अपनों का साथ – राशि पांडे : Moral Stories in Hindi

क्या करती हो तुम? पूरे दिन चिकचिक लगाई रहती हो | बच्चो को भी  पूरा दिन बोलती रहती हो | मुझे लेट हो रहा है ,

ऑफिस जल्दी जाना है आज मुझे, इतना बोलते हुए पति देव जी ऑफिस चले जाए | मैं आराम से बैठी, चाय पिया |

तब जा के आराम मिला | फिर उठी और अपने काम में लग गई  | मैं घर से ही ऑनलाइन एक कंपनी में काम करती थी ताकि  कुछ पैसे मिल जाए |

बस जिंदगी ऐसे ही चल रही थी | घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नही थी जिस कारण मैं बहुत मानसिक रूप से परेशान रहती थी |

इसी कारण शायद मैं अपने बच्चो और पति देव के गलती पे कुछ ज्यादा ही गुस्सा हो जाती थी | रोज रोज हिसाब किताब करते करते ही जिंदगी बीत रही थी |

मैं सोचती , क्या मेरी जिंदगी में  सब कुछ ठीक होगा?

एक दिन तो हद ही हो गई | मेरा एक्सीडेंट हो गया मेरे पैर में चोट आ गई ,फिर क्या था, मानो दुखों का पहाड़ टूट पडा हो |

जिंदगी रुक सी गई | मेरा छोटा सा परिवार मानो बिखर गया हो | दो रात मैं हॉस्पिटल में थी | पूरी रात सो नही पाई  | चोट से ज्यादा दर्द  ,अपनी अपनी आर्थिक स्थिति सोच के हो रहा था | 

 उस टाइम मेरे भाई बहनो ने मुझे और मेरे परिवार को संभाल लिया | दोनो टाइम खाना लाना , मेरे बच्चो के साथ हंसना बोलना, बच्चो से अच्छी अच्छी बाते करना , हर बार हॉस्पिटल साथ जाना | डाक्टर से बात करना | सब भाई बहन ही करते थे |

दुख का टाइम  कट ही रहा था | और जिंदगी सीखा रही थी,  कि पैसा अगर कम हो तो चलेगा | लेकिन  अपनो का साथ बहुत जरूरी है |

अपनो के बिना जिंदगी, खुशी में तो कट जाएगी ,लेकिन दुःख का टाइम  काटना  , अपनो के बिना असंभव है |

राशि पांडे

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