अपनो की पहचान – रीतू गुप्ता : Moral stories in hindi

चारो ओर शोर मच रहा था 

 आवाजें आ रहीं थी … 

बहुत भयंकर .. एक्सीडेंट हुआ है… 

अरे ये तो वरुण फेमस यू-ट्यूबर है.. 

कोई हॉस्पिटल लेके जाओ …

कोई एम्बुलेंस बुलाओ…

मिली-जुली आवाजें…

.अरे नहीं बेकार में हम फंस जायेगे यार… पड़ा रहने दे…

तु तो फैन है उसका…

फैन हुं तो क्या.. पुलिस के चक्र में नही पडना मेरे को भाई ….

सड़क पर ये सब सुनता सुनता मैं(वरुण)बेहोश हो गया… 

आज…

मुझे धीरे धीरे होश आ रहा था .. मशीनों की पी पी सुनाई देने लगी..

मेरी आंखे नहीं खुल रहीं थी पर कुछ कुछ सुनाई दे रहीं था

सर… कुछ कीजिए ना… इसे होश में ले आए … .. 5 घंटे से ऐसे ही बेसुध पड़ा है … सर ये ठीक हो जाएगा ना .. 

बोलते बोलते रो पड़ा था वो… 

 देखिए …जब तक पेशेंट को होश नही आ जाता .. तब तक हम कुछ नहीं कह सकते। 

अबे! उठ जा यार…

अंकल आंटी आने वाले है… कैसे देखेंगे तेरी ये हालत ।

तु एक बार उठ सही, अब तेरी कोई मनमानी नही चलेगी.. समझा तु..

आवाज पहचानते हुए… 

 यह तो समर है … मेरा दोस्त… 

ये यहां कैसे … मैंने तो इसके साथ….इतना बुरा किया … फिर भी…

 वो अतीत में चला गया …

वरुण, जो पंजाब के छोटे से गांव से दिल्ली आया था चार पैसे कमाने… 

यहा उसका कोई नहीं था ….. 

पापा के दोस्त की सिफारिश पे दिल्ली में एक मोटर साइकिल कंपनी में काम मिला था ..

यहीं उसकी मुलाकात समर से हुई … 

समर अच्छा मेकैनिक होने के साथ साथ अच्छा इंसान भी था …

वरुण जब नया नया आया था उसे काम ज़्यादा नहीं आता था … पर समर ने उसका हर पल साथ दिया ..

उसे काम सिखाया..

 उसके रहने के लिए जगह दिलाई.. 

उसके खाने का भी प्रबंध करवा दिया था।

एक बार किराया ना देने पर उसको कमरे से निकाल दिया गया .. तब भी समर ही काम आया उसके… उसे अपने साथ अपने घर ले गया .. छोटे भाई की तरह ख्याल रखा ।

उसकी माँई को वो भी माँई कहने लगा। 

माँई कहती मेरे 1 नहीं 2 बेटे है … 

इधर मम्मी पापा भी इतनी अच्छी फॅमिली मिलने पर मेरे लिए निश्चिंत हो गए थे…

मुझे वीडियो बनाने का शौंक था ..

मैं जो भी बाइक ठीक करता उसका वीडियो बना देता और रील बना कर यूट्यूब पर अपलोड करता जाता ।

धीरे धीरे मेरे फॉलोयरस बढने लगे… मैं नई नई बाईक के बारे में भी बताने लगा।

मैं पॉपुलर होने लगा … मेरी रील देख मेरे फॉलोयरस हमारे कंपनी में आने लगे … सेल बढने लगी।

मालिक ने खुश हो कर मेरी सैलरी भी बढा दी ।

मैंने और समर ने साइड इंकम के लिए घर में छोटा सा गैराज खोल लिया… वो भी खूब चलने लगा …

दूसरी तरफ मेरी बनाई रीलस खूब वायरल होने लगी, जिससे मेरे फॉलोयरस और बढे, और मुझे यूट्यूब से भी इंकम होने लगीं..

 मेरा नेम फेम इंकम सब बढने लगा। 

पर कहते है ज्यादा ऊंचाई हर किसी को रास नहीं आती।

मेरे साथ भी यही ही हुआ…

मेरी बर्थ-डे पार्टी चल रहीं थी।  

समर ने ही सब इंतजाम किए थे।

मम्मी पापा , माँई ,मेरे दोस्त सब साथ थे …

मैं ज्यादा ड्रिंक करने लगा … 

समर मुझे रोकने लगा… पर मैं रुक ही नहीं रहा था।

पापा ने मुझे रोकना चाहा, पर मैं नशे में चूर .. उनको अपशब्द बोल गया… आप हटो…जाओ.. यहा से .. एंजॉय करने दो मुझे… मैंने पापा को धक्का दे दिया …

 समर से बर्दास्त नहीं हुआ.. 

