अर्धांगिनी हुं मैं तुम्हारी !! – स्वाती जैंन

अर्धांगिनी , नहीं नौकरानी हो तुम , मेरा सब काम करती हो , मेरे लिए खाना बनाती हो , मेरे बच्चों को देखती हो इसलिए इस घर में हो और वैसे भी तुम्हारे मायके में तुम्हारे माता पिता भी नहीं हैं तो वहां भी कौन रखेगा तुम्हें ?? इसलिए तुम पर तरस खाकर तुम्हें यहां रहने दिया हैं वर्ना तुम जानती ही हो कि मैं तुम्हें दिल से कभी अपना ही नहीं पाया एक झटके में बोल गया अभिनव रीतु से और ऑफिस के लिए निकल गया !!

रीतु की गलती ही क्या थी उसने तो सिर्फ अभिनव से यही कहा था कि इस बार हम पुरी फैमिली एक साथ गांव जाएंगे दो सालो से सिर्फ तुम बच्चों को लेकर गाँव जा रहे हो , मुझे भी इच्छा होती हैं अपने ससुराल जाने की , वहां रहने की !! अभिनव गुस्से से बोला – यह क्या फैमिली , फैमिली लगा रखा हैं तुमने ?? मेरे लिए मेरी फैमिली मेरे माता – पिता , मेरी दीदी हैं और दोनों बच्चों को उनके दादा – दादी बहुत याद करते हैं इसलिए मुझे बच्चों को मिलाने गांव लेकर जाना पड़ता हैं !! मुझे सारे त्योहारो का आनंद भी मेरे माता – पिता के साथ ही आता हैं और वैसे भी तुम्हें वहां ले जाकर मुझे मेरे माता पिता से ताने नहीं सुनने कि तुम्हारी पत्नी को कुछ काम नहीं आता !! दो साल पहले भी घर में दीदी का जन्मदिन था और तुमने कमर दर्द का बहाना बना दिया था और कुछ काम नही किया था तब मां ने कहा था यह अभिनव की पत्नी को तो कुछ काम धाम करना नहीं हैं , यहां आकर ओर काम बढ़ाना हैं !! ऐसी कामचोर बहू को अभिनव जाने क्यों गांव लेकर आ जाता हैं ?? बस तब से मैंने फैसला कर लिया था कि अब तुम्हें कभी गाँव लेकर नहीं जाऊंगा !!

रीतु बोली – अभिनव मेरी कमर सच में बहुत दर्द कर रही थी , तुम्हें तो पता ही हैं उस दिन मुझे बुखार भी था !! मैं भला बहाना क्यूं बनाऊंगी, तुम्हारी मां ने गांव भर के लोगो को खाना बोला था और कमर दर्द इतना तेज था कि मुझसे सच में काम नहीं हो रहा था और आजकल वैसे भी तुम मुझे हर बात पर टोकते हो , अर्धांगिनी हुं मैं तुम्हारी !! बस इसी बात पर अभिनव ने उसे इतना भला बुरा सुना दिया था और कहने लगा हो सकता हैं इस बार भी मां तुम्हें गांव भर के लोगो का खाना बनाने बोल दे इसलिए बेहतर होगा कि तुम मुझे और बच्चों को ही गांव जाने दो और तुम यहां अकेली आराम करती रहो , पिछले एक सप्ताह से रीतु गांव जाने के लिए अभिनव को मना रही थी मगर अभिनव की इन बातों ने आज तीर के समान रीतु के दिल को छलनी कर दिया था !! रीतु तो बस अभिनव से अपनत्व की छांव चाहती थी जो उसे कभी नहीं मिली !!

अभिनव के लिए हमेशा से उसका परिवार ही सब कुछ रहा !! उसके माता पिता ने रीतु को कभी मान सम्मान नहीं दिया और ना ही अभिनव की बहन ने कभी रीतु को भाभी जैसा प्यार दिया !! अभिनव भी अपने माता – पिता और दीदी की बातें ही सुनता , इसलिए तो अभिनव के लिए रीतु बस घर की एक नौकरानी के समान थी !! पहले हर साल बच्चों के गर्मियों की छुट्टियों में रीतु भी सभी के साथ गांव जाती मगर अब लगभग दो सालो से अभिनव सिर्फ बच्चों को लेकर गांव जाता हैं !!

