मधु लगभग एक घंटे बाद बाथरूम से निकली आज तक मधु को कभी बाथरूम में इतनी देर नहीं लगी थी क्योंकि मधु के पास इतना समय ही नहीं होता था कि,वह अपने रख रखाव पर ध्यान दें मधु ने आज शैम्पू करके अच्छे से स्नान किया कमरे में आकर उसने शीशे में खुद को देखा वह अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आंखें गुलाबी होंठ काले रेशमी बाल चांद सा गोरा मुखड़ा
किसी को भी अपनी तरफ़ आकर्षित करने के लिए काफ़ी था आज मधु ने वह साड़ी पहनी जो उसकी सास ने उसे उसकी पहली शादी की सालगिरह पर भेंट की थी गोल्डन और मैरून रंग की कांजीवरम की साड़ी उसने अपने लम्बे बालों का ढीला जूड़ा किया आंखों में काजल लगाया माथे पर मैरून रंग
की बिंदी उसने अपनी मांग भरने के लिए सिन्दूर की डिबिया उठाई फिर कुछ सोचकर बिना मांग में सिंदूर भरे उसने डिबिया रख दी होंठों पर मैरून रंग की लिपस्टिक लगाई जब वह शीशे के सामने खड़ी हुई तो वह खुद को ही नहीं पहचान पाई वह इस समय स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी।
मधु कमरे से बाहर निकल कर सीधे मंदिर में चली गई तारा चाची को छोड़कर अभी तक कोई सोकर उठा नहीं था मधु ने भगवान की पूजा आरती की शंखनाद किया और आरती का थाल हाथ में लेकर हाल में आ गई तब तक ममता जी उठ गई थीं तारा उनको हाल में ले आई थी मधु को इस तरह तैयार
देखकर ममता जी के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई मधु ने ममता जी को प्रणाम किया और रसोई में चाय बनाने चली गई उसने तीन कप चाय बनाई और चाय लेकर हाल में आ गई उसने ममता जी, तारा चाची को चाय दी और अपना प्याला उठाकर होंठों से लगा लिया।
तभी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी आज मधु उठकर बच्चे के पास नहीं गई अपनी चाय पीती रही मधु का यह व्यवहार देखकर ममता जी और तारा चाची को बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि आज से पहले मधु बच्चे की एक आवाज पर सब कुछ छोड़कर उसको गोद में उठा लेती थी बच्चे के रोने की आवाज तेज़ हो गई तब तक निशा के कानों में भी बच्चे के रोने की आवाज पड़ी जब बच्चे का रोना बंद नहीं हुआ तो निशा गुस्से में कमरे से बाहर आई और मधु के कमरे में जाकर बच्चे को गोद में उठा लिया और उसे लेकर हाल में आई वहां मधु बैठी चाय पी रही थी मधु को देखकर निशा जलभुन गई और उसने गुस्से में तुनक कर कहा ” दीदी आप यहां बैठी चाय पी रही हैं और बाबू कमरे में रो रहा था आपको सुनाई नहीं दिया क्या”?
