आंखें नीची करना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

  मैं आज सुबह से ही अपने पन्द्रह वर्षीय बेटे साकेत को समझाने में लगी थी! देखो साकेत तुम अपने हर जन्मदिन पर बेवजह ही बेमतलब की चीजों की  फरमाइश करते रहते हो ! हम तुम्हें जितना भी दे दे ! तुम खुश नहीं होते हो ।

मगर क्या उन बेसहारा बच्चों के बारे में कभी सोचा है ? जिन्हें 

जन्मदिन तो दूर माता -पिता तक नसीब नहीं होते ! चलो आज मैं तुझे ऐसी जगह ले चलती हूं! जहां तुम शायद वो सब कुछ देखकर समझ जाओ !

मैं साकेत को लेकर थोड़ी देर में ही अनाथ आश्रम पहुंच गई !   साकेत बड़े गौर से वहां रह रहे उन बच्चों को देखने लगा ! वो फिर मुझसे पूछ बैठा । मां यह सब अकेले क्यों रह रहे हैं?? इनके मम्मी पापा कहां गए। 

मैं साकेत की बात सुनकर उसे समझाने लगी। देखो साकेत इन बच्चों के माता-पिता नहीं है इसीलिए हमारी सरकार या फिर हमारे समाज के किसी संस्था द्वारा इन्हें पोषित किया जाता है । इसे हम अनाथ आश्रम कहते है । 

जहां छोटे छोटे बच्चे बिन अपनों के रह रहे होते हैं ! इन बच्चों को यहां जो दिया जाता है।  ये वही खा लेते हैं। इन बच्चों को जो पहनने को दिया जाता है। ये वही पहन लेते हैं क्योंकि इनके पास इनकी हर फरमाइश पूरी करने वाले तुम्हारे जैसे  माता-पिता नहीं है। 

जरा सोचो साकेत और बताओ। तुम जो बेमतलब की चीजों की हमेशा जो फरमाइश करते रहते हो। क्या वह सही है?? मेरी बात सुनते ही साकेत लज्जित हो गया। उसने अपनी आंखें नीची कर ली और फिर धीमे से बोल उठा। 

मुझे माफ कर दीजिए मां। आज इन बच्चों को देखकर मुझे बहुत बुरा लग रहा है । आज के बाद मैं आपसे बेवजह की कोई फरमाइश नहीं करूंगा और घर पर आपने जो अब तक इतने खिलौने मुझे दिलाए थे। वह सब भी हम अगले इतवार को यहां आकर इन बच्चों को दे देंगे । 

जिससे यह सब बच्चे भी आपस में खेल पाएंगे और फिर साकेत अपने साथ लाई हुई बिस्किट फल केक बड़े प्यार से उन बच्चों के बीच ऐसे बांटने लगा । जैसे वह हमेशा से यहां आता रहा हो । मैं साकेत को इस तरह सब चीजें बांटते हुए देखकर खुशी से भर उठी। 

शाबाश मेरे बच्चे ये हुई ना बात कहते हुए मैं भी साकेत के साथ उन बच्चों में फल मिठाई केक आदि बांटने लगी। घर आकर साकेत ने मुझसे और अपने पापा दोनों से ही क्षमा मांगी और फिर वो कहने लगा !

मैं तो बहुत लकी हूं । जो मुझे आप और पापा मिले  है ! मैं अब कभी भी गलत चीजों के लिए आपसे जिद नही करूंगा कहकर वह मेरे और अपने पापा के गले लग पड़ा !

स्वरचित 

सीमा सिंघी 

गोलाघाट असम

Leave a Comment

error: Content is protected !!