वो आया.. होश में आ वरुण… क्या कर रहा है तू…

पागल हो गया है क्या… अंकल से बत्तमीजी क्यु कर रहा है..

उसका मेरे दोस्तों के सामने यूं बोलना मुझे बर्दास्त नहीं हुआ ..

..

और फिर मैंने .. कड़वे बोल बोलने शुरू कर दिए ..

जलता है तू मुझसे… 

कि मैं तुझसे आगे निकल गया … और तू अब भी वही है… 

बोलता क्यूं नहीं….  

पापा बीच में आए..

वरुण तुझे ज़्यादा चढ गयी है .. तू चुप कर .. जा कमरे में जा अपने.. 

मैंने उनको दूर करते हुए कहा …

मैं क्युं जाऊँ… यह होता कौन है…मुझे भाषण देने वाला..

अरे, पडा होता वही थोड़ी सी सैलरी पे…

मैंने इसे गैराज खुलवा कर दिया…

समर सब हक्का-बक्का हो सुन रहा था… 

तभी … 

माँई ने समर की जेब से गैराज की चाबी निकाली और वरुण के हाथ में रख दी… ले आज से तू ही सम्भाल अपना गैराज ..

समर को ले वहां से चली गई….. 

आज 2 साल बाद यहां.. मेरे लिए….ऐसे गिड़गिड़ा रहा है… 

तभी नर्स बोली… सर… पेशेंट को होश आ रहा है… 

डॉ.. चैक करते हुए…

नर्स जल्दी से इंजेक्शनदो … तांकि इनकी स्थिति कंट्रोल हो सके। 

वरुण की आंखे अब खुल चूकी थी….

उसे समर का आंसुओ से भरा चेहरा दिखा…

उसकी अपनी आंखों से भी आंसू निकलने लगे…. 

समर .. यार तुझे होश आ गया… इतना ही बोल था कि डॉ. बोले अभी आप बाहर इंतजार करे….

पेशेंट को थोड़ा स्टेबल होने दो…हम आपको बुला लेगे…

सर 2 मिनट बात कर लू बस 2 मिनट..

देखिए पेशेंट से अभी बात करना मुमकिन नहीं है….

हमे देखने दीजिए… आप बाहर जाये… हम आप को बुला लेगे….

समर बाहर शीशे में से मुझे ही देख रहा था और मैं उसे …

ख़ामोश से हम दोनों 

बस आंसू थे जो दोनों की आँखों से बह कर दिल की दास्तान कह रहे थे … 

उसे देखते ही देखते मेरी आंखे फिर बंद हो गयी..

और आज जब खुली तो देखा..

मम्मी पापा भी वहां थे .. …

पापा .. अरे उठ गया तू … 

लंबी झपकी लेली तुने।

वेसै डॉ. कह रहे है अब ठीक है तू ..खतरे की कोई बात नहीं…

कल थोड़ा होश आया था , तुझे…. ओर उसके बाद अब उठा तू …

माँ .. मेरी नजर उतारते हुए…लाख लाख शुक्र है.. उस भले लड़के का जो इसे सही समय पर ले आया … वर्णा….. 

अरे भाग्यवान छोड़ सब .

डॉ. कह रहे है ना अब कोई खतरे वाली बात नहीं…

भला तो समर का भी हो… जिसने एक फोन पे आकर सब सम्भाल लिया … 

वर्ना तुम्हारे बेटे ने जो उसके साथ किया…. 

तभी समर उस लडके को लेकर कमरे में आता जो वरुण को हॉस्पिटल लाया था…..

 अंकल.. ये क्या बातें लेके बैठ गए आप… 

गिले शिकवे बाद में होते रहेगे .. अभी हम सब को मिलकर वरुण का ख्याल रखना है … 

आंटी ये ही वो भला लङका…

पापा उसको हाथ जोड़कर.. शुक्रिया बेटा… 

अरे नही अंकल.. ये तो मेरा फर्ज था..

बेटा क्या आप भी वरुण के फैन हो..

नहीं अंकल मैं इन्हें जानता भी नहीं..

पापा . .. फिर भी हेल्प की आपने..

अंकल इंसानियत के नाते..

जीते रहो बेटा…

मैंने इशारे से उसे अपने पास बुलाया 

और थैंक्स बोला…

फिर भीगी आँखो से समर को पास बुलाया..और सॉरी.. बोला…

समर– क्या यार..कर दी ना छोटी बात… अपनों में क्या सॉरी… 

और मेरे गले लग गया… 

आज मैं समझ गया था… 

रील वाले अपनों से अच्छे हमेशा रियल वाले ही अपने होते है …

रीतू गुप्ता 

स्वरचित 

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