अपनत्व की छांव – अमिता कुचया

रीतू अपनी सास कमला जी से कहती है -मां जी अब आप कामवाली लगा लो। तो चौंकते हुए वो  बहू रीतू से बोली- क्या….ये क्या बोल रही है, और क्यों बोल रही है!! तुझे तो पता ही है कि कामवाली रखना तेरे बाऊजी को बिलकुल पसंद ना है। 

ये सुनकर रीतू कहने लगी ,मम्मी जी नीतू मायके जाने की बोल रही है, मैं और मेरा बच्चा अभी बिस्तर पर है, बेटू ऑपरेशन से हुआ है,कम से कम मुझे भी पंद्रह दिन तो लगेंगे ही, बस इसलिए ही…तो घर का काम कैसे सब होगा…… साथ में बेटू की देखभाल…. मुझे इसी बात की चिंता है, बस और कुछ नहीं…. 

कमला जी तभी कहती- अरे अभी नीतू कैसे मायके जा सकती है, यहां उसकी जरुरत है…. मेरे लल्ला को चाची की ज्यादा जरुरत है। तू कब तक अकेले संभालेगी?? तू चिंता मत कर मैं नीतू से बात करती हूं। 

फिर वे नीतू के कमरे में जाती है ,नीतू उनकी छोटी बहू है। 

कमला जी जैसे ही परदा खोलती है, तभी वह मोबाइल फोन रखकर बैठती और बोलती- अरे मम्मी मुझे बुला लिया होता आप क्यों आई क्या हो गया। ऐसे तो आप आवाज लगा लेती हो। 

हाँ हाँ बहू मैं आवाज लगा कर बुला सकती हूं, पर सोचा तुम्हारे पास मैं ही आ जाऊँ। 

मुझे तुझसे कुछ पूछना है बस इसलिए….. 

हाँ हाँ मम्मी पूूछो, क्या पूछना है….. 

रीतू क्या कह रही है,  कि तुझे मायके जाना है? 

हाँ मम्मी मैं मायके जा रही हूं। आखिर मेरे सगे भाई की शादी जो है। 

तभी हैरान होते हुए वो बोली – शादी….! अभी तो डेढ़ महिना है… तू अभी से जाकर क्या करेगी? 

मम्मी जी मुझे शादी की खरीदारी और घर के कामों में हाथ भी तो बंटाना हैै। वहां पर शादी की रस्मों की प्लानिंग भी करनी है। बहुत से काम है, घर की बेटी क्या उसी दिन जाएगी…… 

तब वो बोली- नीतू अभी मत जा ,तेरी जेठानी को तेरी ज्यादा जरुरत है, अभी वह जच्चा वाली है। उसे उठने बैठने के साथ लल्ला को देखना पड़ता है। हम अपने साथ नहीं देंगे तो क्या पराए साथ देगें?ये भी सोच कि उसे तेरे पास होने से कितना सहारा है। यही अपनत्व की छांव है, जो उसे हमेशा याद रहेगी। अगर तू नहीं रही तो सोच घर का खाना पीना ,लल्ला की जिम्मेदारी कौन संभालेगा।रसोई मैं संभाल भी लूं।। पर उसे किसी की जरूरत पडे़ तो उसके पास कोई तो हो । मैं कहां तक देखूंगी??? 

मम्मी ये भी कोई बात हुई…भाभी को बेटा हुआ तो मैं घर के बंधन में बंधी रह जाऊँ??? क्या मेरेे भाई की शादी को लेकर मेरे अपने अरमान नहीं है….. 

बहू नीतू  तू यदि पंद्रह दिन बाद भी चली जाएगी। तो कुछ नहीं हो जाएगा। अभी तेरी जेठानी को और इस घर को तेरी जरुरत है तू अभी मत जा….. 

अच्छा है मेरे पर ही रोक टोक …… अगर आपके बेटे और मैं बाहर रहते तो क्या भाभी मैनेज नहीं करती तो क्या तब भी उनकी खातिरदारी के लिए हमें बुलाती!!! 

नहीं मम्मी मैं तो जाऊंगी वह दृढ़ता से बोलती है। 

इस तरह सास की बोलती बंद हो जाती है….. और वे चुप रह जाती है, और देखेंगे कैसे सब कुछ मैनेज होता है…. 