रीतु के दिमाग में बार बार अभिनव के दवारा बोला गया नौकरानी शब्द घूम रहा था !! वह स्तब्ध सी खड़ी यही सोच रही थी कि वह इतने सालो में बस अभिनव के दिल में अपने लिए यही जगह बना पाई कि वह एक नौकरानी हैं !! जितना काम करके वह इस घर की नौकरानी कहलाई गई उतना काम अगर वह किसी ओर के घर के लिए करती तो उसे कम से कम अच्छी खासी तनख्वाह तो मिलती यहां तो तनख्वाह तो छोड़ो पर मान सम्मान भी नहीं मिलता , वह बस फ्री की नौकरानी बनकर रह गई थी !! 

रीतु की आंखों में खुन उतर आया था क्योंकि आज अभिनव ने साफ साफ उसे अपनी अर्धांगिनी मानने से भी इंकार कर दिया था और वह तो उसे सिर्फ यहां झेल रहा था , रीतु के लिए अभिनव के दिल में बिल्कुल प्यार नहीं बचा था !!

रीतु फर्श पर गिरकर जोर जोर से रोने लगी !!

उतने में उसके दोनों बच्चे कॉलेज से आ गए !! बेटा ऋषभ अठारह वर्षीय और बेटी विनी सतरा वर्षीय हो चुके थे !! अपनी मां को यू रोता देख बोले – मां क्या हुआ ?? तुम ऐसे क्यों रो रही हो ??

रीतु ने सारी बाते अपने दोनों बच्चों को बता दी !!

जवानी की दहलीज में कदम रखे दोनों बच्चों को अपनी मां का अपमान सहन नहीं हुआ !!

ऋषभ बोला – मम्मी , आप इस घर की नींव हो , पापा की हिम्मत कैसे हुई आपको नौकरानी बोलने की ??

विनी भी बोली – पापा आखिर औरतो को समझते क्या हैं ?? आप हमारे लिए कितना कुछ करती हो और बदले में आपको हमसे कभी कुछ नहीं चाहिए होता मम्मी , आने दो पापा को आज , उनको हम सबक सिखाकर ही मानेंगे !!

सबक तो रीतु भी सीखाना चाहती थी अभिनव को मगर वह अपने बच्चों से बोली – ऋषभ और विनी अभी तुम दोनों को अपनी पढ़ाई लिखाई पर ध्यान देना हैं और वैसे भी तुम्हारा सारा खर्चा तुम्हारे पापा उठाते हैं इसलिए तुम दोनों उनके साथ गांव जाकर आओ , मैं यहां अकेले रह लूंगी !!

दोनों बच्चे मां को अकेले छोड़ना नहीं चाहते थे मगर रीतु बोली – तुम लोग जब बड़े हो जाओगे तब अपने पापा को सबक सीखाना , फिलहाल तुम लोग उनके साथ गांव चले जाओ वर्ना तुम्हारी पढ़ाई लिखाई पर भी असर पड़ सकता हैं !! रीतु के समझाने पर दोनों बच्चे  अपने पापा के साथ गांव जाने के लिए तैयार हुए !! रीतु ज्यादा पढ़ी- लिखी तो नही थी पर उसने ठान लिया था कि उसे अपने पैरो पर खड़ा होना ही पड़ेगा !!

उसने बहुत पता लगाया तो उसे पता चला कि सरकार की तरफ से बहनों को सिलाई कढ़ाई का काम फ्री में सिखाया जा रहा हैं और साथ साथ सिलाई मशीन भी फ्री में दी जा रही हैं !! बस फिर क्या था रीतु भी उस योजना का हिस्सा बन गई और उसने सिलाई – कढ़ाई का काम करना शुरू कर दिया !! धीरे धीरे उसके हाथ में सफाई आ गई और वह लोगों के कपड़े सिलके देने लगी जिससे उसकी कमाई होने लगी और वह पैसे रीतु अपने पास जमा करने लगी !!

अभी भी अभिनव उसी तरह रीतु पर चिल्लाते रहता , दोनों बच्चों को यह देखकर बहुत गुस्सा आता मगर रीतु के कारण दोनों ने  चुप्पी साध रखी थी !! लगभग पाँच सालो बाद रीतु के दोनों बेटा बेटी एक मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब पर लग गए और अच्छा खासा कमाने लगे !!

