भाभी , यह कौन से जमाने का फ्रिज उठाकर ले आए हैं आप लोग ?? आजकल इतने लेटेस्ट डिजाइन और मॉडल के फ्रिज मिल रहे हैं फिर भी आपको ऐसा फ्रिज पसंद आया , या तो आपकी और भैया की चॉइस बेकार हैं या आप लोगो को लेटेस्ट चीजो की कोई खबर नहीं फटाफट बोले जा रही थी नेहा अपनी भाभी रचना से !!
नेहा का भाई रवि बोला – नेहा ,हमें यह फ्रिज दाम में सही और अंदर से काफी बड़ा लगा और वैसे भी दुकानदार के पास सारे लेटेस्ट मॉडल ही थे जिनमें से हमने यह पसंद किया !! नेहा भाई की बात काटते हुए बोली – एक बार तुम लोगों को मुझे फोन कर लेना चाहिए था , मैंने अभी दो महिने पहले ही फ्रीज खरीदा हैं , तुम लोगों को पता तो हैं कि मुझे हर चीज का आईडिया होता हैं , मुझसे पूछ लेते तो मैं सही आईडिया देती फ्रिज खरीदने का !!
दोनों भाई – बहन की बातें रचना सुन रही थी पर बीच में कुछ बोली नहीं क्योंकि वह अपनी ननद नेहा को अच्छे से जानती थी , अपनी बात पर अड़े रहना और किसी की ना सुनना नेहा की अकड़ दर्शाता था और यदी रचना बीच में बोल पड़ी तो फिर तो रचना की खैर नहीं !!
रचना भी सोचती जाने दो जैसी भी हैं घर की बेटी हैं , इससे सवाल जवाब करके क्या फायदा ??
नेहा का घर अपने मायके से दूसरे शहर में था इसलिए वह कभी कभार ही आती थी और कुछ भी बोलकर चली जाती थी , रचना यही सोचती कभी कभी आई ननद को जवाब क्या देना ?? मगर थोड़े ही दिनों बाद नेहा ने अपने मायके से बस दो बिल्डिंग छोड़कर एक नया घर ले लिया , अब वह अपने मायके से कुछ ही दूरी पर रहती थी इसलिए वह जब चाहे अपने मायके धमक पड़ती !! नेहा की मां सुलोचना जी और पिता राजमल जी नेहा को देखकर ऐसे खुश होते मानो भगवान खुद उनके घर आ गए हो इसलिए नेहा की मायके में दखलअंदाजी की आदत बढ़ती जा रही थी !! वह जब मर्जी आए अपने भाई भाभी को कुछ भी सुना देती थी !! अब तो रचना के लिए भी ननद की इतनी दखलअंदाजी असहनीय हो गई थी !!
वह रवि से शिकायत करती तो रवि कहता मैं कर ही क्या सकता हुं ?? मम्मी पापा भी तो उसी की हां में हां मिलाते हैं !!
जब वह नए घर में रहने आई थी तब भी उसने सुलोचना जी से कहकर भाभी को अपने यहां शिफ्टिंग में मदद करने बुला लिया था और खुब सारा काम करवाके लिया था !! रचना को मन में तो बहुत गुस्सा आता मगर वह किसी को दिखा नहीं पाती थी क्योंकि उसकी वैसे भी कौन सुनेगा ??
नेहा जब भी मायके में आती सास – बहु में कुछ ना कुछ आग लगा जाती जिससे सुलोचना जी का पारा दिन भर चढ़ा रहता !! रवि भी घर के माहौल से ऊब चुका था उसे लगता कि रिश्ते जितनी दूर रहते हैं उतना ही उनमें प्यार बना रहता हैं !! जब से नेहा अपने मायके के पास रहने आई थी रवि के घर का माहौल बिगड़ चुका था !!
सुलोचना से को घुटनों की तकलीफ थी इसलिए उनसे घर का कुछ काम नहीं होता था मगर बहू रचना को इससे कोई दिक्कत नहीं थी , दिक्कत थी तो बस नेहा की दखलअंदाजी से !!
