कुछ तो लोग कहेंगे – करुणा मलिक

अरे मम्मी, एक तो इतनी गर्मी ऊपर से इतनी लंबी साड़ी ….. कुछ हल्के कपड़े पहना करो ना …. देखो तो पेट के चारों ओर कैसे रेड रैशेज हो रखे हैं आपको ।

हाँ…. क्या करुँ? शादी के बाद कभी ओर कुछ पहनने की सख़्त मनाही थी और अब तो पहना ही नहीं जाएगा शायद ।  सुन मिनी , जब मैं छोटी थी ना , कोई क्लास फ़ाइव में…. तभी माँ ने मम्मी से कहा था—

ए बहू …. लड़की बड़ी हो गई है, अब सलवार- क़मीज़ पहनाना शुरू  कर दे । तेरे ससुर लड़कियों के पहनावे को लेकर बहुत हाय तौबा मचाते हैं । आस- पड़ोस की लड़कियों की भी हिम्मत नहीं  है कि ज़रा से तंग कपड़े पहन लें । 

क्लास फ़ाइव में ? और नानी ने आपकी दादी की बात मान ली?

माननी ही पड़ी…. तभी तो मम्मी ने मुझसे कहा था—

पूजा ! जा कपड़े बदल ले , तेरे बाबाजी ने देख लिया तो डाँट पड़ेगी ।

लेकिन बेचारी मेरी नानी की बात तो कभी आपकी दादी ने सुनी ही नहीं और सलवार क़मीज़ के अलावा बाक़ी पहनावे पर बैन लग गया … एम आई राइट ?

हाँ….  मेरा बहुत मन करता था कि मैं कभी फ्रॉक पहनूँ, कभी स्कर्ट…..पूजा ने बुझे स्वर में कहा । 

तो मम्मी…. क्या हुआ अब पहन लिया करो ना , जो  आपको अच्छा लगता है …. पैंट , स्कर्ट- फ्रॉक …

पागल है ? लोग क्या कहेंगे ? ये उम्र है कोई ….. मेरी शादी को चालीस साल हो चुके हैं, साड़ी के अलावा कुछ नहीं पहना ।

तो क्या शादी के बाद साड़ी  के अलावा दूसरी ड्रेस  पहनने में कोई बुराई है मम्मी…. ठीक है हमारे यहाँ कुछ ड्रेसेज़ को केवल छोटी लड़कियों का ही पहनावा माना है पर अब तो ज़माना बदल रहा है बस मर्यादा नहीं लाँघनी चाहिए,  आप ही तो दिखा रही थी ना कुछ दिन पहले अपनी फ़्रेंड की फ़ोटो…., उन्होंने भी तो स्कर्ट और पैंट पहनी हुई थी ।

अरे बेटा …, वो तो अपने हसबैंड के साथ केरल घूमने गई थी ना , वहाँ पहनी थी…. यहाँ थोड़े ही पहनती है । 

अच्छा….. बाहर जाकर हम वो सब कर सकते हैं जो घर में रहकर करना अच्छा नहीं समझा जाता ।

अरे नहीं…. वो बात नहीं है, घर- परिवार में बड़े हैं बाहर कौन जानता है हमें ? 

पर मम्मी…..बड़े लोग तो वहाँ भी मिल जाते हैं सड़कों पर । लास्ट इयर, जब मैं कॉलेज टूर  पर गई थी तो आपने मुझे समझाया था कि माँ- बाप की आँखों के सामने ही नहीं बल्कि पीठ पीछे भी कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिसे उनके सामने करने में शर्म आती हो ….. कहा था ना ?

