फूल चुभे कांटे बन – भाग 4 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु की आंखों से आंसूओं का सैलाब उमड़ा हुआ था वह बंद ही नहीं हो रहा था जैसे वर्षों से कैद आंसू आंखों से बाहर आने के लिए बैचेन थे जो अब तक जबरदस्ती क़ैद थे  आज मौका पाकर वह बाहर निकल पड़े वर्षों का दर्द आंसू बनकर मधु की आंखों से बह रहा था वह बहुत देर तक रोती रही।

जब वह रोते रोते थक गई तो उसने अपने आंसुओं को पोंछा और सोचने लगी जिस दर्द से आज पुष्पा गुज़र रही है वर्षों पहले उसी दर्द से वह भी गुज़र चुकी है सोचते हुए मधु अतीत की वादियों में सैर करने लगी ••••

आज से 10 साल पहले जब उसके पति और उसकी बहन ने मिलकर उसकी पीठ में खंज़र और दिल में नश़्तर चुभोया था।

मधु अपने मातापिता और छोटी बहन के साथ एक छोटे कस्बे में रहती थी मधु बहुत ही सुन्दर और गृह कार्य में दक्ष थी उसका स्वभाव इतना मधुर था कि,जो कोई उससे मिलना वह उसको अपना बना लेती थी उसके पड़ोस में उस कस्बे के सरकारी डॉ अपनी पत्नी के साथ रहने आए डॉ की पत्नी कविता की दोस्ती मधु से हो गई मधु उन्हें भाभी कहती थी कविता का एक चचेरा भाई था सुरेश जो अच्छी

सरकारी नौकरी में था कविता ने अपने भाई के लिए मधु को पसंद कर लिया सुरेश के घर में सिर्फ़ उसकी मां थी लेकिन उन्हें लकवा मार गया था उनका जीवन व्हीलचेयर पर सिमटकर रह गया था सुरेश के पास गाड़ी बंगला धन दौलत सब था पर अभी तक उसने शादी नहीं की थी क्योंकि उसे ऐसी कोई लड़की अभी तक मिली ही नहीं थी जो उसकी बीमार मां की सेवा करने को तैयार होती।

जब कविता ने सुरेश से मधु के बारे में बताया तो वह मधु से शादी करने को तैयार हो गया मधु और सुरेश की शादी बहुत धूमधाम से हुई शादी का सारा खर्च सुरेश ने उठाया क्योंकि मधु के मातापिता के पास ज्यादा पैसा नहीं था।  

मधु शादी करके अपने पति के घर लखनऊ आ गई घर क्या था महल था घर में नौकर चाकर गाड़ी सब कुछ था मधु को अपने भाग्य पर विश्वास ही नहीं हो रहा था जब पहली बार उसका गृहप्रवेश हुआ तो मधु की सास ने व्हीलचेयर पर बैठकर उसकी आरती उतारी और मुंह दिखाई करते हुए उसकी बलाएं ली मुंह दिखाई में उसे हीरो का सेट दिया मधु ने झुककर अपनी सास के पांव छुए और उन्होंने ढेरों शुभकामनाएं और आशीर्वाद दे डाला।

रात को जब वह सुहागसेज पर बैठी अपने मन मीत का इंतजार कर रही थी तो उसकी आंखों में हजारों सपने भी तैर रहे थे।

तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और सुरेश अंदर आए मधु अपने में ही सिमटकर रह गई सुरेश ने मधु का घुंघट उठाया और मधु को हीरे की एक बहुत ही खूबसूरत अंगूठी उपहार में दी फिर मधु का हाथ पकड़कर बहुत प्यार से कहा ” मधु मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि, मुझे तुम जैसी सुन्दर सुशील

लड़की पत्नी के रूप में मिली है मैं बहुत भाग्यशाली हूं मैं पहली ही नज़र में तुम्हें अपना दिल दे बैठा था मेरे इस दिल में सिर्फ़ तुम हो इस दिल में और कभी कोई नहीं आएगा यह मेरा तुमसे वादा है मैं जीवनभर तुम्हें अपनी पलकों पर बैठाकर रखूंगा मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और मेरा यह प्यार कभी कम नहीं होगा”