एक दिन नेहा सुबह सुबह अपने मायके टपक पड़ी , सभी लोग सो रहे थे , रचना ने नींद में उठकर दरवाजा खोला तो रचना को सीधे साईड में कर अंदर घुस गई और बोली मां – पापा सो रहे है क्या ?? मैं सुबह सुबह वार्क पर निकली थी तो सोचा मिलती चलुं !!
रचना बोली – हां दीदी , हम सभी सो रहे थे , आपके भैया रात को देरी से घर आए थे , उतने में सुलोचना जी बेटी की आवाज सुन कमरे से बाहर आ गई और खुश होकर बोली – अच्छा हुआ , तु आ गई , साथ में बैठकर चाय पिएंगे , रचना चाय के साथ गर्मागर्म पकोड़े भी बना लेना !!
रचना जिसे रात को देरी से सोने के कारण बहुत नींद आ रही थी , उसे अभी ओर सोना था पर मां बेटी तो गप्पे लड़ाने बैठ गई थी और बहु को आर्डर भी कर चुकी थी !! रचना बिना मन के चाय नाश्ता बनाने चली गई !!
रचना दोनों मां बेटी की हरकतों से तंग आ गई थी मगर उसके बस में कुछ नहीं था !!
दूसरी ओर नेहा मस्त मजे में रहने लगी थी , अब तो उसने किट्टी पार्टीस ,घूमना फिरना शुरू कर दिया था और अपने पति राघव का खाना रोज फोन करके अपनी भाभी को बनाने बोल देती , खुद महारानी बाहर अपनी सहेलियों के साथ खाना खाकर आती !! सुलोचना जी तो दिन भर रचना को कोसती रहती और नेहा से फोन पर जी भरके रचना की बुराईयां करती !!
एक रोज रचना के पिताजी का फोन आया कि रचना की मां की तबीयत बहुत खराब है इसलिए उसे थोड़े दिनो के लिए मायके आना होगा !!
पहले तो यह सुनकर सुलोचना जी का मुंह बिगड़ गया पर रवि बोला – मम्मी , बगल में ही तो नेहा का घर है , नेहा थोड़े दिन हमारी मदद करने यहां आ जाएगी , रचना के मायके वालों को अभी उसकी जरूरत हैं , उसे जाने दो !!
सुलोचना जी जैसे तैसे मानी और रचना अपने मायके चली गई ,नेहा भी मम्मी – पापा के घर रहने आ गई !! रसोई में घुसते ही नेहा बोली – मम्मी ,यह सारे डिब्बे कितने चिकने हो गए हैं , भाभी बराबर साफ नहीं करती क्या ?? सुलोचना जी बोली – अब क्या बोलूं बेटा , ऐसी ही हैं तेरी भाभी !!
मम्मी चलो आज सारी सफाई कर देते हैं बोलकर नेहा रसोई के सारे डब्बे निकालने लगी फिर थोड़ी देर बाद कपबोर्ड की सफाई की !!
आज रवि थोड़ा घर जल्दी आ गया था , जब उसने बडे बडे दो पैकेट में सामान देखा तो बोला – मम्मी यह सब क्या हैं ??
सुलोचना जी बोली – अरे बेटा , अपने पास बहुत सामान और एक्स्ट्रा कपड़े थे इसलिए मैंने नेहा को दे दिया हैं , नेहा भी तो इस घर की बेटी हैं !!
रवि को मां का यह व्यवहार थोड़ा अजीब लगा और वह बोला – मम्मी अभी रचना को मायके गए एक दिन भी नहीं हुआ और यहां आप लोग ऐसा सब कैसे कर सकते हो ??
सुलोचना जी गुस्से में बोली – रचना जैसे बोलेगी ऐसे थोड़ी ही होगा इस घर में , आखिर नेहा मेरी बेटी है और हां सुन ले मैं और तेरे पापा थोड़े दिन नेहा के घर ही रहने चले जाते हैं , तु वही से अपना टिफिन ले लेना !!
नेहा भी अचानक मां का यह फैसला सुनकर हक्की बक्की रह गई !!
