का नहीं छोड़ेगा ! जिस घर का माहौल ख़ुशियों से भरा रहता था , घर में अशांति फैल गई !

अभी तक तो विनय ठीक से काम कर रहा है , आगे का पता नहीं ?? ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ ,

कि विनय अपने पापा के कहे अनुसार काम करे और बुढ़ापे में उनको तकलीफ़ न दे ! अपनों का साथ न मिलता तो विनय क्या करता ?? दोस्तों , मैंने यह सच्ची कहानी लिखी है , आपको कैसी लगी ??

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