हेलो.. भाई साहब, दशहरे के दिन राजू ने छोटा सा हवन रखा है यहीं अपने गांव में, आपको भाभी जी को और बेटे बहू को सभी को आना है ज्यादा लोग नहीं है बस घर-घर के ही कुछ लोग हैं आपको तो पता ही है राजू कब से इस छोटे से घर को पक्का करवाने की सोच रहा था भगवान की दया से इस
बार फसल भी खूब अच्छी हुई और राजू की नौकरी भी बढ़िया चल रही है अतः इस बार उसने इस घर को पक्का और बड़ा करवा दिया आप देखिएगा भाई साहब आपका मन खुश हो जाएगा, राजेंद्र ने अपने भाई वीरेंद्र को फोन पर सूचना देते हुए कहा! तब वीरेंद्र बोले… देख राजेंद्र दशहरे के दिन तो
त्यौहार का दिन है ऐसे में सबका आना तो मुश्किल होगा हां मैं और तेरी भाभी दोनों जरूर आएंगे अभी तो वैसे भी चार-पांच दिन है तो चिंता मत कर हम समय से पहले आ जाएंगे और दशहरे से एक दिन पहले वीरेंद्र और पत्नी विमला जी शहर से गांव अपने छोटे भाई के यहां कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चले गए! वहां जाकर देखा राजू ने वास्तव में बहुत सुंदर मकान बनवाया है और मकान के
छज्जे के ऊपर उसने वृंदा सदन यानी अपनी मां का नाम लिखवाया है यह देखकर वीरेंद्र जी खुश हो गए किंतु उन्होंने राजेंद्र से कहा… राजेंद्र राजू ने सब कुछ तो सही किया इसमें वृंदा के साथ में तेरा
नाम क्यों नहीं लिखवाया भाई यह बात कुछ जमी नहीं! थोड़ी देर बाद हवन का कार्यक्रम शुरू हो गया वहां से राजू की पत्नी निकिता के मायके से सभी के लिए हवन पर अच्छे-अच्छे कपड़े आए थे तब वीरेंद्र जी फिर राजेंद्र से बोले… देख राजू के ससुराल से कितने हल्के कपड़े आए हैं अब तो राजू की
नौकरी भी पक्की हो गई है मेरे बेटे सुबोध के यहां से देखा तुमने सभी के लिए कितने अच्छे-अच्छे महंगे कपड़े आए थे, खैर…. उनकी इतनी हैसियत भी तो नहीं है! तब राजेंद्र बोला…. भाई साहब हमारी स्थिति भी तो अब जाकर सही हुई है राजू के ससुराल वाले भले ही पैसे वाले मत हो लेकिन समय पर
आकर उन्होंने हमारा मान रख दिया यही बहुत बड़ी बात है! वीरेंद्र जी और विमला जी राजेंद्र औरउसकी पत्नी से अधिकतर मेरे बेटे ने तो इस बार यह लिया मेरे बेटे ने इस बार ऐसा किया हर समय अपने बेटे का ही गुणगान करते रहते! वीरेंद्र जी को वहां रहते कई दिन हो गए सभी सोचने लगे
उनके बेटे का एक बार भी फोन नहीं आया कि पापा त्यौहार का समय है अब तो शहर वापस आ जाओ ना ही भाई साहब भाभी जी को वहां जाने की कोई उत्सुकता नजर आ रही है दिवाली भी नजदीक आ रही है! एक दिन वीरेंद्र जी ने कहा राजू के पास कोई अच्छी गाड़ी नहीं है मेरे बेटे के पास
तो बहुत अच्छी गाड़ी है अभी 20 लाख की गाड़ी ली है उसने! इस बार पता नहीं राजेंद्र जी को क्या हुआ उन्होंने भाई साहब से कह दिया.. भाई साहब फिर “आप अपने बेटे के पास ही क्यों नहीं रहते” मेरा बेटा आपका बेटा जैसा नहीं है न, हो सकता है आपके बेटे को आपकी जरूरत हो आप कहे तो
मैं आपका कल टिकट करवा दूं! यह सुनकर वीरेंद्र जी के और विमला जी के होश उड़ गए, वह तो अपने आप को बड़ा दिखाने के लिए अपने बेटे की झूठी तारीफ कर रहे थे जबकि सभी को पता था उनका बेटा वीरेंद्र और विमला जी को पूछता तक नहीं था जबकि राजू जितना हो सकता था अपने मां-
बाप के लिए करता था और वही उनसे सहन नहीं हो रहा था! राजेंद्र की बात सुनकर वीरेंद्र जी की आंखों में आंसू आ गए और बोले… राजेंद्र मुझे माफ कर देना भाई मैं अपना दर्द छुपाने के लिए तुझे
दर्द दे रहा था! हो सकता है यह मेरे अंदर की जलन हो जो मुझसे राजू जैसा बेटा देखा नहीं जा रहा था! खैर वैसे भी हमें रहना तो अपने बेटे के पास ही है अच्छा है बुरा है जैसा भी है और ऐसा कहकर वहां से जाने की तैयारी करने लगे!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
वाक्य प्रतियोगिता (आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते)
. #आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते?