जवान बेटी पर हाथ उठाते शर्म नहीं आ रही हो क्या गया है तुम्हें किस बात पर इतना गुस्सा आ रहा है मुझे भी तो बताओ.. मानसी के कहने पर रमेश जी ने अपना आपा और खो दिया और वह चिढ़कर बोले…
यह सब तुम्हारी शह की वजह से हो रहा है तुमने इतनी छूट जो दे रखी है, अभी भी मानसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था रमेश जी आपे से बाहर क्यों हो रहे हैं और उनकी बेटी नीलू सर झुकाए चुपचाप खड़ी है! हर बात पर जवाब देने वाली बेटी को आज चुप देखकर शंका तो उन्हें भी हो रही थी! तो रमेश जी फिर बोले….
तुम्हारी बेटी को वकालत करने के लिए शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में भेजा है ताकि यह अपना सपना और हमारा नाम रोशन कर सके, खुद ही चाहती थी कि ना कि यह न्यायाधीश बने, जज तो तब बनेगी जब यह नैतिकता का पाठ खुद पड़ेगी,
आज मैंने इसे ऑफिस जाते समय अपने दोस्तों के साथ चाय की टपरी पर सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए देखा था और क्या पता शराब या और कोई नशा भी करती हो, जो लड़की अपने माता-पिता से झूठ बोलकर गलत रास्ते पर चल पड़ी हो उसके लिए तो क्या ही कहा जा सकता है,
और ऐसा कहकर रमेश जी ने नीलू को दो थप्पड़ और लगा दिए आज वह पूरी तरह से टूट गए थे जिस बेटी की वजह से वह अपना फिर गर्व से ऊंचा करके चलते थे आज उसी बेटी ने सिर झुका दिया था! रमेश जी की बात सुनकर मानसी को भी नीलू पर बहुत गुस्सा आने लगा और उसने भी उसे डांटते हुए कहा…
शर्म नहीं आई अपने पापा का सर नीचे करते हुए, क्या-क्या सोचकर तुझे पढ़ने के लिए भेजा था हमने हमारी सुख सुविधाओं में कटौती की ताकि तू कुछ लायक बन जाए तेरा सपना पूरा हो जाए! हम पंखे में सोते रहे किंतु तेरे कमरे में ए.सी. लगाए
ताकि पंखे की आवाज से तेरी पढ़ाई में व्यवधान ना आए और तू यह गुल खिला रही है, भगवान तेरी जैसी औलाद से औलाद ना होती वही अच्छा रहता! मम्मी पापा को इस तरह देखकर नीलू को अपनी गलती का एहसास हो रहा था किंतु उसे पता था इस वक्त उसके माफी मांगने से या रोने से कुछ नहीं होने वाला क्योंकि इस समय पापा मम्मी दोनों आपे से बाहर हैं
किंतु उसने मन ही मन फैसला कर लिया कि आगे से वह गलतदोस्तों की संगति को हमेशा के लिए छोड़ देगी और ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे उसकी मम्मी पापा शर्मिंदा हो, आज उनको नजर झुका कर देखते हुए उसे खुद पर शर्म आ रही थी,
करियर के अनमोल क्षण को वह इस तरह बर्बाद कर रही है उसे पछतावा हो रहा था किंतु उनका गुस्सा शांत होने पर ही वह अपने किए की क्षमा मांगेगी और पश्चाताप करेगी !
हेमलता गुप्ता स्वरचित
मुहावरा प्रतियोगिता (आपे से बाहर होना)
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