एक बहन का त्याग बना दूसरी बहन की खुशी !! – स्वाती जैंन

आंटी जी गर्म- गर्म खा लिजिए , वैसे मुंबई के समोसे और गुजरात के समोसे में काफी फर्क होता हैं , खुशबु के ऐसा बोलते ही सभी लोग हंस पड़े !

घर में खुशनुमा माहौल था , आज खुशबु की बड़ी बहन शैली को लड़के वाले देखने आए हुए थे ! 

खुशबु के पिताजी कमलेश जी, माता इंदिरा जी और खुशबु सभी लड़के वालो की आवभगत की तैयारी में लगे हुए थे ! कमलेश जी की दो बेटियां थी शैली और खुशबु , जहां शैली जिम्मेदार , सादगी पसंद लड़की थी वहीं खुशबु स्वभाव से चंचल और पढ़ाई में होशियार थी ! कमलेश जी का परिवार एक मध्यमवर्गीय घर था मगर संस्कारो में वह परिवार आगे था ! सौरभ जो शैली को देखने आया था वह हल्के नीले कुर्ते में संकोच भरी मुस्कान के साथ बैठा हुआ था ,

दूसरी तरफ शैली भी चुपचाप बैठी हुई थी !! सौरभ और शैली को बातें करने थोड़ी देर बालकनी में भेज दिया गया ! दोनों ने पढ़ाई , एक दूसरे के इंटरेस्ट को लेकर काफी बातचीत की , दोनों को एक दूसरे की सोच भी बहुत पसंद आई , दोनों एक दूसरे को आंखों आंखों में पसंद कर चुके थे मगर बाहर हॉल में सौरभ की मां लता जी और सौरभ की मामी की निगाहें खुशबु पर अटक गई थी ! लता जी खुशबु से बोली – बेटा तुम क्या करती हो ? खुशबु बोली- आंटी , मैं इवेंट मैंनेजमेंट का कोर्स कर रही हुं और साथ साथ में मेरा अपना यू-ट्यूब चैनल भी हैं ! सौरभ की मामी बोली भई वाह !

कितनी टैलेंटेड हैं ! कमलेश जी ने जब लता जी से राय पूछी तो लता जी बोली- आपके घर का माहौल, शैली बिटिया सभी अच्छे हैं पर हमें आपकी छोटी बेटी खुशबू बहुत पसंद आई ! यह सुनते ही माहौल गंभीर हो गया ! सौरभ अपनी मां से कुछ कहना चाहता था मगर लता जी ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया और बोली अगर इस रिश्ते के लिए आपकी हां हो तो हमें फोन पर बता दीजिएगा ! दरवाजे पर खड़ी शैली ठिठक सी गई और खुशबु का चेहरा सफेद सा पड़ गया !

उन सबके चले जाने के बाद कमलेश जी बोले – अगर हम छोटी के लिए यह रिश्ता पसंद कर देते हैं तो लोग क्या कहेंगे हमारी बड़ी में जरूर कुछ कमी होगी ! खुशबु बोली – मुझे नहीं करना यहां रिश्ता , दीदी की खुशियां मैं नहीं छिनना चाहती ! शैली ने खुशबु को गले लगाते हुए कहा- पगली , अगर तेरी किस्मत में इतना अच्छा रिश्ता लिखा हैं तो तेरी शादी वहां होकर रहेगी और लोगो का क्या हैं उनका तो काम हैं कहना ! कमलेश जी शैली के होते खुशबु के लिए इस रिश्ते का सोच भी नहीं सकते थे मगर रिश्तेदार घर आ आकर कहते इतना अच्छा रिश्ता हाथ से मत निकलने देना , आखिरकार शैली बोली – पापा , मैं मेरी छोटी बहन के रास्ते में नहीं आना चाहती , आपको इस रिश्ते के लिए हां कह देना चाहिए !

दो दिन बाद सौरभ का फोन कमलेश जी पर आया वह बोला – मैं मां के कहे शब्दो के लिए माफी मांगता हुं ! मां को खुशबु उनके स्वभाव से मेल खाती लगी मगर मैं शैली से शादी करना चाहता हुं बस मम्मी पापा को मनाने में समय लगेगा ! कमलेश जी कुछ बोलते उससे पहले फोन शैली ने ले लिया और वह बोली – सौरभ शादी में परिवार की मान्यता भी उतनी ही मायने रखती हैं जितनी की लड़के लड़की की इसलिए जो भी फैसला लो परिवार को मद्देनजर रखते हुए लेना !

