अपनो की पहचान – खुशी : Moral Stories in Hindi

आदित्य एक बिज़नेस मेंन था। उसके माता-पिता का देहांत  17 18 वर्ष की उम्र में होने के कारण रिश्ते के नाम पर दूर के चाचा चाची थे जो माता पिता के अंतिम संस्कार के बाद यही रुक गए और चाची कमला अपने आपको इस घर की मालकिन ही समझने लगी। आदित्य भी सोचता की चलो कोई

तो अपना है शुरू शुरू में कमला आदित्य के लिए खाने पर इंतजार करती पर धीरे धीरे सब खत्म होता गया।आदित्य के सामने तो चाचा भी दिखाते की उन्हें घर परिवार की बहुत चिंता है पर पीछे से उसके पैसों पर ऐश करते उनका बेटा राघव भी आवारा और अय्याश था।आदित्य के मामा निरंजन

आदित्य को बहुत चाहते थे क्योंकि वो अपनी बहन आरती को बहुत प्यार करते थे इसलिए उनका आदित्य पर भी बहुत स्नेह था। पर जब भी वो आदित्य से मिलने आते चाचा चाची उन्हें गेट से ही भगा देते।कभी कभी मामा आदित्य से दफ्तर में ही मिल लेते ।वो  चाहते थे कि आदित्य के जीवन में कोई

अपना हो क्योंकि आदित्य के चाचा चाची के बारे में वो आदित्य की मां से सुन चुके थे।आदित्य के ऑफिस में स्नेहा नाम की लड़की आई सीधी साधी भोली भाली शायद किसी मजबूरी में ही घर से निकली होगी।पढ़ाई में टॉपर उसके डॉक्यूमेंट्स बहुत अच्छे थे एस ए असिस्टेंट अकाउंटेंट उसने

ज्वाइन किया।आदित्य ने अपने दोस्त गौरव से उसकी सारी मालूमात निकलवाई।इधर कमला अपनी भांजी रेनू का रिश्ता आदित्य से करवाना चाहती थी ताकि सारी संपति हड़प सके।पर आदित्य स्नेहा को अपनाना चाहता था।उसकी जानकारी यू निकली घर में वो और पिताजी श्यामलाल है जो

अध्यापक के पद से रिटायर है और घर में टयूशन करते है।मां का तीन साल पहले कैंसर से निधन हो गया।पिताजी भी आज कल बीमार रहते हैं इसीलिए स्नेहा नौकरी कर रही है।एक छोटा सा दो कमरों का मकान है।जिसमें वो दोनों रहते है। कमला ने जब आदित्य से रिश्ते की बात की तो आदित्य ने मना कर दिया उसने कहा मै किसी को पसंद करता हूं और उसी से शादी करूंगा और फिर गौरव और

अपने मामा जी और चाचा चाची के साथ वो स्नेहा के घर पहुंचा स्नेहा उसे देख घबरा गई।चाचा चाची तो मुंह बना रहे थे कहा फटीचर घर में रिश्ता जोड़ रहे है पर मामा जी ने बात संभाली।आदित्य ने स्नेहा से बात की स्नेहा बोली मै आपके लायक नहीं कहा आप कहा हम दूसरा आप हमारी गरीबी पर तरस खा कर रिश्ता तो नहीं कर रहे और मेरे पापा का मेरे सिवा कोई नहीं है मै उन्हें अकेला नहीं छोड़

सकती।आदित्य बोला स्नेहा मेरी कम उमर में मेरे माता पिता का देहांत हो गया और मेरे चाचा चाची मेरे साथ आ गए मै ये भी जानता हूं कि वो सिर्फ पैसों के लिए मेरे साथ है। मेरे आस पास बहुत लड़कियां हैं जो मेरा पैसा चाहती है और इसलिए मुझसे रिश्ता जोड़ना चाहती है।पर तुम्हे देखने के बाद मेरे दिल ने तुम्हे अपना माना तुम्हे देखकर मुझे अपने पन का एहसास हुआ इसलिए मैं तुम्हे

अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहता हूं और तुम्हारे पिताजी भी हमारे साथ रहेंगे और फिर एक साधे से समारोह में दोनो का विवाह हो गया ।स्नेहा और उसके पिताजी आदित्य के घर आ गए।आदित्य चाची से बोला चाची इतने सालों तक आपने मेरा घर अच्छे से संभाला अब ये जिम्मेदारी स्नेहा को दे दीजिए।कमला ना ना करती रही पर अब घर की चाभियां स्नेहा के पास थी।स्नेहा ने कुछ ही दिनों में