एक दिन अभिनव रीतु से झल्लाते हुए बोला – दिन भर सिलाई कढ़ाई करती रहती हो , मेरी शर्ट प्रेस क्यों नहीं की तुमने ?? वह रीतु पर हाथ उठाने ही वाला था कि बेटा ऋषभ बीच में आ गया और उसने अपने पापा का हाथ थाम लिया और बोला – यह क्या कर रहे हैं आप ?? मेरी मां पर हाथ उठाने का आपको कोई अधिकार नहीं हैं !!

अभिनव फिर गुस्से में बोला – हम पति-पत्नी के बीच में मत पड़ो ऋषभ , अपने काम से मतलब रखो !!

ऋषभ बोला – आपकी पत्नी ?? इतने सालों में कभी इनको आपने आपकी पत्नी समझा है ?? आपने तो इन्हें बस नौकरानी समझा है मगर कान खोलकर एक बात ध्यान से सुन लिजिए – यह मेरी मां है और मेरी मां पर हाथ उठाने का अधिकार आपको नहीं है !! 

यह सुनकर अभिनव गुस्से से तिलमिला उठा मगर जवान बेटे के सामने उसकी बोलती बंद हो चुकी थी , विनी भी पीछे से आकर बोली – भाई आज अच्छा सबक सिखाया तूने पापा को , मैं अब तक मम्मी के कारण चुप थी मगर अब बस बहुत हुआ , अब पापा को सबक सिखाने का समय आ गया हैं !! इधर रीतु की आंखो में खुशी के आंसू छलक उठे क्योंकि अब उसके दोनों बच्चे उसकी ढाल बन चुके थे !! 

अब अभिनव की घर में कुछ चलती नहीं थी क्योंकि रीतु और उसके बच्चों में बहुत एकता थी वही दूसरी तरफ अभिनव अकेला !!

देखते देखते दोनों बच्चो की शादी हो गई और दोनों सेटल हो गए !!

ऋषभ की पत्नी और विनी का पति भी जब अभिनव का व्यवहार देखते तो वह भी अब अभिनव से कटे कटे रहने लगे !!

अभिनव अब बहुत अकेला महसूस करता था क्योंकि वह तो सिर्फ अपने माता – पिता और अपनी बहन को ही अपना परिवार मानता था !! उसके माता – पिता तो अब दुनिया में थे  जिनसे जाकर वह बातें कर पाता और उसकी बहन अपने परिवार में मस्त थी , अब अभिनव का गुस्सा थोड़ा शांत हो चुका था क्योंकि वह अब अकेलेपन से झुंझने लगा था !!

कभी कभार वह अपने बेटे – बहू , बेटी – दामाद से बात करने की कोशिश करता मगर कोई अभिनव से ज्यादा बात नहीं करता क्योंकि जिस अभिनव ने उन सभी को कभी अपनी फैमिली नहीं माना वह अभिनव अब सबसे अचानक घुलने मिलने की कोशिश कैसे करने लगा सब यह सोचने लगते !!

अभिनव की हरकतों की वजह से उसे सबने एक किनारे कर दिया था !! अपने ही घर में सभी अपनों के रहने के बावजूद भी वह अकेले छटपटाने लगा था , गुमसुम सा हो गया था और शायद यहीं उसकी करनी की सजा थी !!

रीतु अब पहले से ज्यादा खुश रहने लगी थी क्योंकि उसके दोनों बच्चे उसे हर सुख- सुविधा देते थे !! उसके बच्चों ने उसे भरपुर मान – सम्मान और प्यार दिया था !! जिस प्यार और मान – सम्मान की उम्मीद वह उम्र भर पति से करती आई थी वह मान सम्मान उसे उसके बच्चों ने दिलवाया था !!

अभिनव को एक किनारे कर बच्चो ने उसे अच्छा सबक सिखाया था !! उन्होंने यह साबित कर दिया था कि जो इंसान उन्हें पहले अपना परिवार नहीं मानता था वह इंसान बाद में खुद परिवार का हिस्सा नहीं रहेगा !!

दोस्तों , परिवार सिर्फ खुन के रिश्तों से नही बनता , परिवार तो बनता हैं मान – सम्मान , अपनापन और प्यार से !! अगर परिवार में एकता हो तो उस परिवार की बात ही अलग होती हैं !!

अभिनव को सबक देना बहुत जरूरी था वर्ना उसे अपने परिवार की अहमियत कभी पता ना चलती !!

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आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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