धीरे धीरे यह बात आस-पडोस और रिश्तेदारो में चर्चा का विषय बन गई सब कानाफूसी करने लगे कि रिश्ता तो बड़ी बेटी के लिए आया था मगर पसंद छोटी बेटी को कर गए ! अब लता जी का एक फोन कमलेश जी पर आया और वे बोली – सौरभ के कहने से कुछ नहीं होता कमलेश जी , मैं साफ शब्दो में कहना चाहती हुं कि हमें आपकी छोटी बेटी ही पसंद हैं अगर आपको मंजूर हो तो ठीक हैं वर्ना हम यह रिश्ता यहीं रोकते हैं !

फिर से घर में सन्नाटा पसर गया , इंदिरा जी और कमलेश जी की आंखों में आंसू थे ! खुशबु अपराध बोध महसूस कर रही थी , शैली जानती थी सौरभ बहुत अच्छा लड़का हैं वह भी सौरभ को पसंद करती थी मगर अपने परिवार की खुशियों के लिए वह बोली – पापा , आप इतना मत सोचिए और खुशबु की शादी के लिए हां कर दीजिए ! इंदिरा जी बोली – बेटा ऐसा मत कह तू मेरी पहली संतान हैं , तेरे सपनों की कीमत पर मैं दूसरो की खुशियां नहीं खरीद सकती मगर शैली ने एक ना सुनी और सौरभ और खुशबु की शादी करवाकर ही मानी !

सौरभ ने यह शादी सिर्फ अपने घरवालो के दबाव में आकर की ! जहां एक तरफ शैली त्याग की मूर्ति बन गई वहीं दूसरी ओर सौरभ का दिल चकनाचूर हो गया था ! शादी की भीड़ में सौरभ नजरें सिर्फ शैली को ढूंढ रही थी , बगल में बैठी खुशबु उसे नजर तक नहीं आ रही थी जबकि अब से उसकी जीवनसंगिनी खुशबु बनने वाली थी ! खुशबु घर से विदा हो गई , शैली ने माता पिता को संभाला और बाद में अपना कमरा बंद करके फुट- फुटकर रोई !

शैली अब सारे काम ओर भी जिम्मेदारी से करती मानो दिल के दर्द को जिम्मेदरियों की चादर से ओढ़ लिया हो ! दूसरी तरफ खुशबु का नए घर में अच्छे से स्वागत हुआ , सब बहुत खुश थे मगर सौरभ खुश नहीं था ! दिन बीत रहे थे मगर अब भी खुशबु सौरभ के दिल में जगह नहीं बना पाई थी , उसने ठान लिया था चाहे जो हो जाए वह सौरभ के दिल में जगह बनाकर रहेगी ! शैली भी अपनी जिंदगी संभालने में लगी हुई थी मगर लोगो के तानो से नहीं बच पाती थी ! कोई कहता लगता हैं बड़ी बहन जिंदगी भर अब कुंवारी ही रहेगी , कोई कहता जरूर इसमें कुछ कमी होगी तभी तो छोटी की शादी परिवार वालो ने पहले करवा दी !

शैली सबके ताने सहन कर लेती मगर रोज रात को डायरी में सब लिख देती ! आज उसने डायरी में लिखा मेरी जिंदगी का पहला पन्ना अधूरा रह गया , हो सकता हैं भगवान ने मेरे लिए कोई ओर कहानी लिखी हो ! खुशबु ससुराल के सारे फर्ज बखुबी निभाती मगर वह अब पहले जैसी चंचल नही रही थी , दिल पर एक बोझ था दीदी की खुशी छिनकर अपने हिस्से आई यह शादी ! वह जब भी सौरभ को देखती उसकी

नजरे झुक सी जाती , उसे लगता जैसे कि उसने अपनी दीदी की जगह छिन ली हो क्योंकि सौरभ अब तक उसे अपना भी नहीं पाया था ! सास लता जी भी अब खुशबु को ताने मारते हुए कहती मुझे तो लगा था तु हमारा घर खुशियों से भर देगी मगर तु तो हमेशा बुझी- बुझी रहती हैं , मुझे क्या पता था वर्ना तेरी दीदी को ही इस घर की बहू बना देती !

खुशबु बोली- मांजी मैं आपके बेटी जैसी हुं , मैं पुरी कोशिश करूंगी कि आप मुझसे खुश रहे मगर लताजी मुंह बनाकर बोली वह तो वक्त ही बताएगा !

सौरभ चाहकर भी पत्नी के लिए कुछ बोल ना पाता क्योंकि वह खुद दोहरी जिंदगी जी रहा था ! घरवालो के सामने अलग और खुशबु के साथ अलग ! उसे कभी कभी अफसोस भी होता कि उसने खुशबु से शादी क्यों की जब वह खुशबु को दिल से अपना ही नहीं पा रहा !

