आज शम्भु जी की तेरहवीं की रश्म भी पूरी हो गई ।कल बेटा बहू भी अपने अपने काम पर लौट जायेगा ।सुमन अकेली हो जायेगी ।लेकिन उसने अपने मन को इस परिस्थिति के लिए तैयार कर लिया था ।असल में अब वह अपनी नयी जिंदगी शुरू करेगी ।
उब गई थी वह इस “दिखावटी रिश्ता “को ढोते ढोते ।सिनेमा के रील के तरह सबकुछ दिमाग में चलने लगा था उसके ।अठारह वर्ष की थी वह जब इस घर में दुलहन बन कर आयी थी ।सबकुछ तो ठीक था ।उँचे पूरे कद के हैंडसम पति,और अपना बिजनेस भी खूब अच्छा चल रहा था ।
किसी चीज की कमी नहीं थी।घर में नौकर चाकर और रसोइया के रहने के कारण आराम ही आराम था।ससुर नहीं थे।सासूमा ही थी सिर्फ़ ।उनकी एक सौतेली बहू भी थी।लेकिन वह अकसर अपने पति के साथ बाहर रहने लगी थी ।पर्व त्योहार पर आना जाना हो जाता था ।
दूर रहने के कारण मन मुटाव नहीं था ।लेकिन फिर भी अपने बेटे की बहु के लिए आँखे तरस रही थी।सो अब सुमन चहेती बहू बनकर घर में आ गई थी ।लेकिन सुमन का क्या? पहले ही दिन बहू के रूप में घर में घुसते ही कानो में फुसफुसाहट सुनाई देने लगी थी ।
“अरे,शम्भु ने शादी तो कर लिया है लेकिन उसे छोड़ पायेगा क्या? “उसे–?कौन? “अरे वही,शैला ।जाति से पंडिताईन ।न जाने कब से चक्कर चल रहा है इसका ।शादी में आइ हुई मधु चाची की आवाज थी यह।अम्मा जी को तो सब पता था फिर भी किसी की जिंदगी बर्बाद कयों कर दिया?
असल में जब शम्भु जी ने अपनी माँ को शैला के बारे में सबकुछ बता दिया था तो उनहोंने साफ कह दिया कि हमे दहेज भले ही नहीं मिले लेकिन शादी तो अपनी जात वालों से ही करेगी ।हम कायस्थ कुल वाले भला गैर जाती की लड़की से कैसे हो सकता है यह ब्याह? शायद शम्भु जी ने कहा था कि “अम्मा वह खराब जातीं की नहीं है,ब्राह्मण है”।
पर अम्मा टस से मस नहीं हुई ।और सुमन ने इस परिवार में अपने को समेट लिया था ।बंट गए थे शम्भु जी ।कभी शैला के पास, कभी सुमन के पास ।लेकिन सुमन के पास आते भी तो जैसे कोई भूखा भर पेट खाकर तृप्त हो गया हो वैसे ही आकर चुपचाप सो जाते ।
लेकिन आखिर तो पुरुष ठहरे।कभी सुमन को अपनी करतूत के लिए माफी मांग लेते और वह बिछ जातीं उनकी बाहों में ।साल बीत रहा था ।दिन भर घर के काम, सासूमा की देखभाल और सेवा में लगी रहती वह।फिर परिणाम में तीन बच्चों की माँ भी बन गई थी वह।
दो बेटा और एक बेटी ।जीवन में कुछ सोचने का समय भी कहाँ मिला।सासूमा ने भी एक दिन क्षमा मांगी थी उससे “मै तुमहारी गुनहगार हूँ बेटा ।सबकुछ जानते हुए भी तुम को इस घर में दुलहन बना कर ले आई।मुझे हो सके तो माफ कर देना ” क्या कहती सुमन ।
आँसू के घूँट पीकर रह गई थी ।पति को कोई स्त्री भला कैसे बाँट दे?लेकिन सुमन ने बाँट दिया था ।अब तीन बच्चों को गोद में दे कर शम्भु जी निश्चित हो गये थे ।बच्चों की देखभाल, माँ की सेवा, सबकुछ अपनी गति से चल रहा है यही कम बड़ी बात नहीं थी।अक्सर शम्भु जी अब उसी के साथ रहने लगे थे ।
समय नहीं दे पाने के कारण आटो पार्ट का बिजनेस चौपट हो गया ।लेकिन घर में कोई असुविधा नही हुई ।शैला अच्छे पोस्ट पर थी।अतः दोनों घर का भार उठा कर खर्चा चला रही थी ।उसे यही खुशी थी कि शम्भु उसके ही हैं ।सुमन के लिए तो यह एक दिखावटी रिश्ता रह गया था ।
बेटा बेटी दोनों बड़े हो गये और अपनी माँ से सहानुभूति रखते थे ।बेटे ने तो एक बार अपनी माँ के सामने कह दिया था कि मै पापा को छोड़ूंगा नहीं, बदला तो लेकर रहूँगा।तब सुमन न उन्हे समझाया था।और शान्ति से काम लेने को कहा था।ऐसे ही एक दिन सासूमा का देहान्त हो गया ।पति ने पूरी श्रद्धा से माँ की तेरहवीं की ।
पिता पुत्र में कम ही बात चीत होती ।बच्चों की पढ़ाई पूरी करके अच्छी नौकरी लग गई ।समय भागता रहा ।बेटी की शादी भी हो गई ।वह अपने घर में सुखी और संतुष्टि से जीवन बिता रही थी ।फिर अचानक छोटे बेटे ने अपनी पसंद का फरमान सुना दिया “मम्मी, मै अपने ही एक सहकर्मी से शादी करना चाहता हूँ
“अच्छी लड़की है ।सुमन ने संक्षिप्त उत्तर दिया ।ठीक है जो तुम्हे उचित लगे वही करो।सुमन की बहु घर आ गई ।बड़े बेटे ने कहा “मैं शादी ही नहीं करूंगा ” छोटे पुत्र को उसकी पत्नी ने अलग चूल्हा करवा दिया ।माँ और बड़ा पुत्र घर में रह गये ।अचानक एक दिन शम्भु जी गिरते-गिरते घर आये ।शरीर बुखार से तप रहा था ।”
सुमन, मुझे माफ कर देना ।मैने तुम को बहुत दुख दिया है जीवन में ।फिर भी तुम अंगद की तरह मेरी गृहस्थी में डटी रहीं ।कभी शिकवा शिकायत नहीं किया ।और देखो जिसके लिए मैंने अपने को न्योछावर कर दिया था वह मुझे छोड़ कर जा चुकी है ” मुझे अपना लो सुमन ।बहुत प्यास लगी है ।
पानी पिला दो दो घूँट “। सुमन पानी लाने गयी ।लेकर आई तो शम्भु जी नहीं रहे थे ।और इस तरह दिखावटी रिश्ता से मुक्त हो गई है बेचारी सुमन ।आज सबकुछ खत्म हो गया ।बस माँ बेटा घर में रह गये ।तेरहवीं भी खत्म हो गई है।चन्द सांसे—न जाने कैसे जीवन बितायेगी? प्रश्न कौंध रहा है ।कोई उत्तर नहीं है ।–
-उमा वर्मा ।नोयेडा ।स्वरचित ।मौलिक ।