कनिका को जब पता चला कि उसकी भतीजी पुरवा का रिश्ता पक्का हो गया और कुछ दिन बाद उसकी शादी होने वाली है तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा था। वह खुद ही अपनी भतीजी की शादी में जाने की तैयारी करने लगी थी।
जब कनिका के पति सुजीत ने कनिका को पुरवा की शादी में जाने के लिए इतना उत्साहित देखा तो वे कनिका से बोले-‘तुम अभी अपने मायके मत जाओ। जब तुम्हारे भैया भाभी तुम्हें अपने घर बुलाने के लिए निमंत्रण दे तभी जाना। बेटियों को अपने घर बिन बुलाए जाने से उनका सम्मान कम होता है।’
सुजीत की बात सुनकर कनिका हंसते हुए बोली-‘बेटियों को अपने घर जाने के लिए निमंत्रण पत्र की कोई जरूरत नहीं होती। मैं तो पहले भी अपने घर बिन बुलाए चली जाती थी। तब मम्मी -पापा मुझे देख कर कितने खुश होते थे।
जब पुरवा के पापा की शादी हुई थी। तब उसकी मम्मी के लिए लहंगा और साड़ी की खरीदारी करने के लिए मैं मम्मी-पापा के साथ जाती थी।
मम्मी-पापा को मेरी पसंद के कपड़े ही अच्छे लगते थे। अब पुरवा की शादी के लिए भी मैं भाभी के साथ खरीदारी करने जाऊंगी। शादी में खूब गीत गाऊंगी,नाचूंगी और खुशियां मनाऊंगी।’
कनिका को इतना खुश देखकर सुजीत ने उसे समझाया पहले तुम्हारे घर पर तुम्हारे मम्मी पापा का अधिकार था परंतु अब उनके जाने के बाद उनके घर पर तुम्हारे भैयाभाभी का अधिकार है। वक्त के साथ हर इंसान की सोच बदल जाती है। देख लो अभी जाने से पहले सोच लो कहीं यह ना हो तुम्हें वहां जाकर कोई परेशानी उठानी पड़े।’
सुजीत की बात सुनकर कनिका मुस्कुराते हुए बोली-‘मेरे भैया भाभी की सोच पहले जैसी है। मैं तो जरूर जाऊंगी। मैंने आपके लिए खाना बनाकर रख दिया है और बच्चों को भी समझा दिया है कुछ दिन बाद लौट आऊंगी। यह कहकर कनिका खुशी-खुशी अपने मायके की तरफ चल दी। हर बार जब भी वह अपने मायके जाती थी
तो फोन करके अपने आने की सूचना दे देती थी परंतु इस बार उसने सोचा क्यों ना मैं इस बार बिना किसी पूर्व सूचना के घर पहुंचकर सब को सरप्राइज दे दूं। यह सोचकर कनिका ने इस बार फोन भी नहीं किया। जब कनिका अपने घर पहुंची तो जैसे उसने अपनी भाभी का दरवाजा खटखटाना चाहा तभी उसे पुरवा की आवाज
सुनाई दी-‘मम्मी आप मेरी शादी में खरीदारी के लिए बुआ को मत बुलाना। उनकी पसंद बहुत बुरी है। उनका मन रखने के लिए बेमन से उनकी पसंद की खरीदारी करनी पड़ती है। मैं अपनी शादी में अपनी मर्जी से ही खरीदारी करूंगी।’
पुरवा की बात सुनकर उसकी मम्मी बोली-‘हम कहां बुलाते हैं तेरी बुआ को वह खुद ही आ धमकती है। मेरी शादी में उन्होंने मेरे लिए कितना बुरा लहंगा पसंद किया था। मेरे घर की सभी औरतें उनकी पसंद का मजाक उड़ा रही थी। मैं तेरे पापा से बोल दूंगी उन्हें तेरी शादी से 1 दिन पहले ही निमंत्रण देने जाएं। ताकि हमें उनकी पसंद से छुटकारा मिल जाए।’
अपनी भाभी और भतीजी की बात सुनकर कनिका के हाथों से उसका बैग नीचे गिर गया। जिसकी आवाज सुनकर पूरवा और उसकी मम्मी जब बाहर आई तो कनिका को देख कर बोली-‘अरे दीदी आप कब आई। ना कोई फोन ना कोई सूचना।
यह सुनकर कनिका भर्राई आई हुई आवाज में बोली-‘भाभी मैं यहां गली में किसी काम से आई थी तो सोचा आप से मिलती चलूं। बस मैं आप को आवाज देने वाली थी कि आप आ गई।’अरे तो बाहर क्यों खड़ी हो अंदर आओ ना। अंदर बैठकर बातें करेंगे।’भाभी ने कहा तो कनिका बोली-‘भाभी बस आप से मिलने का मन था तो मिल ली। अब मैं चलती हूं।’
‘ अरे दीदी 6 दिन बाद पुरवा की शादी है। कुछ दिन यही रुक जाओ। फिर चली जाना”भाभी ने ऊपरी मन से कहा तो कनिका बोली-‘अब मैं पुरवा की शादी वाले दिन ही आऊंगी। वह भी सिर्फ कन्यादान करने । इतना कहते हुए कनिका घर से बाहर निकल गई थी। बेहद दुखी मन से जब वह अपने घर पहुंची तो उसे देख कर उसके पति सुजीत आश्चर्य से बोले-‘तुम वापस क्यों आ गई? तुम तो पूरवा की शादी के बाद आने वाली थी और तुम्हारे चेहरे पर इतनी उदासी क्यों है?’
इतना सुनते ही कनिका का दर्द उसकी आंखों में सिमट ना सका और आंसू बनकर बह निकला। वह रोते हुए सुजीत से बोली-‘तुम ठीक कहते थे मायके में बिन बुलाए नहीं जाना चाहिए। मायका तभी तक अपना होता है जब तक मां-बाप जिंदा होते हैं। उसके बाद बेटियों का मायका अपना नहीं रहता। अब मैं वहां बिन बुलाए कभी नही जाऊंगी।’
यह सुनकर सुजीत उसके आंसू पोछते हुए बोला-‘मैंने तो तुम्हें पहले ही समझाया था परंतु, तुम ही नहीं मानी भारतीय नारी जल्दी से मानती ही कहां है यह बात तो भगवान शिव ने पार्वती को भी समझाई थी परंतु, उन्होंने भी उस वक्त भगवान शिव की बात मानने से इंकार कर अपमान और दुख ही पाया था’। पति की बात सुनकर कनिका रोते हुए सोच रही थी बेटियां पहले भी भोली थी और आज भी भोली है जो मायके के प्यार में दौड़ी चली जाती हैं परंतु, मायके वाले इस बात को कभी समझते कहा है।
बीना शर्मा