पुरा मुड़ खराब हो गया सुबह सुबह , मम्मी यह कैसा आलू पराठा बनाया हैं तुमने ?? ना नमक का स्वाद ना मसालों का स्वाद , इससे अच्छा होता कि मैं आलू पराठा बाहर ही खा लेता , मैंने कल शाम को कितना प्यार से तुमसे कहा था कि
कल नाश्ते में करारेदार आलू पराठा और साथ में धनिया मिर्ची की चटनी बनाना मगर तीखी चटनी तो तुम बना नहीं पाई और यह बेस्वाद आलू पराठा बना दिया , आजकल ध्यान कहां हैं तुम्हारा मम्मी ?? संदीप झल्लाकर बोला , पीछे पीछे उसकी पत्नी राही भी
बोली हां मम्मी जी , आपने तो सुबह सुबह हमारे ऑफिस जाने के पुरे मुड़ पर धज्जियां उड़ा दी , बिल्कुल बेस्वाद खाना बनाने लगी हैं आप यहां तक कि कल मैंने अपना पुरा खाना अपने कर्लिग्स के सामने डस्टबिन में फेंक दिया , मेरे कलिग्स के सामने मेरा खाना बिल्कुल बेस्वाद था !!
संदीप बोला – राही ने मुझे रात को यह बात बताई मम्मी और मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई , ऑफिस में हम लोगों की इज्जत हैं , तुम्हारी तरह हमें सिर्फ घर पर खाना बनाने का काम नहीं हैं , हम दोनों कमाने जाते हैं तो कम से कम आप हम लोगों के लिए अच्छा खाना तो बना ही सकती हैं !! राही ,एक काम करते हैं आज बाहर ही नाश्ता कर लेंगे बोलकर दोनों ऑफिस के लिए निकल गए !!
संदीप और राही ने आधा अधूरा नाश्ता किया और आज ऑफिस के लिए थोड़ा जल्दी ही वे दोनों निकल गए !!
मंजू जी उदास होकर सारे झूठे बर्तन उठाने लगी और फिर से रसोई के काम में जुट गई !! ठंड का मौसम था , मंजू जी को भरी ठंड में सुबह सुबह उठकर नाश्ता , टिफिन सब बनाना होता था !! उम्र अधिक होने के कारण कभी कभी सुबह उठने का मन भी नहीं करता था फिर भी वे सुबह जल्दी उठ जाती थी और बेटे बहू के ऑफिस जाने से पहले नाश्ता , खाना सब तैयार रखती थी !! मंजू जी के दोनों बेटा बहू कभी डायटिंग पर होते तो कभी उन्हें ज्यादा मिर्च मसाले वाला खाना चाहिए होता जो कि मंजू जी के समझ के परे था !! मंजू जी जब बढ़िया मसालेदार खाना बनाती तो बोलते मम्मी खाने में नमक , मिर्च कम डाला करो , यह हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं हैं और जब मंजू जी कम नमक – मिर्च का खाना बनाती तो दोनों बेटे बहू को उनका बनाया खाना बेस्वाद लगता !! कुछ दिनों से संदीप और राही का रूखा व्यवहार याद करके मंजू जी की आंखों से आंसू छलक उठे !!
शाम को जब बेटा बहू घर आए , दोनों आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गए , मंजू जी ने दोनों को गर्म गर्म चाय बनाकर दी , वे दोनों एक दूसरे से बात करने में इतने मशगूल थे कि उन्हें अपनी मां की उदासी तनिक भी महसूस नहीं हुई !!
डिनर करते हुए संदीप फिर बोला – मम्मी अब इस खाने में मसाला और नमक दोनों ज्यादा लग रहा हैं , सच में लगता है तुम उम्र के साथ साथ खाना बनाना भूलने लगी हो !! मंजू जी का अपमान करके संदीप और राही एक दूसरे के सामने एक कुटिल मुस्कान दे रहे थे जिसे मंजू जी ने भांप लिया !! मंजू जी ने रात को सोते सोते फैसला कर लिया कि अब वह कल से इन दोनों को बराबर सबक सिखाएगी , तुम लोगों ने अब तक मां की ममता ही देखी हैं , मां का क्रुर रूप नहीं देखा !!