हाँ मिनी , ये बात हमेशा याद रखना बेटा । हमारे कामों के कारण कोई नज़रें चुराए …. ऐसा कभी नहीं होना चाहिए ।

यही तो मैं आपको समझाने की कोशिश कर रही हूँ मम्मी । अगर हम दूसरे स्थान पर जाकर अपने से बड़ों के सामने कोई भी ड्रेस पहनने में हिचकिचाते नहीं तो अपने परिवार के सामने क्यों हिचकिचाते हैं? बस एक सोच बनी है कि लोग क्या कहेंगे? क्या हम लोगों के लिए जीते हैं? मम्मी! लोग तो कुछ न कुछ कहेंगे ही …. क्या उनके कहने भर से हमें डरना चाहिए? 

अरे बेटा…. वो सब ठीक है पर फिर भी….. अब शर्म आएगी सबके सामने कुछ भी नई ड्रेस पहनने में । अच्छा छोड़ इन बातों को ….. तेरे ताऊजी और ताईजी को पता चला ना  कि तुम मुझे क्या सलाह मशविरे देती रहती हो तो तुम्हारी  आफ़त कर देंगे …. शुक्र है कि तुम बहू- बेटियों पर उन्होंने पाबंदी नहीं लगाई ।

अब मिनी ने मम्मी की बात का कोई जवाब नहीं दिया । उसे लगा कि मम्मी के दिलोदिमाग़ में कुछ बातें इतनी गहराई से बैठी है जिन्हें आसानी से निकाला नहीं जा सकता । 

मिनी  यह सोचकर कि कि चलो भाभी के साथ बैँठकर इस टॉपिक पर बात करती हूँ , अपनी ताईजी की तरफ़ चली गई । उसने बरामदे में पहुँच कर ताई को आवाज़ लगाई पर कोई जवाब ना पाकर वह अंदर की तरफ़ चली गई ।मिनी ताईजी को दुबारा आवाज़ लगाने ही वाली थी कि भाभी के कमरे में खड़ी ताईजी पर उसकी नज़र जा टिकी । ताईजी एक बड़े सुंदर से स्लीवलेस गाउन को अपने ऊपर लगाकर ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी अपनी छवि निहार रही थी ।मिनी देखते ही दूर से चिल्लाई —

वाओ…..ताईजी, यू आर लुकिंग सो हैंडसम ….

मिनी की आवाज़ सुनकर ताईजी तुरंत सकपका गई और गाउन को वहीं फेंक बाहर निकलते हुए बोली —-

जब देखो इस तेरी भाभी को …. नई- नई ड्रेस मँगवा लेती है । अभी-अभी कुरिअर वाला देकर गया है । कामना बाज़ार गई है तो मैंने सोचा कि ज़रा देखूँ तो सही कि क्या मँगवाया  है ।इतनी भारी-भारी साड़ियाँ चढ़ा रखी है पर मजाल कि उन्हें पहन लें …. बता गाउन मँगवाने की क्या ज़रूरत थी? 

ताईजी….. एक बात बोलूँ? आप और मम्मी भी थोड़े बदलते जमाने के साथ बदल जाओ ना ….. कितनी प्राबल्म होती होगी ना ? साड़ी सिर्फ़ साड़ी …… कम से कम सूट- सलवार तो पहन लिया करो । 

चुप …. नई पीढ़ी ने तो रंग ढंग बदल ही लिए….. अब मैं तो जीते जी सलवार क़मीज़ नहीं पहन सकती , तेरी माँ को जो करना हो ….. कर लेगी । 

ताईजी! पूरी सर्दी में आपको घुटने का कितना दर्द रहता है, सलवार पहनोगी तो कितना आराम रहेगा…. केवल लोगों को बातें बनाने का मौक़ा ना मिलें , आपकी उम्र की औरतें कितना सहन करती हैं ना ?

बेटा…. हमारी जितनी सहनशक्ति होनी आसान नहीं है । आज की लड़कियाँ तो हमारी कन्नो उँगली जितनी भी सहनशील नहीं है…..

हाँ….. तभी तो कहती हूँ ताईजी! अपने ऊपर इतना ज़ुल्म क्यों करती हो? क्यों अपने मन को मार-मारकर जीती हो ? अपने को आरामदायक स्थिति में रखना सबका हक़ होता है…. 

