अरे देखो देखो कितनी निर्लज्ज है। अभी ससुर को मरे हुए कुछ ही दिन हुए हैं और कैसे बाहर घूम रही है। कुछ दिन से देख रहे हैं कि संतलाल भईया की बहू के सिर पर पल्ला भी नहीं रहता ।न जाने गाड़ी में पुरुषों के साथ कहां कहां जाती हैं।
कभी सुबह कभी शाम को कोई आने जाने का समय नहीं है। हे राम ….इसका मर्द भी कुछ नहीं कहता ।प्रिया को देखकर मोहल्ले वाली कुछ महिलाएं आपस में बात कर रही थी। प्रिया के ससुर समाजसेवी थे।
जिनकी कुछ समय पूर्व मृत्यु हो गई थी। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके समाजसेवा के कार्य को कोई भी आगे बढ़ने वाला परिवार में नहीं था ।सब अपनी-अपनी नौकरी में व्यस्त थे। उसमें प्रिया ने संकल्प लिया कि वह अपने ससुर साहब के काम को आगे बढ़ायेगी और इस कार्य को करने के लिए कभी सुबह कभी शाम को उसको जाना पड़ता ।
उसके साथ अधिकतर पुरुष ही कार्यकर्ता थे। प्रिया की धीरे-धीरे ख्याति बढ़ने लगी । वह समाज सेवा तन मन धन से कर रही थी एक बार उसके क्षेत्र में भारी बाढ़ आ गई। लोगों को घर छोड़कर सड़कों पर आना पड़ा। खाने के लाले पड़ गए। हर तरफ जल ही जल दिख रहा था।
उस समय प्रिया ने रात दिन करके सरकारी सहायता और इस आपदा में अपने धन को खर्च करके लोगों की बहुत मदद की । उसी समय ग्राम प्रधान का चुनाव भी निकट था। लोगों ने कहा बहू जी आप इस बार चुनाव में खड़े हो। कभी यह बाबूजी का सपना था।
मोहल्ले वालों के कानों तक ये बातें पहुंची।महिलाएं फिर खुसर फुसर करने लगी। देखो घर के मर्दों का कोई कोई महत्व ही नहीं है। न पूछना न बताना चली है बड़की नेता बनने। उनकी यह बातें और अश्विनी के कानों में गई जो प्रिया का पति था। उसने कहा……
चाची…! आप लोगों को क्यों खराब लग रहा है? उसे हमने छूट दे रखी है। आपके गांव की बहू ग्राम प्रधान बन जाएगी तो तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा। देखो देश की राष्ट्रपति महिला है कई महिलाएं मुख्यमंत्री बनी है। तो प्रिया ग्राम प्रधान नहीं बन सकती।
ये आगे बढ़ेगी तो आप लोग का ही नाम होगा। महिलाएं शर्म से आंखें चुराने लगी। वो वक्त भी आ गया। जब प्रिया का जोर शोर से प्रचार चल रहा था। जो महिलाएं विरोध कर रही थी। वही धीरे-धीरे करके प्रिया के साथ मिलकर प्रचार करने लगी।
मतदान का दिन भी आ गया। प्रिया भारी मतों से विजयी हुई ।उसने सबके पैर छूकर कहा यह मेरी जीत नहीं है।यह आप सब की जीत है।
आप लोगों के विश्वास की जीत है ।जब भी कोई परिवर्तन होता है तब कुछ तो लोग कहेंगे । इससे डरना या भागना नहीं चाहिए। डर के आगे ही जीत है। आज प्रिया सब की प्रिय प्रधान है।
स्वरचित विनीता महक गोण्डवी
अयोध्या