बद्दुआ –  हेमलता गुप्ता

तो आप पापा जी की रोटी में इतना भर भर के घी लगा रही हैं तभी मैं सोचूं आपके यहां आने के बाद घर में राशन इतनी जल्दी खत्म क्यों जाता है, एक बात बताइए मम्मी जी.. क्या आप गांव में भी पापा जी को ऐसी रोटी देती है या अपने बेटे के यहां पर फ्री का समझ कर उड़ा रहे हैं, आप पापा जी को दूध में भी भर भर के मलाई देती हैं

आपको पता है इस उम्र में कितना नुकसान करता है यह सब चीज, दिन में आपके फल सब्जियां खाना बंद नहीं होता सुबह शाम आपके दूध दही, घी में तर रोटियां और खाने के बाद में मिठाई खाने की आदत, हे भगवान.. ऐसे तो हमारा घर 2 महीने में ही खाली हो जाएगा! अपनी बहू सीमा की बात सुनकर गोमती जी की आंखों से आंसू बह निकले,

वैसे तो वह गांव में खूब खुशहाल जिंदगी जी रहे थे पर बेटे की जिद्द के कारण वह यहां कुछ समय के लिए कोलकाता आ गए, बेटा अक्सर कहता था… मां बाबूजी 8 साल हो गए मेरी नौकरी लगे किंतु आपने कभी आकर नहीं देखा कि मैं कैसे रहता हूं आपकी बहू और पोता पोती कैसे रहते हैं,

हमारा तो केवल कभी-कभी त्योहार पर ही दो-चार दिन के लिए गांव आना होता है पर आप तो दोनों फ्री हो कभी तो आइए और उसकी बार-बार की जिद्द ने प्रकाश जी और गोमती जी को वहां जाने पर मजबूर कर दिया!

वह दोनों पूरे गांव में कहते फिरते थे.. देखो लोग कहते हैं बेटा बाहर जाकर बदल जाता है, एक मेरा बेटा है जो बार-बार आने के लिए आग्रह करता है और हम नहीं जाते तो नाराज हो जाता है, इस बार जाएंगे तो काफी समय तक रुक कर ही आएंगे! अभी उन्हें आए हुए महीना भर भी नहीं हुआ था की बेटे बहु ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया, शुरू में तो बेटा बहु दोनों ही अच्छे से बोलते थे

अब तो बेटे को भी वह खटकने लग गए, पापा जी मम्मी के  टीवी देखने से   उनके बच्चों को पढ़ाई में परेशानी होती थी, अब एक कमरा मम्मी पापा जी का भी हो गया तो उनके आने जाने वाले, किटी पार्टी वाली सहेलियां, दोस्त सभी कटे कटे रहने लग गए!

एक दिन बेटा घर आया और बोला… मां बाबूजी आप को यहां आए काफी समय हो गया मुझे लगता है शायद आपका यहां मन नहीं लग रहा क्यों ना आप अपने गांव वापस चले जाएं, वैसे भी यहां का हवा पानी आपको पसंद नहीं आएगा,

ना तो आपके हिसाब का यहां  खाना मिलता है ना आपकी जैसी यहां सोसाइटी है, वहां तो आप दोनों सुबह शाम मंदिर जाते थे पंचायत पर बैठते थे और  मा भी कितने सारे घरेलू काम करती थी और  कितनी सारी औरतों से उनकी खास दोस्ती थी, मुझे लगता है शायद मेरे बुलाने के वजह से आप दोनों को यहां आना पड़ा और वैसे एक बात कहूं पापा जी…

आपके यहां आने से मेरी फैमिली तो बहुत डिस्टर्ब हो गई है, ना तो मैं अपने दोस्तों को घर बुला पाता हूं और ना आप दोनों को छोड़कर हम कहीं भी बाहर जा पाते हैं, मेरा और सीमा का रोज आए दिन झगड़ा होता है मेरे बच्चे भी आपको देखकर गलत हरकतें सीख रहे हैं, खाने और बोलने की तमीज सब भूल बैठे हैं, तोबेहतर होगा

आप लोग गांव वापस चले जाएं, वैसे में आता रहूंगा बीच-बीच में! अपने बेटे की बात सुनकर तो दोनों जने दंग रह गए, चलो बहू तो दूसरे घर की है उसे तो  जाने कैसे संस्कार मिले होंगे लेकिन यह तो अपना जाया है इसको भी माता-पिता भारी लग रहे हैं, प्रकाश जी के मुंह से अपने बेटे के लिए बद्दुआ निकलने वाली थी

की गोमती जी ने कहा …अरे ऐसा मत कीजिए क्या कोई बाप अपने बेटे को बद्दुआ देता है? प्रकाश जी कह रहे थे… भगवान ऐसा बेटा किसी दुश्मन के घर में भी ना पैदा करें जिसे अपने माता-पिता ही बोझ लग रहे हैं हमने ने पाल पोस्कर इतना बड़ा कर दिया यह हम दोनों माता-पिता को एक महीने भी नहीं झेल पाए, लानत है ऐसी औलाद पर,

गोमती की तरफ इशारा करके बोले… कह दो अपने लाडले से,  हमें भी बेइज्जत होने का कोई शौक नहीं है तुमसे बड़ा तो हमारा गांव में घर है और वहां के लोग बेटे से भी ज़्यादा सगे हैं जिनकी वजह से हम कभी आज तक ना तो दुखी हुए ना शर्मिंदा हुए और बेटा यह तेरा घर तुझे ही मुबारक, तेरा परिवार क्या हमारा परिवार नहीं है?

आज के बाद हम तेरे घर नहीं आएंगे! तब गोमती जी बोली …बेटा माता-पिता है इसलिए तुझे बद्दुआ नहीं दे सकते पर हां हमारे घर के दरवाजे तेरे लिए फिर भी खुले रहेंगे, तुम्हारी जब इच्छा हो तुम आ सकते हो,

किंतु तुमने ऐसा कहकर जो माता-पिता के दिल को ठेस पहुंचाई है भगवान ना करें तुम्हारे बच्चे तुम्हारे साथ ऐसा करें और ऐसा कह कर रोते हुए दोनों अपना सामान पैक करने लगे क्योंकि शाम की गाड़ी से उन्हें वापस अपने गांव भी तो आना था!

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

   कहानी प्रतियोगिता (बद्दुआ) . 

   #बद्दुआ

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