सलोनी मध्यवर्गीय परिवार से थी , उसने अपने माता-पिता को बचपन से ही संघर्ष करते देखा था। वह भी उनका हाथ बटा देना चाहती थी। किसी तरह उसने स्नातक की परीक्षा दी और नौकरी करने लगी। ऐसा नहीं कि सलोनी शांत स्वभाव की थी
बल्कि उसने अपने जीवन में,अपने आपको,छोटे बहन -भाई को छोटी-छोटी जरूरत के लिए, परेशान होते देखा है, कई बार अपनी आवश्यकताओं को, अपनी इच्छाओं को मारा भी है। कई बार उसे अपनी बेज़ार सी जिंदगी पर बहुत क्रोध भी आया है।
कभी-कभी सोचती -यह जीवन क्यों है? छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए भी ,हमें किस तरह परेशान होना पड़ता है ? एक आवश्यकता पूर्ण होती है तो दूसरी से समझौता करना पड़ता है।
वह भी ,उन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हाथ -पांव मारने का प्रयास कर रही थी, किसी तरह स्नातक किया और एक जगह नौकरी करने लगी ,छोटी ही सही किन्तु अब अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए माता-पिता के सामने हाथ नहीं फैलाती थी।
साथ ही अपने छोटे बहन- भाइयों की, छोटी-छोटी ज़रूरतें पूरी करने का प्रयास करने लगी किंतु जिंदगी इतनी आसान भी नहीं है, इस जीवन में अवश्य ही कोई न कोई घटना या दुर्घटना लगी ही रहती है,इतनी सरलता से जीवन जिया नहीं जा सकता, ऐसा ही कुछ सलोनी के साथ हुआ।
वह बीसवें वर्ष में चल रही थी, वह चाहती थी कि आगे की पढ़ाई भी जारी रखें और अपनी नौकरी भी करती रहे,उसका इरादा दृढ़ था ,इस जीवन से बराबर की टक्कर लेकर, इस जीवन को जीतना चाहती थी किंतु इस बीच, एक व्यक्ति, उसके लिए एक रिश्ता लेकर आया। माता-पिता को बेहद खुशी हुई किन्तु उन्होंने उसे अपनी परेशानी पहले ही बतला दी-‘ कि वो सिर्फ बेटी ही दे सकते हैं ,दान -दहेज़ नहीं दे पाएंगे।’
आप लोगों की हालत से मैं परिचित हूँ इसीलिए ये रिश्ता लेकर आया हूँ ,उन लोगों को दान -दहेज़ कुछ नहीं चाहिए।मैं जानता हूँ कि आप लोग अपनी छोटी-छोटी जरूरतें ही पूरी नहीं कर पाते हैं, यह जो रिश्ता लेकर आया हूँ बहुत ही अच्छे परिवार से है। लड़का अच्छा- खासा कमाता है, लड़की को खुश रखेगा और क्या चाहिए ?
साधारण रूप से देखा जाए तो सलोनी के लिए वह रिश्ता बहुत अच्छा था, जब सलोनी के माता-पिता ने लड़के से मिलने के लिए कहा, उससे बात करनी चाही, तो उसने बड़ी सफाई से झूठ बोला -मैंने आप लोगों को तस्वीर तो दिखला दी है, लड़का बेहद ही शांत स्वभाव का है, अच्छा -खासा कमाता है, उन लोगों को दहेज भी नहीं चाहिए। तुम जैसे लोगों का रिश्ता ले रहा है, यह क्या काम बड़ी बात है ?
सलोनी अभी विवाह करना नहीं चाहती थी किंतु जब उसकी मम्मी ने समझाया -कि ऐसे रिश्ते बार-बार नहीं आते, हमें मौके का लाभ उठाना चाहिए,तुम्हारे विवाह के पश्चात तुम्हारी बहन का बोझ ही रह जायेगा वरना घर में दो -दो स्यानी लड़की का बोझ न जाने कब उतरे ?
