देखिए ना, जब से गणेश विसर्जन करके आए है, विनायक तब से रो रहा है, चुप ही नहीं हो रहा- रिंकी ने अपने पति अंशुमन से कहा ।
अंशुमन .. अरे! उसे बप्पा के साथ अटैचमेंट हो गया होगा,आज विसर्जन हुआ है ना इसीलिए रो रहा है। एक दो दिन में भूल जाएगा तुम चिंता ना करो ।
देखना, अभी मेरे साथ खेलने लगेगा..
अंशुमन तरह तरह के मुंह बनाने लगा।
कभी उसके खिलोनों के साथ खेलने लगा।
पर विनायक चुप नहीं हुआ ।
रिंकी ने उसकी पसंद की हर चीज़ बना कर दी,कभी डांटा कभी पुचकारा पर विनायक चुप नहीं हुआ। ब्लकि रोते रोते सो गया
और उठते ही फिर रोने लगा ।
ऐसे ही सुबह से शाम, शाम से रात निकल गयी।
रिंकीi ने उसे गोद में लिया, पुचकारते हुए पुछा-“बेटा क्या हुआ? क्यु रो रहे हो ?
पेटु दर्द हो रहा है ।
नहीं मम्मा ।
पीजा बर्गर चाहिए ।
नहीं मम्मा।
ओ, मेरे बेटे को नया खिलौना चाहिए …अंशुमान बोला।
नहीं पापा।
फिर बताओ ना क्युं रो रहे हो?
चलो डाॅ. के पास चलते है वो सुई लगा कर विनायक को ठीक कर देगा… है ना अंशुमन।
नो मम्मा…
फिर क्यूं रो रहे हो बताओ ना?
मम्मा, गणेश को चोट लगी होगी ना।
चोट..
हां मम्मा..
जब हमने गणेश विसर्जन किया ,उन्हें ऊपर से नीचे फेंक दिया।
वो ग्रिल से टकरा गए। फिर औंधे मुँह पानी में गिरे ।
उन्हें कितनी चोट आयी होगी ना…
यही सोच के मुझे भी दर्द हो रहा है ..मम्मा।
हमने गणेश का विसर्जन नही किया उन्हे फेंका है मम्मा।
यह सुन उन दोंनो ने अपनी आंखे नीची कर ली।
अंशुमन- बेटा आगे से हम इको फ्रेंडली गणेश जी लाएगे, उनका विसर्जन भी घर पर ही करेगे और पानी पेड़ों में डालेंगे ।
अब से कभी भी बप्पा को चोट नहीं लगेगी ।
सच पापा…सच्च बेटा..थैंक्यू पापा।
स्वरचित
रीतू गुप्ता
*विषय- आंखे नीची होना (लज्जित होना)*