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भाग -४०
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अब तक आपने पढ़ा:
शौर्य यशिका को प्रोपोज़ करता है यशिका उसका प्रपोज़ल एक्सेप्ट कर लेती है ।
अब आगे :
यशिका देविका और गुंजन के साथ बातें कर रही थी लेकिन नज़र उसकी शौर्य पर ही थी
“अब चलें “अभिमन्यु ने कहा
“लेकिन जाएंगे कैसे सब एक गाड़ी में तो नहीं जा सकते ” यश ने कहा
“जैसे आए थे वैसे ही जायेंगे लेकिन इससे पहले ये बताओ कि तुम सब यहाँ कैसे आए “? शौर्य ने पूछा
“वो …हमें ….भाई ले कर आए ” शौर्य ने जल्दी से कहा
शौर्य ने अभिमन्यु की तरफ देखा
” अरे पूरी बात क्यों नहीं बताते तुम
शौर्य इन तीनों ने मिलकर मुझे घेर लिया और मुझे इनको यहाँ लाना पड़ा “अभिमन्यु ने कहा
“भाई हमें देखना था कि आप कैसे
प्रॉपज़ करते है इसलिए ” यश ने अपना काम पकड़ते हुए कहा
“हाँ ठीक है लेकिन इसका बदला मै लूंगा जिस दिन अभी प्रपोज़ करेगा उस दिन मैं भी सबको ले कर आऊंगा “
शौर्य ने मुस्कुराते हुए कहा
“अरे कब आएगा वो दिन जब भाई ऐसा करेंगे ” यश ने कहा
“आयेगा जल्दी ही , अब चलो “शौर्य ने कहा और यशिका की तरफ जाने लगा
जब शौर्य गुंजन और देविका के पास गया तो दोनों ने उसे कांग्रेटुलेट किया
शौर्य ने यशिका से चलने के लिए बोला वो सब जैसे आए थे वैसे ही गाड़ी में बैठ कर वहां से निकल गए ये बात और थी कि सब एक ही जगह जा रहे थे
शौर्य और अभिमन्यु ने तीनों को घर छोड़ा और अपने अपने घर चले गए ।
शाह ग्रुप के ऑफिस में
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अगले दिन यशिका ने अपने स्टॉफ को बताया कि वो जल्दी ही यहाँ से शिफ्ट कर लेंगे तो अपना जो भी जरूरी सामान है वो फिलहाल के लिए हटा लें ।
यशिका अपने केबिन में थी तभी दिनेश
आया और बोला ” मैम रजवाड़ा ग्रुप ने टेंडर निकाला है आप कब मीटिंग ले रही हैं?”
” हाँ मैने देखा आप दोपहर में मीटिंग के लिए बोल दें और ऑफिस शिफ्ट करने की तैयारी भी करवा लें “
“जी ठीक है ,वैसे मैम ये प्रोजेक्ट भी हमें मिलेगा ना “?
“कोई शक ” यशिका ने मुस्कुराते हुए कहा
दिनेश भी मुस्कुराते हुए केबिन से बाजार निकल गया ।
रंधावा के ऑफिस में
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अभिमन्यु कंप्यूटर पर कुछ देख रहा था उसके माथे पर लकीरें खींची हुयी थी
“क्या हुआ शौर्य ने पूछा तुम परेशान लग रहे हो “?
” परेशानी की बात है शौर्य रजवाड़ा का टेंडर निकला है “
“तो परेशानी क्या है हम भी कोट करेंगे “
“वो तो करेंगे ही लेकिन तुम्हें लगता हमें मिलेगा ये प्रोजेक्ट “?
“ऐसा क्यों बोल रहे हो तुम “?
” यशिका , मुझे लगता है वो भी कोट करेगी , और”
” और तुम्हें लगता है कि इस बार भी पिछली बार की तरह होगा “
“हो भी सकता है … और फिर हमें साथ में काम भी करना पड़ सकता है क्योंकि तुम जानते हो वो टेंडर भले ही ले लें लेकिन काम नहीं करवा सकते “अभिमन्यु ने सांस भरते हुए कहा
शौर्य सोच में पड़ गया
“क्या हुआ तुम भी पड़ गए न सोच में , वैसे देखा जाए तो वो कंपनी है तो तुम्हारी ही कोई फर्क तो नहीं पड़ता लेकिन किसी को पता नहीं है इसलिए हमारे बिज़नेस पर इस बात का फर्क पड़ सकता है ” अभिमन्यु ने कहा
” ह्म्म तुम ठीक कह रहे हो ये बात सिर्फ हमें पता है , हमें अपनी टीम को बोलना होगा कि कुछ भी करें ये टेंडर हमें ही चाहिए तुम मीटिंग के बोलो सचिन को हमें बात करनी होगी “
“ठीक है ” कह कर अभिमन्यु ने सचिन को बुलाया सारी बातें समझायी और मीटिंग के लिए बोला
लंच के बाद शौर्य अभिमन्यु और बाक़ी सबके साथ मीटिंग के लिए रूम में था पता सबको था कि ये मीटिंग क्यों बुलायी गयी है
शौर्य ने कहा ” जैसा कि आप सबको पता है कि रजवाड़ा का टेंडर निकला है और कैसे भी ये टेंडर हमें ही चाहिए आप को जो करना है करो , और हाँ इस हफ्ते कोई लीव नहीं मिलेगी और कोई आना भी मत बोलने के लिए ।
सब लोग समझ रहे थे कि पहले वाले प्रोजेक्ट की तरह अगर हो गया तो ये उनकी कंपनी के लिए ठीक नहीं है इसलिए किसी ने कुछ नहीं कहा और सब चले गए ।
मीटिंग के बाद शौर्य ने यशिका को फोन लेकिन उसने फोन नहीं उठाया कुछ देर बाद यशिका ने वापस से फोन किया
“हाँ जी बहुत बिजी है आप ” शौर्य ने कहा
“हाँ थोड़ा सा आप बताएं “?