ना बेटा….. हमारी पीढ़ी की सब बहुएँ साड़ी के अलावा कुछ नहीं पहनती ….. मैं तो लोगों को बातें बनाने का मौक़ा नहीं दूँगी ।

आप क्या सोचती है कि कुटुंब और पड़ोसी आपकी बड़ी बड़ाइयाँ करती हैं? सब कहती हैं कि ये बड़ी ताईजी को तो जीना ही नहीं आता ….. ना खुद खुश रहेंगी ना रहने देंगी , पूरी सर्दी हाय- हाय करके घुटना पकड़े फिरेंगी पर ये नहीं कि ऐसे कपड़े पहनें जिनमें घुटने की गरमाहट बनी रहे । 

हाँ…. ये तो तू ठीक कहती है कि हमारी पीढ़ी ने बहू- बेटियों को तो जमाने के साथ चलने की छूट दे दी पर अपने साथ कठोर ही बने रहे । 

तभी तो कह रही हूँ कि लोगों को छोड़ो …#. कुछ तो लोग कहेंगे ही …..

पर मुझसे तो अब पहनावे में बदलाव नहीं होगा ।

ताईजी की बात सुनकर मिनी चुपचाप घर लौट आई । कुछ हफ़्ते ही बीते थे कि  एक रात हाथ लगकर  गैस पर से उबलते दूध का भगोना ताईजी के  पेट पर गिर पड़ा । ताईजी के पेट पर फफोले पड़ गए । कुछ दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद डॉक्टर ने उन्हें ऐसे कपड़े पहनने को कहा ताकि ज़ख़्म पर हवा लगती रहे । 

डॉक्टर ने उन्हें टी शर्ट और लोअर पहनने को कहा ताकि  लेटने और बैठने की स्थिति में टी  शर्ट को पेट से उठाया जा सके पर ताईजी ने टी शर्ट पहनने से मना कर दिया । देवरानी पूजा और बहू कामना ने गाउन पहनाया पर कपडा तो ज़ख़्म पर लगा रहता था । आख़िर एक दिन ताऊजी ने सख़्त लहजे में कहा—-

पूर्णिमा! क्यों सबको परेशान कर रही हो ? वहीं तो कपड़े पहनाए जाएँगे जिसमें ज़ख़्म पर हवा लगती रहे। बिना मतलब की नौटंकी मत करो और ठीक होने पर ध्यान दो नहीं तो सड़ जाओगी ।

उसके बाद ताईजी ने बिना ना-नुकर के टी शर्ट और लोअर पहन लिया । कई महीनों के बाद पूरी तरह से ठीक हो जिस दिन उन्होंने साड़ी पहनी , उस दिन बार- बार कहती रही —

पूजा , आज जाके शांति मिली ।

पर दोपहर होते- होते ताईजी का साड़ी प्रेम समाप्त हो गया और उन्होंने अपनी बहू कामना से कहा —

ए कामना ! मुझे मेरे टी शर्ट और लोअर लाकर दे , पेट पर खुजली सी होने लगी है । 

ऊपर बैठी मिनी के कानों में जैसे ही ताईजी के शब्द पड़े तो वह नीचे उतरकर आई और  हँसते हुए बोली —

हाँ…. हाँ…. अब तो पेट पर खुजली होगी ही क्योंकि आपको आरामदायक कपड़ों में रहने की आदत पड़ चुकी है । पर उन लोगों का क्या करोगी ताईजी जो आपके पहनावे पर बातें बनाएँगे? 

चल तुझे तो मज़ाक़ उड़ाने का बहाना चाहिए । मिनी ! अपनी माँ के लिए भी दो चार जोड़ी सलवार क़मीज़ मँगवा ले ऑनलाइन…. कम से कम घर के काम में तो आसानी हो जाएगी । 

जेठानी की तरफ़ से हरी झंडी मिलते ही पूजा की आँखों में चमक आ गई थी ।

करुणा मलिक

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