घर संभाल लिया वो सब कुछ अच्छे से देख रही थी पर चाचा चाची को वो फूटी आंखों ना भाती एक दिन आदित्य बिजनेस मीटिंग के लिए पुणे गया था और स्नेहा के पिता श्यामलाल अपने मित्र के बेटे के ब्याह में गए थे घर पर चाचा चाची स्नेहा और उनका आवारा लड़का राघव घर पर था।राघव अपनी मां से पैसे मांग रहा था।कमला बोली अब हमारे हाथ में पैसा कहा वो सब तो उन महारानी के हाथ है।

राघव बोला तुम बोलो तो सबक सीखा दूं साली कही मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी।कमला बोली देख ले तेरा नाम नहीं आना चाहिए।स्नेहा अपने रूम में आदित्य से वीडियो कॉल पर बात कर रही थी दरवाजा बजा काल चलते में ही उसने दरवाजा खोला उसने कहा राघव तुम कुछ चाहिए राघव को

पता नहीं था कॉल चल रही है उसने स्नेहा को धक्का दिया और बोला हा तू बड़ी महारानी है जो हम पर हुकुम चलाएगी आज मै तुझे बताता हूं।आदित्य फोन पर से ही चिल्लाया राघव अपनी औकात में

रहो यहां से बाहर जाओ राघव नशे में था बोला तू भी लाइव प्रोग्राम देख ले। आदित्य ने गौरव को फोन कर पुलिस ले कर पहुंचने के लिए कहा और खुद भी निकला उधर स्नेहा राघव से खुद को छुड़ा रही थी इतनी देर में चाची भी आ गई और बोली आज इसका भूत उतार देना गरीब भिखारी खुद को

महारानी समझ रही थी।स्नेहा अपने आपको बचा रही थी और राघव उस पर अत्याचार करने को आतुर था।तभी घंटी की आवाज आई और नौकर ने दरवाजा खोला गौरव भाग कर पुलिस को ले ऊपर आया।पुलिस ने राघव को गिरफ्तार किया और गौरव ने जल्दी से स्नेहा को बेडशीट से कवर किया।

स्नेहा डर के मारे बेहोश हो गई उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और चाची को भी पुलिस ले गई।चाचा चाची  स्नेहा पर नाम लगा रहे थे कि स्नेहा ने राघव को बुलाया था।आदित्य चिल्लाया बस मुझे सब पता है स्नेहा मेरे साथ वीडियो कॉल पर बात कर रही थी जब राघव उसके कमरे में आया और उसे जलील करने लगा और मुझे भी बोला कि तू भी देख आप लोगों को मैने अपना समझा आप तो

आस्तीन का सांप हो पापा का एक ही रिश्ता था आप लोग इसलिए मैने आपको अपने पास बुलाया पर छी आप लोग घर में पैसे चुराते झूठ बोल कर मुझसे पैसे निकलवाते अपने बेटे को मेरे ऑफिस भेजा वहां भी वो अकाउंटेंट से पैसे लेता पर मैने सब इग्नोर किया कि आप अपने है पर मै ग़लत था ।आज

मुझे अपने पन की पहचान हुई है स्नेहा गौरव मामाजी मेरे अपने है जो पैसों के लिए नहीं मेरे प्यार के लिए मेरे साथ है इंस्पेक्टर साहब इन तीनों को ले जाइए और गौरव इनका सारा सामान इनके गांव

छुड़वा दो।चाचा चाची को तो आदित्य ने छुड़वा दिया पर राघव को 5 साल की जेल हुई।स्नेहा ठीक हो कर घर आई अब आदित्य के मामा निरंजन भी उनके साथ रहते थे स्नेहा सब अच्छे से संभाल रही थी और आदित्य भी निश्चित था कि अब सब अपने है कोई दगा नहीं करेगा।कुछ समय में आदित्य स्नेहा

को जुड़वा बच्चे हुए दादा नाना बच्चों में व्यस्त रहते और आदित्य स्नेहा और बच्चों के रूप में उसे पूरी दुनिया ही मिल गई आज वो अपने पिता माता की तस्वीर के आगे खड़ा था जिसमें शायद अपने बेटे के सुख को देख वो भी मुस्कुरा रहे थे।

स्वरचित कहानी 

#अपनो की पहचान

आपकी सखी 

खुशी 

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