तब सलोनी ने उनसे कुछ नहीं कहा,तभी वो व्यक्ति आया ,सलोनी उसकी बातें सुनती-अजी ,बच्चों ने देखा ही क्या है ?एक बार विवाह हो
गया तो लड़की राज करेगी राज़ !उसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। लड़का तो आपने देखा ही है ,कितना सुंदर है ,तुम्हारी बिटिया के तो भाग खुल गए जो उसे आपकी बिटिया पसंद आई वरना उसके लिए तो एक से एक रिश्ते आ रहे थे किन्तु लड़के की माँ बोली -‘हमें तो सलोनी बिटिया पसंद है।
उसी बातें सुनकर ,माता -पिता भावविभोर हो उठे और बोले -ये तो बस किस्मत की बात है ,हम तो चाहते हैं बेटी ,जो सुख यहां न देख सकी, वहां देख ले ,बच्चे अपनी क़िस्मत ऊपर से ही लिखवाकर लाते हैं।
ये बात तो आप सही कह रहे हैं ,गरीबों के घर राजा पधारेंगे वरना कहाँ आप और कहाँ वो !ये तो वही बात हो गयी ”कहाँ राजा भोज ,कहाँ गंगू तेली ”
उसकी बातो से लग रहा था जैसे वो लोग तो बहुत ही गिरे -पड़े हैं और लड़का कहीं का शहंशाह ! उस व्यक्ति की बातें सुनकर सलोनी अपनी माँ से बोली -मुझे उस इंसान पर बहुत गुस्सा आ रहा था जो रिश्ता लेकर आया था
क्योंकि वह बार-बार हमें यह एहसास दिला रहा था किहमारी तो जैसे कोई औकात ही नहीं है। कितना बढ़चढ़कर बोल रहा था ? तुम्हारी बेटी ने न जाने कौन से पुण्य कर्म किए होंगे जो ऐसा रिश्ता मिला है। वह उसके माता-पिता को, हर तरह से शीशे में उतार लेना चाहता था।
ऐसा नहीं कहते ,वो तो हमारे भले के लिए ये सब कर रहे हैं वरना आजकल कौन किसी के लिए कुछ करता है,आजकल किसी के पास खड़े होने तक का समय नहीं और ये तो रिश्तेदारी जोड़ रहे हैं।
जब सलोनी के विवाह की बातें चल रही थीं, उन्हीं दिनों उसकी मौसी उनके घर आई जब घर वालों ने, उसके रिश्ते की बात मौसी को बताई तो वे भी बहुत ही खुश हुईं ,पहले तो मना ही कर रहीं थी अभी इसकी उम्र ही क्या है ?अभी ये कुछ और पढ़ ले किन्तु जब उनकी बहन ने अपनी जिम्मेदारियों का रोना रोया तो वे भी सहमत हो गयीं। तब उन्होंने प्रसन्न होते हुए पूछा -क्या तुम लोग, उस लड़के से अथवा उसके परिवार से मिले हो ?
नहीं,वो बिचौलिया कह रहा था -हम पर विश्वास कीजिए घर -परिवार और लड़का सब अच्छा है।
ठीक है जब वह कह रहा है,तो ठीक ही होगा , उस लड़के की तस्वीर तो मैं देख ही सकती हूँ।
सलोनी की छोटी बहन खुश होते हुए उस लड़के की तस्वीर लेकर आई और बोली -मौसी जी ! ये हमारे होने वाले जीजाजी हैं।
उस तस्वीर को देखकर उसकी मौसी एकदम चुप हो गई और उनसे पूछा -यह लड़का…. कहीं देखा सा लग रहा है। कहां का है, क्या करता है ?
संपूर्ण बातें पूछने के पश्चात उन्होंने बताया -इस लड़के का तो विवाह हो चुका है और दहेज़ न मिलने के कारण,उन लोगों ने उस लड़की को मारने का प्रयास किया था। अब वह लड़की हमारे घर से दो घर दूर अपने माता-पिता के पास रहती है, उनका तलाक हो गया है और इसकी यह जो तस्वीर है ,बहुत पुरानी है ,जब वो पढ़ रहा था ,ये तो कम से कम तीस या बत्तीस साल का होगा।
यह सारी बातें सुनकर सलोनी को बहुत क्रोध आया और वह उस बिचौलिए के विषय में सोच रही थी,तब अपने मम्मी पापा से बोली -देखा ,कैसे मीठा -मीठा बोलकर हमें फंसा रहा था ?उसने मन ही मन निश्चय किया – कि अब ये लोग उससे बात नहीं करेंगे अब उससे बात… मैं करूंगी। बार-बार आकर हमें एहसान दिखाता है कि मैं कितना अच्छा रिश्ता लेकर आया हूँ।
उस व्यक्ति के आते ही, सलोनी ने उस व्यक्ति से पूछा -उस लड़के की उम्र क्या है ?
बस तुमसे कोई दो-चार साल ही बड़ा होगा , बातें बनाते हुए उसने कहा।
वह क्या करता है ?
अच्छी कंपनी में अच्छी नौकरी कर रहा है। तुम यह सब क्यों पूछ रही हो ?ऐसी बातें बड़ों के मध्य होती हैं ,बच्चों को दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए,अपने पापा को बुलाओ !
मैं इसलिए पूछ रही हूँ क्योंकि ये मेरे जीवन का प्रश्न है ,विवाह मेरा होगा ,मुझे भी तो पता होना चाहिए जहाँ मेरा विवाह हो रहा है ,वे लोग कैसे हैं ,केेसा रहन -सहन है ?’दाँत पीसते हुए’ सलोनी बोली।
ऐसा बढ़िया रिश्ता है फिर कभी नहीं आएगा तुम तो यह सोचो ! इस गरीबी से निकलकर तुम, अमीर परिवार में चली जाओगी। अभी भी वह अपनी बात को ऊंची कर रहा था।
तब सलोनी ने उससे पूछा -उसका तलाक कब हुआ था?