यही सोचने लगती है।

थोड़ी देर बाद नीतू अपने मायके फोन लगाती है

हैलो ….हैलो…. 

उधर से उसकी माँ फोन उठाती है…. 

तब नीतू बोलती- हैलो भाभी शादी की तैयारी तो चालू हो गयी होगी, तभी उसकी माँ कहती -हाँ नीतू मैं तेरी मां

 तब वह कहती – मां भाभी कहां है आपके पास उनका फोन!!! 

वो कहां है ,तब वे कहती – क्या मेरे से बात नहीं करनी… भाभी छत से कपड़े उठाने गयी है। 

फिर नीतू कहती -मां मैनें ये कहने के लिए फोन किया था कि मैं कल आ रही हूं। 

ये सुनकर उसकी मां आश्चर्य से बोली- बेटी नीतू तू अभी से…. अभी तो तेरी जेठानी की जंचकी हुयी। है। तुझे वहां पहले देखना चाहिए और तू यहाँ आने की कह रही है ये भी कोई बात हुई भला…… 

कल के दिन जब तुझे तेरी जेठानी की जरूरत हो और वो साथ ना दे तो सोच कैसा लगेगा। 

इतना सुनकर वह कहने लगती क्या मां आप भी मेरी सासु जैसे बोल रही हो। 

बेटा अभी यहाँ समय है …पर तेरी जेठानी को एक एक दिन कितना मुश्किल से कटेगा ये सोचा है तूने….. तेरे जेठ आफिस चले जाते हैं तेरे ससुर और तेरे पति का काम भी बढ़ेगा। इन दिनों में औरत का शरीर बहुत कमजोर होता है। उसे तू आराम देगी।तो उसे भी अपनत्व भरी छांव का एहसास होगा। 

ये कठिन समय में अगर कोई अपना साथ दे तो कोई भूलता नहीं है। पता है, तू जब छोटी थी तो मैं आठ दिन में ही काम करने लगी थी तब से तू सर्दीली हो गयी थी, उस समय मेरा साथ देने वाला कोई नहीं था। और तो और

ठंड के दिनों में मेरे कमर में दर्द रहता था वो अलग…. 

तू बच्चे की चाची है और जेठानी भी  वो तेरी बहन की तरह है ,तू कम से कम बीस दिन ही उसका ख्याल रख ले। तो उसका शरीर भी काम करने लायक हो जाएगा। और ये भी सोच तेरी सास इस उम्र में कितनी भाग दौड़ करेगी। 

ये सब सुनकर उसे एहसास हो जाता है। 

हां मां आप सही कह रही हो, मैं तो अपनी मनमानी करने में लग गयी थी। अच्छा हुआ आपने मुझे एहसास करा दिया। ठीक है मां जब मेरी जेठानी काम करने लायक हो जाएगी तभी आऊंगी। 

इस तरह वह अपना मायके जाने के बारे में विचार छोड़कर अपनी जेठानी के कमरे में चली जाती है। 

तब उसकी सास कमला जी रीतू से कहती तू आराम कर ले। रात में तुझे जागना ही है। जैसे ही सासु मां लल्ला को गोद लेने को करती है तब वह कहती है मेरा बिट्टू तो चाची की गोद में खेलेगा। 

तब दोनों सास जेठानी हैरान हो कर उसकी ओर देखती है। 

तो नीतू बोलने लगती है क्या मम्मी जी…बिट्टू अपनी चाची की गोदी में ना आए…. ऐसा लाड़ लगाते हुए वह कहती है, 

हम कहां कुछ कह रहे हैं….दोनों साथ में बोलती है। 

इतने में नीतू कहती- मम्मी जी यहाँ रहना मेरा ज्यादा जरूरी है ,जब मेरी मम्मी ने समझाया तो समझ आ गया। मुझे माफ करना भाभी जी मैनें मायके जाने के लिए सोचा और बोला भी,,ये मेरी नादानी ही है। जब अपने साथ   नाा देे तो कैसा लगेगा ये मुझे समझ आ गया है।  

इस तरह तीनों के चेहरे   पर मुस्कान आ जाती है,और उनकी परेशानी दूर हो जाती है। 

रीतू भी आराम करने लगती है। 

और नीतू भी बिट्टू को खिलाने लगती है। सासु मां आराम से चाय पीने लग जाती है। 

स्वरचित मौलिक रचना

अमिता कुचया ✍️

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