दूसरे दिन वह रजाई में सात बजे तक सोती रही , बेटे बहू ने उठकर देखा कि आज तो ना चाय तैयार हैं , ना लंच और ना ही नाश्ता !!
राही जल्दी से मंजू जी के कमरे में आई और उन्हें जगाते हुए बोली – मम्मी जी , क्या हुआ ,आपकी तबीयत तो ठीक हैं ना ?? मंजू जी उसका हाथ अपने उपर से हटाते हुए बोली बस ठंड थोड़ी ज्यादा लग रही हैं , जाओ मुझे सोने दो !!
राही तो टेंशन में आ गई और बाहर आकर पति संदीप से बोली – क्या जरूरत थी कल तुमको इतना सब बोलने की ?? अब देखो तुम्हारी मां आराम से सो रही हैं !! लगता हैं नाराज हो गई हैं हमसे …… अब लंच , नाश्ता और चाय कौन बनाएगा ??
संदीप बोला – अरे यार , मुझे क्या पता था ऐसा हो जाएगा , बस मुंह से निकल गया था मेरे , तुम रुको मैं मां को मनाता हुं !! संदीप मंजू जी के कमरे में जाकर उन्हें मनाते हुए बोला – मम्मी , क्या हुआ हैं आपको , प्लीस मेरे लिए कुछ अच्छा सा नाश्ता बना दो ना !! मेरी प्यारी मम्मी , आपको तो पता है बचपन से मैंने आपके हाथ का ही खाना खाया हैं तो अब आदत सी हो गई हैं !!
संदीप की मीठी मीठी बातों से मंजू जी भलीभाँति परिचित थी !! बचपन से वह मंजू जी को ऐसी ही मीठी मीठी बातें करके बहलाता था लेकिन इस बार मंजू जी के सम्मान को गहरी ठेस पहुंची थी , बेटा बहू नौकरी करते हैं सोचकर उन्होंने घर की सारी जिम्मेदारी अपने कंधे पर ले ली थी !! रोज सबेरे पाँच बजे से उठकर काम पर लग जाना और पुरे दिन कोल्हू के बैल की तरह काम करना , उसके बाद भी मजाक का पात्र बनना अब उन्हें मंजूर ना था इसलिए उन्होंने आज से सोच लिया था कि वह बेटे बहू का कोई काम नहीं करेगी !!
मंजू जी बोली – बेटा ,कायदे से इस घर की जिम्मेदारी तुम दोनों को संभालनी चाहिए , वैसे भी अब मेरे हाथ में तो स्वाद रहा नहीं इसलिए मैंने फैसला किया हैं कि तुम दोनों अपना खाना खुद बनाओ , नाश्ता , चाय खुद बनाओ और मैंने तुझे भी तो सारा काम सिखाया है , तू भी बहु की मदद कर दिया कर !!
संदीप बोला – मम्मी यह सब कैसे होगा , हम लोग तो सोकर ही सात बजे उठते हैं !!
मंजू जी बोली – मैं भी तो रोज सुबह पाँच बजे उठती हुं , जब इस उम्र में मैं पाँच बजे उठ सकती हुं तो तुम दोनो की तो अभी उम्र ही क्या हैं !! देर रात तक मोबाईल मत देखा करो और सुबह जल्दी उठकर अपना मनपसंद खाना बना लिया करो !! अब मुझसे इस उम्र में काम नहीं होगा और हां कभी कभी बहू को कुछ मदद चाहिए होगी तो कर लिया करूंगी बस !!
मैंने खामखा इतने सालो तक सारी जिम्मेदारी का बोझ उठाया , मैं जानती हुं जब मैं नहीं रहूंगी तब भी तो तुम और राही किसी ना किसी तरह अपनी गृहस्थी संभाल ही लोगे , तो अभी से क्यूं नहीं !!