  सुरेश की प्यार भरी बातें सुनकर मधु आसमान की दुनिया की सैर करने लगी उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया आंखों में शर्म की लाली थी चेहरा भी अपने पति की बातें सुनकर शर्म से लाल हो गया था मधु की नज़रें जैसे ही सुरेश से मिली उसने देखा सुरेश उसे ही देख रहा था मधु ने शरमा कर अपना चेहरा अपनी हथेलियों से छुपा लिया।

  मधु के हाथों को उसके चेहरे से हटाते हुए सुरेश ने कहा “मेरे साथ आप बहुत बड़ी ज्यादती कर रहीं हैं मधुलिका जी हमारे ही चांद को हमसे छुपा रहीं हैं यह तो ठीक नहीं है” 

  मधु ने अपना चेहरा सुरेश के सीने में छुपा लिया सुरेश ने मधु को अपनी बाहों में समेट लिया फिर कमरे की लाइट बंद कर दी और दो दिल प्यार की दुनिया में खोते चले गए।

    मधु के जीवन में खुशियों की बहार आ गई थी उसके दिन सुनहरे और रातें रूपहली हो गई थीं देखते देखते दो महीने का समय पंख लगाकर उड़ गया अब मधु को पग फेरे के लिए अपने मायके जाना था मधु अपनी सास और सुरेश को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी।

  लेकिन मायके जाना एक बार ज़रूरी था मधु की मां का बारबार फोन आ रहा था वह हर बार यही पूछतीं मधु तुम मायके कब आ रही हो तुम्हारी बहुत याद आती है।तब मधु की सास ने कहा  “बहू तुम दो चार दिन के लिए मायके चली जाओ दो तीन दिन बाद सुरेश तुम्हें वहां से ले आएगा इस तरह पग फेरे की रस्म पूरी हो जाएगी।

  मधु का भी अपनी मां पापा और बहन से मिलने का बहुत मन था मधु के जाने से पहले सुरेश ने सभी के लिए सुन्दर सुन्दर उपहार खरीदे और फिर वह दिन भी आया जब भारी मन से मधु ने अपनी सास और पति से विदा ली और अपने मायके चली गई।

जब मधु अपनी गाड़ी से मायके पहुंची और जब कार से बाहर निकली तो सभी कालोनी के लोग उसके भाग्य पर रश्क़ करने लगे मधु के शरीर पर कांजीवरम की रेशमी साड़ी थी हाथों में मोटे मोटे सोने के जड़ाऊ कंगन गले में रानी हार पांव में सोने की पाजेब उसके ठाठबाट देखकर सभी की आंखें फटी की फटी रह गई।

  मधु के शानोशौकत को देखकर सिर्फ़ बाहर वाले ही नहीं बल्कि मधु की छोटी बहन निशा की आंखों में भी ईर्ष्या के भाव दिखाई दे रहे थे निशा मधु की तरह सुन्दर भी नहीं थी और न ही उसे घर का कोई काम ही आता था।

निशा पहले भी मधु की सुन्दरता और गुणों से ईर्ष्या करती थी पर मधु ने कभी भी उस पर ध्यान नहीं दिया था इसका एक कारण यह भी था कि,मधु अपनी बहन निशा से बहुत प्यार करती थी इसलिए उसकी कोई भी गलती उसे दिखाई देती भी नहीं थी वह सोचती थी निशा अभी बच्ची है धीरे धीरे जब वह और बड़ी हो जाएगी तो घर गृहस्थी की जिम्मेदारी भी समझने लगेगी।

  पर मधु की यही सोच उसके पूरे जीवन के लिए बहुत भारी पड़ी और एक दिन ऐसा भी आया जब उसे अपना बसा बसाया घर संसार छोड़कर वहां से हमेशा के लिए जाना पड़ा वह काली अंधियारी रात थी जिसकी सुबह कभी हुई ही नहीं••••

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डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

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