“तो किस बात में बिज़ी थी आप “
” मीटिंग में वो टेंडर है न रजवाड़ा वाला “
“ओके तो क्या इस बार भी आपको मिलेगा टेंडर “
” बिलकुल मिलेगा “
” ह्म्म देखते है “
” मिस्टर रंधावा आप चैलेंज कर रहें है मुझे “
” ऐसा ही समझ लो ,”
” और अगर ये टेंडर मैने ले लिया फिर “?
“फिर जो आप कहो वो होगा लेकिन अगर मुझे मिला तो जो मै कहूं आपको करना होगा ” शौर्य ने क्या
“डन तो मिस्टर रंधावा तैयार हो जाओ आप “
“वैसे क्या चाहिए आपको ” शौर्य ने पूछा
“आप तो अभी से डर गए “
“नहीं डरने वाली कोई बात है ही नहीं , बताएं आप “
“जब टेंडर मिलेगा तब”
“ओके ” शौर्य ने कहा
“अम्मा आपको याद कर रहीं थी आप चलेंगी घर “
” आज तो नहीं जा पाऊंगी ऑफिस में बहुत काम है शिफ्टिंग भी करनी है तो शिफ्टिंग के बाद चलें “
“ठीक है , और मै आ जाऊंगा शिफ्टिंग के दिन वैसे भी अमर है तो कोई परेशानी नहीं होगी “
“ओके “
यशिका ने की है देर बात करके फोन रख दिया
शौर्य ने अभिमन्यु को सुजीत त्रिपाठी से मिलने जाना है के लिए मैसेज किया और कुछ देर में दोनों ऑफिस से बाहर निकल गए
होटल ओबेरॉय
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सुजीत त्रिपाठी होटल ओबेरॉय के एक प्राइवेट रूम में बैठे हुए मेन्यू कार्ड देख रहे थे शौर्य और अभिमन्यु दोनों एक साथ रूम में आए शौर्य और अभिमन्यु दोनों ने आगे बढ़ कर सुजीत के पैर छुए सुजीत ने उन्हें बैठने के लिए और कुछ ऑर्डर करने के लिए बोला कुछ औपचारिक बात चीत के दौरान वेटर उनका ऑर्डर ले आया
सुजीत ने वेटर को ” डू नॉट डिस्टर्ब ” का बोर्ड लगाने के लिए बोल दिया
वेटर के जाने के बाद शौर्य ने कहा ” अंकल आपने ऐसे यहाँ क्यों बुलाया
है “
“शौर्य ज्ञानचंद कुछ बड़ा प्लान कर रहा है ऐसा मुझे लगता है “
” आप सभी कह रहे है अभी कुछ दिनों पहले की ही बात ही करतार ने यशिका को उसकी ही बिल्डिंग में कुछ देर के लिए क़ैद कर लिया था कह कर अभिमन्यु ने सारी बात बता दी
” उसे पता चल गया है तुम यशिका के लिए फिक्रमंद हो ” सुजीत ने कहा
” हाँ और वो इस बात का फायदा उठाएगा , लेकिन वो क्या करेगा “?
” कुछ भी हमला भी या फिर से यशिका को किडनैप करे , कुछ कह नहीं सकते अभी तो मैने रोका हुआ है कि मै जानकारी इकट्ठी कर रहा हूँ कह कर “
“हम यशिका का पूरा ऑफिस शिफ्ट कर रहे है अपनी ही बिल्डिंग में ” शौर्य ने कह
“ये तो अच्छी बात है कम से कम थोड़ी तो सिक्योरिटी रहेगी लेकिन पूरी तरह से नहीं बहुत शातिर है वो लोग , मुझे बिना बताए भी सब कुछ कर सकते है “
” तो आप क्या सलाह देंगे हमें ” ? अभिमन्यु ने पूछा
” जितना हो सके एक दूसरे के कॉन्टैक्ट में रहो कहीं भी जाओ बता कर जाओ यशिका को भी बोल दो और आजकल वो ऐप आया हैं ना लोकेशन वाला उसे सबके फोन में डाउनलोड करो सिविल ड्रेस में गार्ड्स को रखो ।
शौर्य और अभिमन्यु ने सुजीत की बातें सुनी और उनको निश्चिंत होने के लिए बोला ।
सुजीत त्रिपाठी से बात करके वो दोनों बाहर आए और अपने अपने घर चले गए ।
क्रमशः
अगले भाग के साथ जल्दी ही मिलूंगी ….
धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ©®