” सुनाई दिया था” मधु ने इत्मीनान से जबाव दिया
” फिर आपने बच्चे को उठाया क्यों नहीं मुझे आकर उसे उठाना पड़ा” निशा ने गुस्से में कहा
” मैं तुम्हारे बच्चे की आया नहीं हूं यह काम तुम्हारा है तुमने बच्चे को उठाकर मेरे ऊपर कोई अहसान नहीं किया है और आज के बाद मुझसे इस टोन में बात करने की जुर्रत नहीं करना वरना ऐसा तमाचा लगाउंगी की दिन में तारे नज़र आ जाएंगे” मधु ने कठोर शब्दों में गम्भीर लहज़े में कहा
मधु का यह बदला रूप देखकर निशा की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई जबकि ममता और तारा के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गई ।
” आज लगा की तुम मेरी बहू हो” ममता ने ख़ुश होकर कहा
” मां जी मुझे भी समझ आ गया है कि, कुत्ते की पूंछ कभी अपने आप सीधी नहीं होती उसको मरोड़ कर ही सीधा करना पड़ता है ” मधु ने व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट के साथ निशा को देखकर कहा।
” दीदी आप मेरा अपमान कर रही हैं” निशा ने भी गुस्से में कहा
” सबसे पहले तुम मुझे दीदी नही मधु कहो और दूसरी बात अभी मैंने तुम्हारा अपमान किया कहां है अगर अपमान करने पर उतर आऊंगी तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी” मधु ने कठोर शब्दों में कहा
निशा को समझ नहीं आ रहा था की मधु को अचानक क्या हो गया वह ऐसे क्यों बात कर रही है तभी शोरगुल सुनकर सुरेश भी वहां आ गया सुरेश को देखकर निशा ने रोते हुए कहा ” देखिए ना दीदी को क्या हो गया है वह मुझे खरी खोटी सुना रहीं हैं मैं तो इनका इतना सम्मान करती हूं “
” क्या बात है मधु तुमने ही तो मेरी शादी निशा से करवाई है अब उससे इतनी ईर्ष्या क्यों हो रही है मैंने तो पहले ही कहा था कि,तुम सोच समझकर यह क़दम उठाओ तब तो तुमने त्याग की देवी बनकर मेरी शादी निशा से करवा दी और मुझसे कहा की मैं उसका विशेष ध्यान रखू अब जब मैं उसके साथ प्यार से पेश आ रहा हूं तो तुम्हें जलन क्यों हो रही है अब निशा भी मेरी पत्नी है उसके प्रति भी मेरा कुछ कर्तव्य है जो मैं पूरा कर रहा हूं जो तुम्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है इसलिए तुम उसका अपमान कर रही हो मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी अगर तुम्हारे मन में निशा के लिए ईर्ष्या थी तो देवी बनने का नाटक क्यों किया” सुरेश ने गुस्से में मधु को खरी खोटी सुनाते हुए कहा
सुरेश की बात खत्म होते ही मधु का झन्नाटेदार तमाचा निशा के गाल पर पड़ा निशा लड़खड़ा गई थप्पड़ मारने के साथ ही मधु ने शेरनी की तरह दहाड़ते हुए कहा,
” यह थप्पड़ मैंने तुम्हें नहीं तुम्हारे पति के मुंह पर मारा है मिसेज सुरेश मैं सीधे तेरे पति के मुंह पर तमाचा नहीं मार सकती थी दुर्भाग्य से यह मेरा भी पति है और एक भारतीय नारी अपने पति पर हाथ नहीं उठाती वह चाहे कितना ही नीच क्यों न हो” मधु का ऐसा रूप देखकर सभी आश्चर्यचकित थे क्योंकि मधु तो कभी किसी से ऊंची आवाज़ में बात नहीं करती आज उसने अपनी ही बहन को थप्पड़ लगा दिया और उसका रौद्र रूप देखकर ममता जी भी आश्चर्य में पड़ गई सुरेश और निशा की बोलती बंद थी उनकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि, अचानक मधु को क्या हो गया है।
मधु ने आगे कहना शुरू किया मिस्टर सुरेश तुम इतने बड़े नाटकबाज हो मुझे नहीं पता था तुम इंसान नहीं इंसान की खाल में भेड़िया हो और यह तुम्हारी प्रियतमा को भी अपने शरीर की नुमाइश करके लोगों को वश में करने का हुनर बहुत अच्छी आता है तुम दोनों ने दो रिश्तों, इंसानियत और विश्वास को तार तार कर दिया तुम दोनों इंसान नहीं वासना के पुजारी हो चौंकने की जरूरत नहीं है मिस्टर एण्ड मिसेज सुरेश कल रात जब आप लोग अपनी नीचता के कसीदे बहुत गर्व से पढ़ रहे थे तो दुर्भाग्य से वह मैंने सुन लिया यह दुर्भाग्य तुम्हारे लिए है मेरे लिए नहीं मेरे लिए तो यह सौभाग्य साबित हो गया जो मेरे सामने तुम दोनों की नीचता का पर्दाफाश हो गया”
मधु की बात सुनकर सुरेश और निशा का चेहरा डर के मारे सफेद पड़ गया ममता जी ने आश्चर्यचकित होकर मधु से पूछा “तुम इन दोनों की किस नीचता की बात कर रही हो”?