सुलोचना जी और राजमल जी कुछ दिन के लिए नेहा के घर रहने आ गए !!
नेहा ने दो तीन दिन तो अच्छे से दोनों वक्त का खाना बनाया मगर अब उसे रोज रोज खाना बनाना बोर लगने लगा और उसकी किट्टी पार्टीस और घूमने का उसे टाईम नहीं मिलने लगा जिससे वह थोड़ी चिढ़चिढी हो गई !!
सुलोचना जी और राजमल जी को नेहा के घर आए अभी चार दिन ही हुए थे मगर नेहा तो इतने कम दिनों में ही घर पर रहकर थक गई !! उसके मन में अपनी भाभी के प्रति नेगेटिव विचार आने लग गए थे कि जाने कब आएगी महारानी ?? यहां मां पिता की सेवा मुझे करनी पड़ रही हैं !!
आज नेहा को उसकी सहेली संगीता का फोन आया और वह बोली अरे नेहा , तु आज हमारे साथ घूमने क्यों नहीं आई ?? तुझे पता हैं आज इतना मजा आया और हम लोगों ने रिल्स बनाकर स्टेटस पर डाली हैं , तू देख लेना !! अब परसो की पार्टी मिस मत कर देना वर्ना यहां भी हम अकेले ही रील्स बना लेंगे और फिर हंसने लगी !!
नेहा फोन रखकर तुरंत सबके स्टेटस देखने लगी और उदास हो गई क्योंकि उसे भी रील्स बनाना , घूमना यह सब बहुत अच्छा लगता था !!
अब उसने ठान लिया चाहे उसके मम्मी पापा का खाना उसे बाहर से मंगाना पड़े मगर वह पार्टी मिस नहीं होने देगी मगर उसके सोचे विचारे प्लान पर तब पानी फिर गया जब सुलोचना जी को जबरदस्त वाला बुखार आ गया !!
सुलोचना जी को आज जब किसी अपने की खास जरूरत थी , नेहा बोली मम्मी मुझे तो आज किसी भी तरह बाहर पार्टी में जाना पड़ेगा , एक काम क्यूं नहीं करते आप लोग अपने बेटे के घर जाकर क्यूं नहीं रहते ?? ताकि मैं भी यहां से शांती से जा पाऊं , उतने में वहां रवि कुछ काम से आया हुआ था और उसने नहा की बात सुन ली !! जब रवि ने देखा सुलोचना जी को बहुत बुखार हैं तो वह तुरंत अपने माता पिता को अपने घर ले आया और उन्हें डॉक्टर के पास ले गया !!
रवि ने रचना को भी फोन कर दिया था , रचना भी दो तीन घंटे में ससुराल पहुंच गई , आते ही उसने सुलोचना जी की देखभाल करनी शुरू कर दी !!
आज सुलोचना जी को बहु और बेटी में अंतर समझ आ गया था !! जिस बेटी की बातो में आकर उसने हमेशा बहू को कोसा था , आज वही बहू उसकी खुद की मां की तबीयत खराब होने के बावजूद उसकी सास की सेवा करने आ चुकी थी !!
सुलोचना जी रवि से बोली – बेटा , तू ठीक कहता था कुछ रिश्ते दूर होने पर ही सुहाने लगते है , आज तेरी बहन ने बता दिया कि वह दूर ही अच्छी थी , यहां मायके के पास आकर ना रहती तो अच्छा ही था !!
उसकी वजह से हमारे घर का माहौल खराब हो गया !!
सुलोचना जी अब अपनी बेटी को अच्छे से पहचान चुकी थी इसलिए उसे साफ साफ कह चुकी थी कि वह उनके घर में दखलअंदाजी ना करें और अपने काम अपने मायके वालों पर था थोपे इस वजह से अब नेहा ने मायके आना लगभग बहुत कम ही कर दिया था !!
दोस्तों , कहना तो नहीं चाहिए मगर कुछ बेटियां अपनी मां और भाभी का रिश्ता खराब कर देती हैं !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन