हैप्पी रिटायरमेंट डे प्रभात जी के उठते ही नमिता जी ने चाय की प्याली के साथ ताजा गुलाब पकड़ाते हुए कहा तो प्रभात जी मुस्कुरा उठे।
धन्यवाद श्रीमती जी आज तो मेरा स्वतंत्रता दिवस है चाय का कप उठाते हुए कह उठे।
हां आज ही बस ऑफिस जाना है आपको।आज तो आराम से जाइए ऑफिस आज तो आपका ही दिन है नमिता जी ने तसल्ली से चाय पीते हुए कहा तो प्रभात जी खड़े हो गए।
नहीं नमिता जी आज आखिरी दिन भी मैं समय से ही ऑफिस जाऊंगा कहते हुए वह नहाने चले गए तो नमिता जी भी फुर्ती से उठ कर किचेन की ओर बढ़ गईं।
आज प्रभात जी की पसंद का नाश्ता बना रहीं थीं वह।
गैस जलाने लगीं तो लाइटर हाथ से छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।उसे उठाने की हड़बड़ी में एक हाथ में पकड़ा घी का कंटेनर टेढ़ा हो गया और घी उनके ऊपर उलट गया।
आवाजें सुन छोटी बहू आशी आ गई।किचेन का हाल देख परेशान हो गई।
मम्मी जी आप को कोई चोट तो नहीं लगी।आप बैठिए मैं कर देती हूं नमिता जी के हाथ से घी का डिब्बा संभालती कह उठी।
नहीं आशी मैं अब ठीक हूं।पता नहीं आजकल जल्दबाजी में काम करते वक्त हाथ कांपने लगते है इसी वजह से चीजें गिर जाती हैं नमिता जी ने घी का डिब्बा लेकर कड़ाही में डालते हुए कहा।
जा तुझे छोटे को स्कूल के लिए तैयार करना होगा मैं नाश्ता बना दूंगी आज इनका रिटायरमेंट डे है खास हलवा बना रही हूं हंसकर उन्होंने चिंतित खड़ी बहू को आश्वस्त किया और मनोयोग से हलवा बनाने लगीं।
फिर तो आप ही बनाइए पापा जी खुशहो जाएंगे आशी ने भी हंसकर कहा और छोटे के पास चली गई।
क्या बन रहा है मां आज पूरा घर खुशबू से भर गया है बेटे सौरभ ने किचेन में आते हुए कहा तो प्रभात जी भी आ गए।
तुम्हारी मां मेरे रिटायरमेंट से बेहद खुश हो रही हैं उसी खुशी में मेरी पसंद का हलवा बना रही हैं क्यों श्रीमती जी ठीक कहा ना मैंने।
खुशी की तो बात ही है मेरे लिए।अब कल से आप यहीं घर पर रहेंगे ऑफिस नहीं जाना पड़ेगा नमिता जी बोल उठीं।
लेकिन मन ही मन बहुत चिंतित भी थीं।
कल से मेरा और भी काम बढ़ जाएगा।इनकी तो लाट साहबी की आदतें हैं।अभी तक तो कम से कम ऑफिस जाने के बाद थोड़ा आराम मिल जाता था अब तो ऑफिस भी खत्म।पुराने दोस्त जो रिटायर्ड हैं यहीं बैठक जमाएंगे। काम और भी बढ़ जाएगा।
इनके तो आराम के दिन आ गए मेरे भी कभी आएंगे… गहरी सांस भर सोचने लगीं वह।
मां क्या सोचने लगीं जल्दी से रेडी हो जाइए पापा हो गए हैं सौरभ ने कहा तो वह चौंक गईं।मुझे कहां जाना है बेटा मै क्यों रेडी हो जाऊं?
अरे ऑफिस वालों ने आपको भी बुलाया है विशेष रूप से आमंत्रित किया है ।आज तो आपको जाना ही पड़ेगा अबकी आशी बोल पड़ी।
लेकिन मेरा क्या काम वहां। मैं तो कभी गई ही नहीं ऑफिस नमिता जी अचानक बहुत परेशान हो गईं।
आप परेशान क्यों हो रही हैं मां ।कार में बैठकर जाना है वहां भी बैठे रहना है फिर कार में बैठ कर वापिस घर आ जाना है आइए मैने आपके लिए साड़ी तैयार करके रखी है प्यार से कहती आशी उन्हें अपने रूम में ले गई और थोड़ी ही देर में तैयार करके बाहर लेकर आ गई।
वाह श्रीमती जी आज की मुख्य अतिथि तो आप ही लग रही हैं प्रभात जी ने प्रशंसात्मक दृष्टि से उन्हें देखते हुए कहा तो नमिता जी शर्मा सी गईं।
बेहद संकोच से ऑफिस में प्रभात जी के साथ वह प्रविष्ट हुईं थीं।तुरंत ही पूरा हाल तालियों से गूंज उठा था।बुके के ढेर लग गए थे।ना जाने कितने लोगों ने बुके माले और गिफ्ट्स भेंट की ।हर बार प्रभात जी के साथ नमिता जी को भी खड़ा किया गया तिलक लगा स्वागत हुआ भेंट दी गईं।
भाषण का दौर चला।
प्रभात जी बोल रहे थे “…आज सफलता के जिस मुकाम पर पहुंच सका जिनकी बदौलत यह कामयाबी ये प्रतिष्ठा मुझे मिली आज उनका परिचय आप सभी से करवाना चाहता हूं।वह हैं मेरी श्रीमती जी नमिता जी।जी हां आज ये पहली बार यहां आईं हैं।प्रतिदिन की इनकी मेहनत इनका ख्याल ही है जिसके कारण मैं इतने दीर्घ काल तक स्वस्थ रूप से समय पर ऑफिस पहुंचता रहा इनकी सुव्यवस्थित शैली ने मुझे हर जगह व्यवस्थित किया इनकी उत्सुकता पूर्वक शांति से सुनने की आदत ने मुझे हर रोज ऑफिस के तनावों से छुटकारा दिलाया इनका धैर्य ही था कि घरेलू जिम्मेदारियों से बच्चों की सेवा से मुझे मुक्त रखा और मैं अपने ऑफिस वर्क निर्विघ्न कुशलता से करता गया आज आप सभी के सामने मैं इन्हें ये सारे बुके समर्पित करता हूं इन सबकी असली हकदार यही है।सचमुच नमिता जी आप ना होती तो मेरा क्या होता अत्यंत भावुकता से कहते हुए प्रभात जी ने ठगी सी खड़ी नमिता जी को सारे बुके भेंट कर दिए ।
सारा हाल करतल ध्वनि से गूंज उठा।हर व्यक्ति ने खड़े होकर उनका सम्मान किया।हर्ष व्यक्त किया।
नमिता जी का दिल भर आया।इतना सम्मान इतना आदर इतनी तालियां उनके लिए ।उनके पति ने सबके सामने उनकी तारीफ की यह उनके लिए बहुत गौरव और प्रसन्नता की बात थी।उन्होंने कभी इस बात की ऐसे पल की कल्पना भी नहीं की थी। सारा श्रेय मुझे दे रहे हैं सोच कर ही उनमें एक नई ऊर्जा का संचार हो गया।अपनी सारी मेहनत का मानो मूल्य मिल गया था उन्हें।
घर वापसी के पूरे रास्ते और घर आकर भी वह इन्हीं सुखद पलों में खोई रहीं।
दूसरे दिन सुबह जैसे ही वह चाय नाश्ता बनाने के लिए किचेन में जाने लगीं आशी ने चाय नाश्ते की ट्रे उनके हाथ में पकड़ा दी।
लीजिए मां नाश्ता तैयार है कहती आशी की तरफ उन्होंने चकित होकर देखा पर कुछ बोली नहीं।प्रभात जी के साथ बैठकर चाय नाश्ता करना उन्हें सुखद भी लग रहा था और थोड़ा अजीब भी।साथ में नाश्ता तो कभी नहीं किया था उन्होंने।
नाश्ते के बर्तन समेट वह आदत के अनुसार फिर किचेन में लंच बनाने पहुंच गईं।देखा तो आशी लंच की तैयारी में जुटी हुई थी।नमिता जी फिर चकित हो गईं। आशी से कई बार बोलने पर भी वह किचेन से बाहर नहीं गई।पूरा लंच तैयार करती रही।
प्रभात जी अखबार पढ़ते रहे फिर उनके मित्र आ गए तो उनकी गोष्ठी जम गई।