” मां जी आपके लिए एक खुशखबरी है यह जो निशा का बच्चा है यह मोहन का नहीं है यह आपके बेटे का बच्चा है” मधु ने नफ़रत से निशा और सुरेश को देखते हुए कहा
” क्या कहा तुमने”? ममता जी ने चौंककर पूछा
तब मधु ने कल रात की पूरी कहानी ममता जी को सुना दी जिसे सुनकर ममता जी का चेहरा क्रोध से लाल हो गया उन्होंने गुस्से में सुरेश को घूरते हुए कहा ” मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरा खून इतना नीच भी हो सकता है तुमने एक मां और पत्नी के विश्वास को तोड़ा है ईश्वर तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे और यह नीच औरत जिसने अपनी बहन का बसा बसाया घर उजाड़ दिया इसको भी इसके किए की सजा मिलकर रहेगी”
” मां जी अब मैं इस घर में एक पल भी नहीं रह सकती मैं यहां से जा रही हूं” मधु ने गम्भीर लहज़े में अपनी सास से कहा
” तुम कहां जाओगी मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगी तुम मेरे साथ मेरे घर में रहो यह मेरा घर है यह दोनों मेरे घर को छोड़कर चले जाएं” ममता जी ने मधु से कहा
” नहीं मां जी इस घर में मैं नहीं रह सकती यहां रहकर मुझे इन दोनों का विश्वासघात याद आएगा जो मुझे चैन से जीने नहीं देगा इसलिए मैं इस घर में नहीं रह सकती” मधु ने कहा
” तुम जहां रहोगी मैं भी तुम्हारे साथ रहूंगी मैं इन दोनों के साथ नहीं रह सकती” ममता ने सुरेश और निशा को नफ़रत से देखते हुए कहा
” मां जी अभी मेरे रहना का ही ठिकाना नहीं है और आप ऐसी हालत में मेरे साथ कैसे रहेंगी आप इसी घर में रहिए मैं आपसे मिलने आती रहूंगी” मधु ने कहा
मधु ममता और तारा चाची से लिपट कर रोने लगी ममता और तारा की आंखों में भी आंसू थे थोड़ी देर बाद मधु ने स्वयं को संभाला और वहां से जाने लगी तभी कविता वहां आ गई जब उसे सुरेश और निशा की करतूतों का पता चला तो उसने कहा ” मधु इसमें निशा का कोई दोष नहीं है निशा की मां भी तो ऐसी ही थी निशा की मां तुम्हारी मौसी है जिसने तुम्हारी मां के मरते ही तुम्हारे पिता से शादी कर ली थी तब तुम छः महीने की थीं इसीलिए निशा की मां ने तुम्हारा नहीं निशा का साथ दिया क्योंकि वह तुम्हारी सौतेली मां है जब मां ऐसी है तो बेटी भी तो वैसी ही होगी कुछ लोगों का तो यह भी कहना है की निशा की मां ने अपनी बहन यानिकि तुम्हारी मां को ज़हर देकर मार डाला था जिससे वह तुम्हारे पिता से शादी कर सके पता नहीं सच क्या है पर सज़ा तो सभी को मिलकर रहेगी आज नहीं तो कल और तुम्हें दर दर भटकने की जरूरत नहीं है तुम मेरी ननद के पास उत्तराखण्ड चली जाओ वहां उनका एक स्कूल चलता है मैं कह दूंगी वह कोई न कोई नौकरी तुम्हें अपने स्कूल में दे देंगी इस मामले में मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुन सकती” कविता ने गम्भीर लहज़े में कहा