संदीप ने अपनी मां को बहुत मनाने की कोशिश की मगर मंजू जी इस बार अपने फैसले से टस से मस नहीं हुई !! संदीप मां के कमरे से बाहर आया तो देखा उसकी पत्नी राही ने चाय और बिस्किट रखे हुए थे और वह ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी !! पड़े पड़े चाय ठंडी हो चुकी थी , आज चाय के साथ बिस्किट खाने में बिल्कुल मजा नहीं आ रहा था क्योंकि संदीप और राही को रोज मंजू जी के हाथों से बने गर्म नाश्ते की आदत थी !!
बेटे बहू के ऑफिस चले जाने के बाद मंजू जी उठी और अपने लिए गर्म पोहे बनाए और चाय के साथ उसका आनंद लेने लगी !! संदीप और राही ने आज बाहर से ही लंच किया मगर अधिक मिर्च मसाले वाला खाना खाकर उनका पेट इतना हेवी हो गया कि ऑफिस में काम करने का मन नहीं कर रहा था दोनों का और उपर से यह टेंशन अलग थी कि आज घर जाकर ना शाम की चाय रेडी मिलेगी और ना डिनर !!
मंजू जी ने दोपहर में अपने लिए दाल , चावल , रोटी , सब्जी सब खाना बनाया और खाना खाने लगी , खाना खाते वक्त उनका मन थोड़ा भारी हुआ कि पता नहीं आज बच्चों ने क्या खाना खाया होगा मगर दूसरे ही पल उन्हें ख्याल आया कि मेरा बनाया खाना तो वैसे भी उन लोगों को डस्टबिन में डालना पड़ रहा था फिर मैं क्यों उनके लिए इतना सोच रही हुं !! आज उन्होंने घर में कुछ ज्यादा काम नहीं किया और वे अपनी सहेलियों के घर चली गई !!
शाम को जब संदीप और राही थके हारे घर आए तब भी मंजू जी घर में नहीं थी , वह टहलने गई हुई थी !! दोनों ने अपने लिए चाय बनाई और फिर दोनों रात के खाने की तैयारी में जुट गए !!
राही को किचन में पड़ी चीजों का कुछ भी आईडिया नहीं था कि कहां क्या रखा हैं ?? उसने और संदीप ने जैसे तैसे मिलकर खाना बनाया !! मंजू जी ने आकर देखा दोनों बेटे बहू खाना बनाने की जद्दोजहद में लगे हुए थे !! खाना खाते वक्त उन्होंने मंजू जी को आवाज दी तो वे अपने कमरे से हाथ में किताब लिए बाहर आई और बोली लाईब्रेरी से आज ही नई किताब लाई हुं ,अब रोज नई किताबें पढूंगी , मुझे पहले से किताबें पढ़ने का शौक था मगर तुम लोगों की वजह से सारे शौक मार दिए थे !!
संदीप और राही बुझे मन से एक दूसरे का मुँह ताकते रह गए !!
खाना चखते ही मंजू जी बोली – कितना बेस्वाद खाना बनाया हैं तुम दोनों ने , फिर भी कोई नहीं मैं खा लूंगी क्योंकि मै जानती हुं खाना बहुत मेहनत से बनता हैं ,डस्टबिन में खाना डालकर इसे वेस्ट नही करूंगी !!
कर्मो का चक्र तो चलता ही रहता हैं !! कल तक मां के हाथ का खाना दोनों बेटे बहू को डस्टबिन में फेंकना पड़ता था , आज खुद उनके हाथ का खाना भी डस्टबिन के लायक ही था !!
संदीप और राही ने भी जैसे तैसे खाना निगला क्योंकि खाना वाकई में बिल्कुल अच्छा नहीं बना था , वे लोग अब कर भी क्या सकते थे , उनकी मां ने कदम जो पीछे खींच लिए थे , अब बस अफसोस के अलावा उनके हाथ में कुछ नहीं था !!
दोस्तों , वक्त रहते सामने वाले के प्रयासों की कीमत समझ लिजिए क्योंकि जब सामने वाले ने प्रयास करना बंद कर दिया तब आपके हाथ अफसोस के अलावा कुछ नहीं बचेगा !!
आपकी इस कहानी को लेकर क्या राय हैं ?? कमेंट जरूर करिएगा !!
आपकी सहेली
स्वाती जैंन