शैली की पढ़ाई कंपलीट हो चुकी थी , उसी के कॉलेज के अध्यापक ने उसे अपनी कॉलेज में लेक्चरर की पोस्ट के लिए सलाह दी ! शैली को लगा मानो जिंदगी उसे नई राह पर बुला रही हैं उसने तुरंत हां कह दिया और अगले दस दिन में उसकी ज्वाइनिंग भी हो गई ! उसी दौरान एक ओर लेक्चरर जिसका नाम रोहन था वह भी ज्वाइन हुआ और शैली और उसमें दोस्ती हो गई ! रोहन एक साफ दिल और नेक इंसान था , वह शैली की सादगी से प्रभावित था ! शैली और रोहन की दोस्ती ओर गहरी होती जा रही थी जो कभी कैंटिन की चाय , कभी साथ में प्रेजेंटेशन पर काम में दिखाई देती ! शैली के मन का खालीपन भी धीरे- धीरे भरने लगा था और वह अब मुस्कुराने लगी थी ! कमलेश जी और इंदिरा जी भी अब बेटी को देखकर खुश थे ! शैली ने आज रात अपनी डायरी में लिखा रोहन की बाते दिल को सुकुन देती हैं पर मैं क्या किसी नए रिश्ते के लिए तैयार हो पाऊंगी ? या मेरे त्याग की परछाई हमेशा मेरे साथ चलेगी !

शैली रोहन से कभी कुछ कहती नही थी पर ना जाने क्यों रोहन ने शैली की आंखों में एक दर्द देखा था रोहन जानता था शैली उसे कभी अपना दर्द नहीं बताएगी इसलिए रोहन ने शैली के अतीत के बारे में सारी जाँच पड़ताल कर ली ! रोहन ने शैली से एक रोज बोला – शैली कब तक दूसरो के लिए जियोगी ? तुम्हें खुद के लिए जीना भी शुरू करना होगा !

रोहन की बातें शैली को सोचने पर मजबुर कर देती जिसका नतीजा यह हुआ कि रोहन ने जब शैली को शादी के लिए प्रपोज किया शैली मना नहीं कर पाई ! दूसरी ओर खुशबु के घर में एक दिन बड़ा झगड़ा हो गया ! लता जी ने रिश्तेदारो के बीच ताने देते हुए कहा खुशबु को जिम्मेदारियां निभाने की अक्कल ही नही है गलती कर दी इसे बहू बनाके , इसकी बड़ी बहन को ही मुझे बहू बनाना चाहिए था ! खुशबु की आंखो से आंसू बहने लगे मगर इस बार सौरभ चुप ना रहा वह बोला – मां , अब बहुत हो गया , आप हर बार खुशबु की तुलना शैली से करके उसका अपमान  करती हैं , आपको पता भी हैं इसने किस बोझ में शादी की हैं , अपनी दीदी के त्याग का बोझ लिए जी रही हैं यह लड़की और आप इसी का अपमान कर रही हैं ! आज सौरभ खुशबु की ढाल बनकर खड़ा था खुशबु के लिए यह किसी मजबुत सहारे से कम ना था !

ऐसे लग रहा था मानो दोनों बहनो के जीवन में खुशियों ने दस्तक दे दी थी ! खुशबु को सौरभ ने अब तन और मन से अपना लिया था , इधर शैली की शादी की तैयरियां होने लगी थी !  खुशबु अपनी दीदी की शादी की तैयारियों में लग गई ! शादी का दिन आ गया और सबसे भावुक विदाई का क्षण था ! दोनों बहने एक दूसरे के गले लगकर फुट फुटकर रोई ! शैली ने कार में बैठकर खिड़की से अंतिम बार अपने घर को देखा और बोला अब मैं अतीत को पीछे छोड़ आई हुं अब मेरी नई कहानी शुरू होगी ! खुशबु वहां खड़े रो रही थी तब सौरभ ने उसका हाथ थामकर बोला – अब हमारी नई कहानी की शुरुवात होगी , मेरा वादा हैं मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा ! खुशबु सौरभ का साथ पाकर खुश थी !

दोस्तों , यह थी कहानी दो बहनों की जहां एक बहन ने दूसरी बहन के लिए अपनी खुशियां त्याग दी और फिर वापस अपनी खुशियां पा ली ! यह कहानी हमें सिखाती हैं कि परिवार का असली आधार त्याग और प्रेम हैं !

आपको यह कहानी कैसी लगी कमेंट में बताए !

आपकी सहेली

स्वाती जैंन !

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