” मधु कविता ठीक कह रही है तुम अगर कविता की ननद के पास रहोगी तो मैं भी निश्चित रहूंगी नहीं तो तुम्हारी चिंता में मुझे चैन नहीं मिलेगा तुम कविता की बात मान जाओ” ममता जी ने गम्भीर लहज़े में मधु को समझाते हुए कहा
मधु को कविता की बात माननी पड़ी और वह कविता के साथ उत्तराखण्ड के एक छोटे कस्बे में आ गई जहां कविता की ननद का एक छोटा सा स्कूल था मधु उसी स्कूल में पढ़ाने लगी स्कूल के पास ही एक खुबसूरत बंगला था उसमें एक बुजुर्ग दंपति रहते थे उनका बेटा विदेश में बस गया था वह दोनों अकेले थे एक दिन मधु की मुलाकात उन बुजुर्ग दंपति से हो गई उन्होंने अपनी रेखदेख के लिए मधु को रख लिया उन दंपति का नाम प्रताप और कामिनी था मधु उन्हें अंकल आंटी कहकर बुलाने लगी मधु स्कूल की नौकरी के साथ साथ प्रताप अंकल और कामिनी आंटी का भी पूरा ध्यान रखती थी कामिनी आंटी कविताएं कहानियां लिखती थीं मधु को भी कहानियां कविताएं पढ़ने का शौक था मधु का पढ़ने का शौक कब लिखने में बदल गया उसे पता ही नहीं चला धीरे धीरे मधु भी कविता कहानियां लिखने लगी लोगों को उसकी कविताएं और कहानियां बहुत पसंद आती थीं क्योंकि मधु की रचनाओं में दर्द और सच्चाई होती थी जो पाठकों को प्रभावित करने लगी देखते ही देखते मधु का लेखन की दुनिया में अच्छा नाम हो गया। मधु के आने के पहले से ही आंटी के घर में दुलारी अम्मा खाना बनाने और बर्तन साफ करने का काम करती थीं आंटी अंकल की मौत के बाद भी दुलारी अम्मा मधु के साथ इसी घर में रह रहीं हैं।
कहते हैं न सुख के साथ दुख भी आता है एक दिन प्रताप अंकल और कामिनी आंटी गार्डन में बैठे चाय पी रहे थे तभी बाहर शोर सुनाई दिया अंकल आंटी उठकर गेट के बाहर आ गए वहां कुछ लोगों में मार पीट हो रही थी दो गुंडे जैसे लोग आपस में भिड़े हुए थे कुछ लोगों ने उन्हें अलग हटाया तब दोनों ने रिवाल्वर निकाल लिया उनके हाथों में रिवाल्वर थी उन दोनों ने एक दूसरे पर गोली चला दी दुर्भाग्य वश एक गोली अंकल के सीने के पार हो गई अंकल को गोली लगते देखकर आंटी का भी हार्टफेल हो गया इस तरह एक ही पल में प्रताप अंकल और आंटी की मौत हो गई।
उनकी मौत के बाद उनका बेटा विदेश से आया जब उसे पता चला की मधु ही उनके मातापिता की सेवा करती थी तो उसने अंकल का बंगला मधु के नाम कर दिया और कहा मां पापा आपको बेटी मानते थे उस रिश्ते से मैं आपका भाई हुआ एक भाई के रहते बहन परेशान हो अच्छा नहीं लगता आज से तुम इसी घर में रहोगी आज से यह घर तुम्हारा है मैं बीच बीच में यहां आता रहूंगा।
इस तरह देखते ही देखते 12 साल का समय बीत गया मधु अतीत के सागर से बाहर निकल आई थी आज फिर से मधु के सामने उसका बीता अतीत पुष्पा के रूप में पुनः जीवित हो उठा मधु ने लम्बी सांस ली और सोचने लगी यह कैसी विडम्बना है की एक औरत ही औरत के घर में आग लगाने का काम करती है तभी दुलारी अम्मा की आवाज सुनकर मधु ने अपने आंसू पोंछे और कमरे से बाहर निकल आई•••••
क्रमशः
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश