पापा.. मुझे शहर में नौकरी मिल गई है पूरे ₹30000 देंगे, अब देखना मैं अपने घर की गरीबी को कितनी जल्दी दूर करती हूं और 1
साल के बाद में जब मेरी जॉब स्थाई हो जाएगी मैं आपको भी वही बुला लूंगी! बेटी पल्लवी की बात सुनकर पिता किशोर बहुत प्रसन्न हुए उन्हें लगा चलो पल्लवी घर की सबसे बड़ी बेटी है यह कुछ
करेगी तो इसके तीन छोटे बहन भाइयों की भी जिंदगी संवर जाएगी और कुछ दिनों में पल्लवी शहर में नौकरी के लिए चली गई! शुरू-शुरू में तो पल्लवी की बात अपने घर पर रोज ही होती थी किंतु धीरे-धीरे उसके फोन आने कम हो गए जब कभी बात होती तो वह अपने ऑफिस की व्यस्तता का बहाना बना देती! एक दिन किशोर ने सोचा चलो आज जाकर पल्लवी का ऑफिस देख आते हैं और
यह भी देख भी लेते हैं वह कैसे रहती है, हमें देखकर वह प्रसन्न भी हो जाएगी! किशोर जी अपनी पत्नी को लेकर शहर चले गए! जो ऑफिस का पता पल्लवी ने दिया था उस ऑफिस में तो कोई पल्लवी नाम की कोई लड़की उन्हें मिली ही नहीं किंतु उनके गांव का एक लड़का वहां मिल गया और ज्यादा
कुरेदने पर उसने बताया.. पल्लवी यहां ऑफिस में नहीं इसके पास वाले एक डांस बार में काम करती है और उसकी अधिकतर ड्यूटी काफी रात तक चलती है यह सुनकर वह एकदम सदमे में आ गए फिर भी अपने आप को संभालते हुए उस बार
में चुपचाप से एक टेबल पर पहुंच गए और उन्होंने दो गिलास का आर्डर कर दिया थोड़ी देर बाद उनका ऑर्डर लेकर पल्लवी ही सामने आई, अपने माता को देखकर एकदम से सकपका गई उसके पापा पल्लवी को बाहर ले गए और उसके गाल पर दो थप्पड़ लगाते हुए बोले…
तुम जैसे बच्चों की वजह से माता-पिता का अपने बच्चों से भरोसा उठता जा रहा है तुम यहां ऑफिस के नाम पर शराब बेच रही हो और हमारी आंखों में धूल झोंक रही हो हमने कितना विश्वास किया तुम पर, तुमसे तो ऐसी उम्मीद नहीं थी बेटा! तुम्हें देखकर तुम्हारे बहन भाई क्या सीख लेंगे अपने पिता की
आंखों में आंसू देख कर पल्लवी बोली …पापा मुझे माफ कर दो पर मैं क्या करती जिस ऑफिस में मैं काम करती थी वहां मुझे एक महीने में ही हटा दिया और मेरे सामने अपने घर की आर्थिक समस्याएं घूमने लगी और यह बार वाले मुझेपूरे₹50000 दे रहे थे, मैंने भी नौकरी कर ली, मुझे तो लगा था
आप कभी यहां आएंगे ही नहीं और ऐसा कहते-कहते पल्लवी भी रोने लगी! फिर किशोर जी बोले.. बेटा मुझे नहीं पता तुमने सही किया या गलत किया लेकिन मैं तेरे इस फैसले से अंदर तक टूट गया हूं अब आगे तेरी मर्जी है तुझे नौकरी करनी है या नहीं करनी पर मैं अब गांव में किसी से नज़रे
मिलने लायक नहीं रहा! बेटा माना हमारी आर्थिक समस्याएं थी पर हमारा घर जैसे-जैसे चल रहा था इस पाप की कमाई से तो लाख गुना बेहतर थे हम! पल्लवी माफी मांगती रही किंतु उसके पापा और मम्मी उसे रोता हुआ छोड़कर गांव चले गए! जो बच्चा अपने माता-पिता की आंखों में धूल झोंक कर सपना बुनता है वह अपनी जिंदगी में कभी सफल नहीं हो सकता!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
मुहावरा प्रतियोगिता (आंखों में धूल झोंकना)
#आंखों में धूल झोंकना