इस बात को सुनकर वह थोड़ा हड़बड़ाया ,बोला- किसका तलाक ?इसका तो विवाह ही नहीं हुआ है।
तभी उससे सलोनी बोली -क्या आपने हमें इतना गया- गुजरा समझ लिया है कि दुहेजिया से, मैं विवाह करूंगी और वह भी 10 साल बड़े से, जो दहेज के लालच में अपनी पत्नी को मार देना चाहता था।अब आप उठिये !और यहाँ से जाइये !
ये तुम क्या कह रही हो ?मैं तुमसे उम्र में बड़ा हूँ।
तभी तो अभी तक आपसे शांति से बातें कर रही थी ,ये रिश्ता नहीं होगा ,आप जाइये !
तुम गलत समझ रही हो ,ऐसा कुछ भी नहीं है, वे लोग तो दहेज लेना ही नहीं चाहते, मैं तुम्हारे पापा से बात करूंगा ,उन्हें बुलाओ !
पापा नहीं आएंगे, यह मेरी जिंदगी का सवाल है। अब ये विवाह नहीं होगा आप जा सकते हैं।
एक बार…. क्या आपने सुना नहीं लगभग चिल्लाते हुए सलोनी बोली।
सलोनी का व्यवहार देखकर अब उस व्यक्ति को भी अपना अपमान लगा और वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और बोला -तुम हो क्या ?जो इतनी अकड़ दिखा रही हो ,दाने -दाने को तरस रहे हो और इसकी अकड़ देखो !मैंने, तेरे बाप की कई बार मदद की है ,
भिखारी कहीं के ,वो कुछ हैं नहीं ,तब इतनी अकड़ दिखा रही है ,माँ -बाप ने बड़ों से बात करने की तहजीब नहीं सिखाई ,बेटी का कमाया खा रहे हैं ,इनका ज़मीर ही मर चुका है ,उसकी बातें सुनकर सलोनी ”आपे से बाहर हो गयी”
और चिल्लाते हुए बोली -बुरा समय सब पर आता है ,क्या उनके परिवार से मेरा सौदा किया था ?हम तो गरीब हैं ,हमारी कोई औकात नहीं है ,तुम्हारी औकात तो है ,तुम्हारी कोई बेटी हो तो उसका विवाह, उससे करा दो !
तेरी इतनी हिम्मत कहकर वो आगे बढ़ा ,उससे पहले की वो सलोनी पर हाथ उठाता सलोनी ने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ लिया और बोली -मेरे घर के दरवाजे पर खड़े हो ,मुझे इतनी कमजोर भी मत समझना ,इस हाथ को तोड़कर रख दूंगी ,ख़बरदार !जो इस चौखट पर फिर से क़दम रखा।
बात बिगड़ती देख ,सलोनी की मम्मी वहां आ गयीं और बोली -सलोनी !अपने गुस्से को काबू में रखो ! जाओ !अंदर, कहते हुए उसका हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए अंदर की तरफ ले चलीं ,उसे कमरे में छोड़कर वापस आईं , तब तक वो आदमी जा चुका था।
तब वे कमरे में आई और सलोनी को पानी दिया ताकि वह शांत हो जाये !सलोनी को समझाते हुए बोलीं – इतना ‘आपे से बाहर’ होने की क्या आवश्यकता थी ? वे आये थे उन्होंने अपने विचार रखे ,मानना न मानना हमारे ऊपर था ,यदि हमें यह रिश्ता नहीं करना था तो आराम से मना कर सकते थे वो जबरदस्ती थोड़े ही करते।
आपने देखा नहीं ,वो किस तरह बार -बार हमें नीचा दिखा रहे थे ?जैसे हम कुछ हैं ही नहीं।
उनके सोचने से क्या होता है ?हम जो हैं ,हमें पता है ,माना कि थोड़ी परेशानी है ,वे कह रहे हैं ,कहने दो !उनके कहने अथवा न कहने से हम पर क्या फ़र्क पड़ता है ?जीवन में ऐसे बहुत से लोग आएंगे जो जीवन में नीचा दिखाने का प्रयास करेंगे या फिर प्रशंसा भी कर सकते हैं किन्तु हमें किसी के कहने से अपने में कोई बदलाव नहीं लाना है।
हमारा जीवन जैसा चल रहा है ,वो तो चलता ही रहेगा। हमारा परिश्रम ,हमारी एकता ही हमारे काम आएगी ,तुम्हारा इस उम्र में इतना क्रोध करना उचित नहीं है ,तुम्हारा ये गुस्सा उन पर नहीं था ,ये तुम्हारे मन की भड़ास थी जो उन पर निकल गयी किन्तु आगे से ध्यान रहे हमारा व्यवहार ही आगे काम आता है ,अपनी मम्मी के समझाने से धीरे -धीरे सलोनी का क्रोध शांत हुआ।
एक उम्र ऐसी होती है ,जब इंसान ”आपे से बाहर” हो जाता है किन्तु ऐसे समय में किसी बड़े और समझदार व्यक्ति का साथ मिल जाये तो राह चुनने में आसानी हो जाती है एक गर्म तो एक नरम ,बड़ों की समझदारी ही इस संतुलन को बनाकर चलती है।
✍🏻लक्ष्मी त्यागी