आप अपने बेटे के साथ क्यों नही रहते – रीतू गुप्ता : Moral Stories in Hindi

रंजन जी के एकलौते बेटे अभय की आज रिसेप्शन पार्टी चल रही थी। 

सब खूब मस्ती कर रहे थे। नाच-गाना चल रहा था।

रिश्तेदार दूल्हा-दुल्हन को उपहार और आशीर्वाद देकर फोटो करवा रहे थे।

जैसे ही रंजन जी ने अपने बेटे-बहु को शादी के तोहफे में नए फ्लैट की चाबी दी .. और बोले बेटा….. अगले सप्ताह से अपने नए फ्लैट में अपनी नयी ज़िंदगी शुरू करना ….

वेसै ही सब और खुसर फुसर शुरू हो गयी ।

अभय भी एक दम से घबरा गया .. 

पापा …. नए फ्लैट की चाबी क्यों..

पत्नी रमा तो अवाक सी खड़ी पति रंजन को देखने लगी …

(मन ही मन सोचते हुए)आखिर ऐसा क्यों कर रहे पतिदेव ?

सब ओर तरह तरह की बाते होने लगी ..

कुछ लोग तो नई दुल्हन को ही इल्ज़ाम देने लगे…

लगता है नई बहु ने पहले ही अलग रहने की शर्त रखी है ….

कुछ बोले..

हो सकता है बेटा ही माँ बाप की ज़िम्मेदारी उठाना न चाहता हो ।

जितने मुँह उतनी बाते होने लगी …

तभी रंजन ने माइक लिया और बोले..

मैं जानता हूँ कि आप सब के मन में यह सवाल उठ रहा है कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हुं .. क्यूँ मैं अपने बच्चो के साथ नहीं रहना चाहता?

देखिये अलग रहने का मेरा अपना फैसला है .. बिना किसी के दबाब के … इसमें मेरे बेटे , बहु या पत्नी का कोई हाथ नहीं ..

 बल्कि मेरे इस फैसले से वो बिल्कुल अनजान है। आपकी तरह ही वो भी इस फैसले को लेने की वजह जानना चाहते है।

मेरे इस फैसले को लेने के पीछे कई कारण 

है ।

पहला, मैं चाहता हूँ हमारे बच्चे हमारी जिम्मेदारियों में अभी ना उलझे बल्कि अपनी नई नई शादी के हर पल का बिना किसी रोक-टोक बिना किसी हिचकचाहट के आनंद माने ।

हां, वो एक दूजे की ज़िम्मेदारी उठाना जरूर सीखे, एक दूसरे को समझे, एक दुसरे के साथ वक्त बिताए।

हाँ इसका मतलब यह नहीं हम अलग हो गए हैं ….

हम रोज डिनर या सप्ताह में १ दिन खाना साथ खायेगे … वो जैसे तुम चाहो बच्चो ..

और सुख-दुःख में हमेशा एक दूजे के साथ खड़े रहेंगे …

हां .. फिर भी तुम्हें कभी अकेलापन लगे तो .. ये घर भी तुम्हारा अपना है और इसके दरवाज़े हमेशा तुम्हारे लिए खुले है।

दूसरा, मेरी पत्नी रमा जिसने बिना कोई शिकायत किये, हमेशा मेरा, मेरे परिवार का साथ दिया। उसके अपने सपने थे जिसे उसने बहुत पीछे छोड़ दिया ।

पर रमा…. अब और नहीं ..

मैंने तुम्हारे कत्थक डांस क्लास की फीस भर दी है ।

अब तुम्हे जाना है और सीखना है .. नए दोस्त बनाने है और आसमान में अपने पंखो से उड़ना है 

घर का बड़ा बेटा होने के नाते जिम्मेदारियों को निभाते निभाते मेरी भी कुछ इच्छाएँ अधूरी रह गयी थी। मैं भी उन्हें पूरा करना चाहता हुं। 

कुछ वक्त महफ़िलो में, मुशायरों में बिताना चाहता हूँ। 

यह सुन सब और तालियां बजने लगी ।

तभी .. 

रंजन – अभी एक और सरप्राइज है …

बेटा बहु … हम दोनों की तरफ से आप लोगो का हनीमून ट्रिप का एक और गिफ्ट 

और हां 

रमा … 

यह हमारे लिए… तुम्हारी पसंदीदा पहाड़ो की रानी का ट्रिप ..

…चलोगी न मेरे साथ… 

रमा शरमाते हुए .. आँखों में आंसू भर … हां में गर्दन हिलाती है।

सारा हॉल तालियों से गूंज जाता है …

सब रंजन के बदलाव की ओर उठाए इस कदम की प्रशंसा करते है

 उधर रंजन अपने परिवार के साथ फोटो लेने में व्यस्त हो जाते हैं।

दोस्तों,आपको बदलाव की ये कहानी कैसी लगी जरूर बताए।

विषय- आप अपने बेटे के साथ क्यों नही रहते?

रीतू गुप्ता 

स्वरचित

Leave a Comment

error: Content is protected !!