नमिता जी को किचेन का ही काम करने की आदत बनी हुई थी।वही काम ना करने के कारण उन्हें बहुत खाली खाली प्रतीत हो रहा था।काफी परेशान थीं वह।आज बहू को क्या हो गया है।मुझे किचेन से बाहर कर दिया है।पति के रिटायर होते ही इज्जत ही घट गई मेरी।नाश्ता भी अपने मन से बना ली और लंच का मेनू भी मुझसे नहीं पूछी।कल मेरे हाथ से घी गिर गया था तो क्या इतना बड़ा नुकसान हो गया था।घर की सत्ता अब बहू के हाथ में चली गई।मेरी इस घर में कोई जगह नहीं रह गई।अब मैं अपने पति की पसंद की चीजें भी नहीं बना सकती।
बेहद उद्विग्न हो रहीं थीं वह।
तभी आशी वहां आ गई।मां आपके लिए एक सरप्राइस है कहते हुए एक गिफ्ट उनकी तरफ बढ़ा दी।
मुझे तो कल से ही इतने सरप्राइस मिल रहे हैं अब और कौन सा सरप्राइस दे रही है यह सोचते हुए नमिता जी ने वह गिफ्ट खामोशी से ले लिया।
खोलिए ना मां रखने के लिए नहीं दिया है आशी बच्चों सी मचल उठी।
अनिच्छापूर्वक नमिता जी ने गिफ्ट खोला तो सच में वह सरप्राइज्ड रह गईं।उनकी बहुत पुरानी डायरी थी वह।उसमें उन्होंने अपने कई शौक लिखे थे।जिंदगी में अगर फुर्सत मिली और मौका मिला तो वह क्या करना चाहेंगी उन्होंने लिखा था।
ये तो मेरी बहुत पुरानी डायरी है आशी।तुम्हे कहां से मिल गई।उसे खोलते हुए वह बहुत ज्यादा आश्चर्य से पूछ बैठी।
सरप्राइस ही रहने दीजिए मां इस रहस्य को आप तो बस इसे खोल कर पढ़िए आशी ने कहा।
क्या पढ़ा जा रहा है भाई तब तक प्रभात जी भी आ गए तो नमिता जी सकुचा गई।
कुछ नहीं जी ये आपकी बहू को भी मजाक सूझ रहा है मेरे साथ ।
आपके हाथ में क्या है डायरी की तरह प्रभात जी ने टोका।
मेरी पुरानी डायरी है जी नमिता जी ने छिपाते हुए कहा।
अच्छा क्या लिखा है इसमें तुमने आशी कह रही है जोर से पढ़ो प्रभात भी जिद कर बैठे।
तब तक सौरभ ने आकर डायरी झपट ली और खोल कर पढ़ने लगा।
पहला शौक संगीत सीखना हारमोनियम के साथ।
दूसरा शौक पेंटिंग सीखना और करना।
तीसरा शौक अपनी पसंद की पुस्तके खरीदना और आराम से पढ़ते रहना…..
सौरभ बिना रुके पढ़ता जा रहा था और नमिता जी उसे रोकती जा रही थीं।
बस कर सौरभ रुक जा आगे मत पढ़ना नमिता कह रहीं थीं।
नहीं नमिता इसे मत रोकिए और आप खुद को भी मत रोकिए।अब समय आ गया है इन सबको पूरा करने का।मेरे साथ आपका भी रिटायरमेंट होना चाहिए ।रिटायरमेंट मतलब काम के तनाव से मुक्ति।किचेन का काम अब अपनी इस काबिल बहू को संभालने दो बहुत कर लिया
तुमने।थोड़ा बिगाड़ेगी तुम्हारी तरह करने में इसे समय लगेगा जरूर पर यह कर लेगी करने दो इसे।अब समय अपने लिए निकालो।अधूरी डायरी के पन्ने पूरे करो प्रभात जी ने पास आकर बेहद मृदुता से उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा तो नमिता जी की आंखों के सामने एक नई रोशनी खुल गई।
मैने एक दिन आपकी यह डायरी पढ़ ली थी मां और पापा से इस बारे में चर्चा की थी और तभी यह प्लान भी बना लिया था आशी मुस्कुरा कर रहस्य खोल रही थी।
हैप्पी रिटायरमेंट श्रीमती जी गुलाब का बुके बढ़ाते हुए प्रभात जी ने कहा तो नमिता जी भाव विभोर हो गईं।
हैप्पी रिटायरमेंट मां कहते आशी और सौरभ उनके पैरों पर झुक गए थे और नमिता जी की हाथों में पकड़ी डायरी के पन्नो पर लिखी अधूरी इच्छाएं मानो बाहर आने को फड़फड़ाने लगीं थीं।
लतिका श्रीवास्तव
#रिटायरमेंट