स्वीटी ! कैसे मुँह फाड़-फाड़ कर हँसती हो ? अच्छे घर की लड़कियाँ धीरे मुसकराती हैं ।
स्वीटी ! कैसे हाथी की तरह धम्म-धम्म करके चलती हो ? अच्छी लड़कियाँ धीरे-धीरे चलती हैं ।
स्वीटी ! कैसे चप्प-चप्प करके खाती हो ? अच्छी लड़कियाँ मुँह बंद करके खाती हैं ।
स्वीटी ! कैसे लड़कों जैसे कपड़े पहनती हो ? भले घर की लड़कियाँ सूट-सलवार पहनती हैं ।
उफ़्फ़! भगवान के लिए ताईजी, अब आगे मत बताना कि अच्छे घरों की लड़कियाँ क्या-क्या करती हैं ।
स्वीटी! अच्छे घर की लड़कियाँ बड़ों से बहस नहीं करती ।
इतना सुनते ही स्वीटी पैर पटकती हुई सीढ़ियों पर तेज़ी से चढ़ती हुई अपने घर पहुँच गई और उसकी ताईजी पीछे से बोलती ही रह गई कि स्वीटी….
स्वीटी ! क्या अच्छी लड़कियों की तरह दरवाज़े से नहीं आ सकती थी ? छत से कूदकर जाना शोभा नहीं देता ।
माँ की बात सुनकर सचमुच स्वीटी की आँखें भर गई और वह बोली-
मम्मी, अभी-अभी ताईजी ने दो सौ बातें सुनाई कि अच्छी लड़कियाँ क्या-क्या करती हैं और यहाँ आते ही आप शुरू हो गई ।
तूने अपनी ताईजी के साथ बहस तो नहीं की ?
वैसे बहस करना किसे कहते हैं मम्मी ?
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अरे ! पलट कर जवाब तो नहीं दिया ? चुप रही ना ? अगर बेटी से कोई गलती हो जाती है तो उसकी माँ को दोषी माना जाता है । मैं नहीं चाहती कि किसी को मेरी परवरिश पर उँगली उठाने का मौक़ा मिले ।
स्वीटी ने जैसे ही कुछ कहना चाहा कि तभी उसका बड़ा भाई सौरभ आ गया । उसको देखते ही स्वीटी का ध्यान माँ की बातों से हट गया । भाई को देखकर स्वीटी बोली-
भइया ! आपका तो आज रिज़ल्ट आने वाला है ना ?
आने वाला नहीं, आ गया है । मेरा एन० डी० ए० में सिलेक्शन हो गया । ख़ुशी से चहकते हुए सौरभ ने स्वीटी को गोद में उठाकर घुमाते हुए कहा ।
क्या कर रहे हो ? सौरभ ! स्वीटी छोटी ब…….
माँ के बोलने से पहले ही स्वीटी बोल उठी-
स्वीटी छोटी बच्ची नहीं है । अच्छे घर की लड़कियाँ ख़ुशी नहीं मनाती । और अच्छे घर के लड़के अपनी बहन को गोद में लेकर नहीं घुमाते ।
स्वीटी ! इतना बोलना कहाँ से सीखा ?
मैंने तो ज़्यादा कुछ नहीं कहा , मम्मी! केवल वही कहा है जो आप मुझे समझाती है । मैं भइया को वही समझा रही थी ।
एक महीने बाद सौरभ को ट्रेनिंग के लिए जाना था । समय कब पंख लगाकर उड़ गया , पता ही नहीं चला । जाने से एक हफ़्ता पहले सौरभ मम्मी से बोला-
मम्मी, मैं बहुत दिनों से देख रहा हूँ कि स्वीटी के साथ आपका व्यवहार कठोर हो रहा है, ऐसा क्यों?
नहीं बेटा , कठोर नहीं है । पर बड़ी होती लड़की को समझाना तो पड़ता ही है । ज़माना बड़ा ख़राब है कोई ऊँच-नीच हो गई तो सब मुझे ही कहेंगे । तू अभी छोटा है, नहीं समझेगा । और सौरभ, तुम्हें भी ध्यान रखना चाहिए कि अब स्वीटी बड़ी हो रही है । क्या उसे छोटी बच्ची की तरह गोद में उठा लेते हो ।
मम्मी, मैं तो छोटा हूँ , समझूँगा नहीं और मुझसे पाँच साल छोटी मेरी बहन बड़ी हो चुकी है । ज़ोर से हँसने बोलने से किसी के बिगड़ने- सुधरने का क्या संबंध है । क्या सूट- सलवार पहनने वाली , हमेशा गुमसुम रहने वाली और अपनी बात ना कहने वाली लड़कियाँ ही अच्छे चरित्र की होती हैं । बाक़ी सब ख़राब है ?
मेरा ये मतलब नहीं है ।
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मम्मी, मैं दूर चला जाऊँगा । आप और पापा उसे मुँह नहीं खोलने दोगे तो वो किसे अपने मन की बात बताएगी ? तीन साल कोचिंग के लिए बाहर रहने पर मुझे समझ आया है कि बड़े होते बच्चों को माता-पिता की डाँट- डपट या ताने- उलाहनों की नहीं बल्कि साथ की ज़रूरत होती है ।
ज़्यादा बड़ा बनने की कोशिश मत करो । मुझे भी पता है इन सब चीज़ों का ।
मम्मी, मैं आपको कैसे समझाऊँ ? अच्छा, ये बताओ ? रेवा दीदी कैसी है ?
रेवा जैसी लड़की सबके पैदा हो जाए तो जीते जी मुक्ति मिल जाए । तेरी मौसी क़िस्मत वाली है जो रेवा की माँ है । भई , पता नहीं, दीदी ने किस तरह अपने बच्चों की परवरिश की ? इतनी होनहार और संस्कारी औलाद भगवान सबको दें ।
तो सुनो मम्मी । वहीं रेवा दीदी अपने मनपसंद कपड़े पहनती हैं । अपने दोस्तों के साथ सिनेमा देखने जाती हैं । उनके दोस्त लड़के भी हैं । ज़ोर-ज़ोर से हँसती- बोलती है । रात को भी अकेले आने-जाने से नहीं कतराती । क्या ये सारी बातें मौसी ने आपको बताई ?
हाय राम ! नहीं तो ।
क्योंकि ये बातें बताने की हैं ही नहीं, बच्चों को अच्छे- बुरे की पहचान करनी सिखानी चाहिए । परिवार के साथ सलाह मशविरा करना सिखाना चाहिए । ना कि बेकार की बातें करके उनके मन में विद्रोह की भावना भरनी चाहिए । जिस तरह ताईजी ने सारा दिन लड़की- लड़की कहके प्राची को छिप- छिपकर इच्छाएँ पूरी करने पर मजबूर कर दिया । मम्मी प्लीज़, स्वीटी को दोहरा चेहरा लगाने के लिए विवश मत कर देना ।
चुपचाप सुनती माँ मन ही मन अपने बेटे की समझदारी पर गौरवान्वित थी ।
ट्रेनिंग के लिए जाते समय ताईजी बोली – अब हर छोटे-छोटे काम के लिए तेरे पापा को ही दौड़ना पड़ेगा ।
नहीं भाभी, स्वीटी के होते हुए चिंता की बात नहीं ।
मम्मी की आँखों की चमक देखकर सौरभ आश्वस्त होकर गाड़ी में बैठ गया ।
करुणा मलिक